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चूड़ी वाले हाथ दे रहे चीन को मात, स्वदेशी झालरों से पहुंचाएंगे चीन को आर्थिक चोट

गोरखपुर में महिलाएं स्वदेशी झालर बनाकर चीन को आर्थिक चोट पहुंचा रही हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 11:13 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 11:13 AM (IST)
चूड़ी वाले हाथ दे रहे चीन को मात,  स्वदेशी झालरों से पहुंचाएंगे चीन को आर्थिक चोट
चूड़ी वाले हाथ दे रहे चीन को मात, स्वदेशी झालरों से पहुंचाएंगे चीन को आर्थिक चोट

गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। खजनी विकास खंड क्षेत्र में शत्रु राष्ट्र चीन के उत्पाद को चूड़ी वाले हाथ मात दे रहे हैं। यहां करीब दर्जन भर महिलाएं दीपावली के मौके पर स्वदेशी झालर और एलईडी बल्ब तैयार करती हैं और बाजार में उसकी बिक्री करती हैं। पिछली बार दीपावली पर महिलाओं ने करीब दो हजार झालर तैयार किया था। यह हाथों हाथ बिक गया था। इन झालरों की बिक्री के बाद मरम्मत की भी गारंटी रहती है। इस लिए इन झालरों की मांग अधिक है।

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संगीता की नेतृत्व में दर्जन भर से अधिक महिलाएं तैयार करती हैं झालर

महिलाओं के इस ग्रुप की अगुवा हैं संगीता देवी। वह खजनी के ही ग्राम खुटभार की निवासिनी हैं। उन्होंने दो वर्ष पूर्व राष्ट्रीय आजीविका मिशन के जरिये झालर व एलईडी बल्ब बनाने का प्रशिक्षण लिया था। चाइनीज उत्पादों के बहिष्कार की बात वह पिछले कई वर्षों से वह सुनते आ रही हैं। लेकिन इस पर आगे बढ़ते कम लोग नजर आ रहे हैं। ऐसे में पिछले वर्ष उन्होंने निर्णय लिया कि क्यों न इसकी शुरुआत खुद से ही की जाए। गत वर्ष दीपावली से दो माह पूर्व उन्होंने खुद का झालर बनाने का निर्णय लिया। इसके पीछे उनका उद्देश्य सिर्फ रुपये कमाना नहीं, चीन के सामानों का बहिष्कार करना था। इसके साथ ही साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना था। शुरुआत थोड़ी कठिनाई हुई, लेकिन गांव से ही करीब पांच महिलाएं झालर बनाने के लिए राजी हो गईं तो उन्होंने काम शुरू कर दिया। पहले माह में सिर्फ 500 झालरों की बिक्री की। इससे उनका थोड़ा हौसला बढ़ा तो अगल-बगल गांव की छह महिलाएं और तैयार हो गईं। इसका परिणाम अगले माह उन्होंने डेढ़ हजार झालर तैयार तैयार करके बेंचा।

100 रुपयें में बेंचती हैं झालर

संगीता देवी बताती हैं कि उनका झालर करीब 100 रुपये में बिक जाता है। इस पर करीब 75 रुपये की लागत आती है। झालर की बिक्री से महिलाओं की थोड़ी बहुत आमदनी तो हुई ही। सबसे बड़ी बात यह रही कि जिन घरों में इन झालरों का प्रयोग शुरू हुआ, वह घर चीन के विरोध में एक अहम कड़ी बने हैं। उन्होंने कहा कि वह गांव-गांव में महिला स्वयं सहायता समूह बनाने का भी कार्य करती हैं। झालर बनाने के दौरान मिले रुपयों से तमाम महिलाओं ने अपने घर में सहयोग दिया है। वह कहती हैं लॉकडाउन के दौरान घर पर रुपयों की तंगी थी तो उन्होंने भी अपने दोनों बच्चों की फीस भरी है।

इस बार चार हजार झालर करेंगी तैयार

संगीता कहती हैं कि इस कोरोना और लद्दाख का मुद्दा सामने है। इस लिए और बड़े पैमाने पर काम होगा। उन्होंने बताया कि झालर व एलईडी बनाने के लिए जहां से सामान लेतीं थीं। लॉकडाउन के दौरान वह दुकान बंद हो गई। कारोबारी भी दिल्ली चला गया है। लेकिन चीन के विरोध को लेकर महिलाएं दो गुने उत्साह में हैं। कहीं और से सामान की व्यवस्था की जाएगी। इस बार दीपावली में चार हजार झालरें तैयार किया जाएगा।


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