तीन हजार से अधिक प्रवासी परिंदों ने गोरखपुर चिड़ियाघर में डाला डेरा
सर्दियों का मौसम शुरू होते ही पूर्वांचल में प्रवासी पक्षियों की दस्तक शुरू हो जाती है। इस बीच गोरखपुर चिडि़याघर के वेटलैंड में दो-ढाई सौ की संख्या में उतरा पक्षियों का पहला पहुंच चुका है। लिटिल कारमोरेंट लेसर एडजुटेंट विह्सिलिंग डक के कलरव से चिडिय़ाघर गुलजार हो रहा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर चिड़ियाघर प्रदेश का इकलौता ऐसा चिड़ियाघर है, जिसके पास 34 एकड़ का प्राकृतिक वेटलैंड है। ठंड की शुरुआत के साथ इस वेटलैंड में प्रवासी पक्षियों का पहला दल उतरा है। इसमें पक्षी लिटिल कारमोरेंट(जलकाग), लेसर एडजूटेंट, व्हीस्लिंग डक, नाइट हेरान जैसे दुर्लभ परिंदे मौजूद हैं। इसकी संख्या तीन हजार से अधिक बतायी जा रही है। यह परिंदे अपनी चहचहाहट व अपनी मौजूदगी से चिड़ियाघर की खूबसूरती में चार चांद लगा रही हैं। चिड़ियाघर प्रशासन वेटलैंट में इनकी मौजूदगी को सुखद मान रहा है।
चिड़ियाघर के वेटलैंड में उतरा प्रवासी परिंदों का पहला दल
शोर-शराबे से दूर रहने वाले जलीय परिंदों को चिड़ियाघर हरियाली भा गई है। दो दिन के भीतर वहां तीन हजार से अधिक इंडियन माइग्रेटेड बर्ड(भारतीय विस्थापित पक्षी) उतर चुके हैं। वेटलैंड में उन्हें उनका भोजन मिल रहा है। चिड़ियाघर के एक किनारे पर स्थित होने के वहां पूरी तरह से शांति है। चारो तरफ ऊंची दीवार होने से पक्षी वहां पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इसमें लेसर एडजुटेंट की मौजूदगी बेहद खास मानी जा रही है।
लिटिल कारमोरेंट, लेसर एडजुटेंट के कलरव से गूंज रहा चिड़ियाघर
चिड़ियाघर के पशु चिकित्साधिकारी डा.योगेश प्रताप सिंह का कहना है लेसर एडजुटेंट आमतौर पर वहां रहना पसंद करते हैं, जहां की जलवायु पूरी तरह से सेहत के अनुकूल हो। लेसर एडजुटेंट की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि चिड़ियाघर की आबोहवा स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अन्य स्थानों से बेहतर हैं। वेटलैंड के इर्द-गिर्द लंबे घने पेड़ भी हैैं। वेटलैंड में इन पक्षियों के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन का प्राकृतिक इंतजाम है। वहां झाड़ियां व अन्य पौधों को वह अपना बसेरा भी बना सकते हैं।
पक्षियों को भा रहा है यहां का सुखद माहौल
वेटलैंड में घने पेड़ों के बीच पक्षियों की चहचहाट के बीच मनोरम महौल लोगों को सुखद अनुभूति दे रहा है। निदेशक चिड़ियाघर डा. एच राजा मोहन का कहना है कि यहां पक्षियों को उनके रिहाइश के अनुकूल माहौल मिल रहा है। जलाशय व पेड़ों के बीच का एकांत उन्हें पूरी तरह से भयमुक्त व सुखद माहौल दे रहा है। संभव है कि आने वाले समय में प्रवासी पक्षियों के ठिकाने के साथ उनके प्रजनन केंद्र के रूप में भी विकसित हो।