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इस पुल के बनने से दो सौ किमी तक कम हो जाएगी यूपी के कई शहरों की दूरी

यूपी के कुशीनगर के नारायणी नदी के पिपराघाट पखनहां पर बनने वाले पुल से यूपी के बिहार के कई शहरों की दूरी दो सौ किलोमीटर तक कम हो जाएगी। पुल के लिए बिहार में भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रारंभ हो गया हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 02:26 PM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 08:26 AM (IST)
इस पुल के बनने से दो सौ किमी तक कम हो जाएगी यूपी के कई शहरों की दूरी
नारायणी नदी पर बनने वाले पुल से कई शहरों की दूरी दो सौ किलोमीटर तक कम हो जाएगी।

गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर के नारायणी नदी के पिपराघाट पखनहां पुल व तमकुहीराज से बिहार प्रांत के बेतिया तक नए राजमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू हो गया है। यह राजमार्ग एनएच 727 एए के नाम से जाना जाएगा़, जो बिहार के मनुपुल के निकट एनएच 727 से प्रारंभ होकर सेवरही के निकट एनएच 730 के जंक्शन पर समाप्त होगा। इस पुलिस के बनने से गोरखपुर और कुशीनगर जैसे शहरों से कई अन्‍य शहरों की दूरी दो सौ किलोमीटर तक की दूरी कम हो जाएगी।

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ओवरब्रिज भी बनेगा

एनएच निर्माण के दौरान ही नारायणी नदी पर पिपराघाट-पखनहा महासेतु पुल, नई सड़क, बाईपास व ओवरब्रिज का भी निर्माण होना है। बिहार प्रांत में भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रारंभ हो गया हैं। प्रभावित लोगों में 300 करोड़ रुपये की धनराशि बतौर मुआवजा दी जाएगी।

बिहार जाने वाले लोगों को होगा सर्वाधिक फायदा

केंद्र सरकार की इस योजना से क्षेत्र के लोगों में खुशी का माहौल है। भगवान बुद्ध की धरती कुशीनगर व बिहार के पश्चिमी चंपारण में करीबी नाता है। यहां के लोगों का आपस में बेटी-रोटी का रिश्ता है, नारायणी नदी का पाट व विशाल रेता क्षेत्र निर्बाध आवागमन में बाधक है। पश्चिमी चंपारण के लौरिया में राजा नंद द्वारा बनवाया गया चैत्य, सम्राट अशोक द्वारा निर्मित अशोक स्तंभ व बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण साक्ष्य मौजूद हैं। यह स्थान भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली कुशीनगर से महज 70 किमी की दूरी पर हैं, नारायणी नदी पर एक अदद पुल के अभाव में यह दूरी सैकड़ों किमी में परिवर्तित हो जाती है।

सेवरही से बेतिया की दूरी घटकर होगी महज 21 किमी

सेवरही से बेतिया की दूरी महज 21 किमी है जो पुल न होने के चलते एनएच 28 के रास्ते 225 किमी हो जाती है। पुल बन जाने से बौद्ध परिपथ योजना साकार होगी। यात्री भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़े स्थलों का आसानी से भ्रमण कर सकेंगे। नदी उस पार पश्चिमी चंपारण जनपद के ठकरहां सहित अन्य प्रखंड जिला मुख्यालय से सीधे जुड़ जाएंगे। बाढ़ पर नियंत्रण स्थापित होने से कृषि के क्षेत्र को लाभ होगा। 35 वर्ग किलो मीटर में फैले 16 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि गन्ना बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते पेपर मिल, कार्ड बोर्ड फैक्ट्री, थर्मल पावर स्टेशन की स्थापना हो सकेगी। क्षेत्र का औद्योगिक विकास होगा।

पिपराघाट के रास्ते गए थे महात्मा गांधी

बेतिया वह प्रसिद्ध स्थान है जहां जाने के लिए तमकुहीरोड रेलवे स्टेशन पर उतर कर पिपराघाट के रास्ते नदी पार कर महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी।

संघर्षों की जीत है पुल की स्वीकृति

पिपराघाट-पखनहा पुल निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष व नगर पंचायत अध्यक्ष श्याम सुंदर विश्वकर्मा ने पुल निर्माण की प्रक्रिया को जनता की जीत बताया है। कहा कि इस परियोजना के धरातल पर उतरने से संघर्ष को मुकाम मिला है।

सीता राम सेतु निर्माण समिति ने भी किया था आंदोलन

गोविवि के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष श्रीकांत मिश्र के नेतृत्व में सीता राम सेतु निर्माण समिति ने महात्मा गांधी द्वारा प्रयोग किए गए रास्ते पर पद यात्रा निकाल पुल बनवाने की मांग की थी।

पुल बनने के बाद यह होगी दूरी 

प्रमुख स्थान-वर्तमान दूरी- पुल बनने के बाद दूरी (किमी में)

सेवरही-बेतिया - 225 - 21

कुशीनगर-लौरिया - 260 -  60

सीवान-बेतिया - 190  - 90

गोपालगंज-बेतिया -160 -  55

सेवरही-अरेराज- 180 - 40

कुशीनगर-रक्सौल- 325 - 125

गोरखपुर-बेतिया - 280 -110 


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