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केले की खेती के साथ लहसुन, प्याज उगाकर ले रहे हैं दोहरा लाभ Gorakhpur News

संतकबीर नगर के ग्राम टोटहा निवासी रामनाथ ने परंपरागत खेती से हटकर अपने पांच एकड़ खेत में केले की खेती शुरू की। कई दिक्कतें आईं लेकिन वह हारे नहीं। कैंपियरगंज जाकर केले की खेती के तकनीकों की जानकारी लेकर उन्होंने सुधार किया।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 03:30 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 03:30 PM (IST)
केले की खेती के साथ लहसुन, प्याज उगाकर ले रहे हैं दोहरा लाभ  Gorakhpur News
मेंहदावल के टोटहा में केले की फसल को दिखाते किसान रामनाथ यादव ।

अरुण शर्मा, गोरखपुर : अगर नौकरी नहीं मिली तो इसका मतलब यह तो नहीं कि आगे बढ़ने के रास्ते बंद हो गए। इसके लिए मौके बहुत मिल सकते हैं, बस मेहनत करने की आवश्यकता है। इसी प्रकार का कार्य करके दिखा रहे हैं रामनाथ यादव। इन्होंने केले की खेती करके न सिर्फ अपने परिवार काे सम्पन्न बनाया। एक कदम आगे बढ़कर वह महाविद्यालय की स्थापना भी कर चुके हैं। संतकबीर नगर जिले के धर्मसिंहवा थानाक्षेत्र के ग्राम टोटहा निवासी रामनाथ ने दो दशक पहले परंपरागत खेती से हटकर अपने पांच एकड़ खेत में केले की खेती शुरू की। खेती में कई दिक्कतें आईं, लेकिन वह हारे नहीं। गोरखपुर के कैंपियरगंज जाकर केले की खेती के तकनीकों की जानकारी लेकर उन्होंने सुधार किया। इसके बेहतर परिणाम सामने आए।

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एक साथ कई फसलें उगाने से मिलता है दोहरा लाभ

रामनाथ यादव बताते हैं कि केले की पौध रोपित करने पर जब तक यह बड़े नहीं होते तो लहसुन, प्याज व हरी मिर्च की खेती भी की जा सकती है। इससे अतिरिक्त लाभ मिलता है। पौध बड़ी हो जाने के बाद हल्दी की खेती भी की जाती है।

महाविद्यालय का करवाया निर्माण

रामनाथ यादव केले की खेती के बल पर एक महाविद्यालय बनवाकर संचालित करवा रहे हैं। उनकी तरक्की देखकर क्षेत्र के बड़ी संख्या में लोग केले की खेती करने लगे हैं।

यह लोग भी कर रहे केले की खेती

गांव निवासी रामकेश, तेरश, मूरत, केवल,दीपक, जयराम, श्रीकेश, उर्मिला देवी समेत अनेक लोग भी केले की खेती कर रहे हैं। सभी ने बताया कि वर्तमान में टोटहा गांव व आसपास के क्षेत्राें में केले की खेती प्रमुखता से की जा रही है। इसके पीछे रामनाथ की प्रेरणा व सहयोग ही मुख्य कारण है।

प्रति एकड़ चार लाख वार्षिक होती है आमदनी

केले की खेती में सही समय पर खाद डालने व सिंचाई करने से प्रति एकड़ लगभग चार लाख रुपये वार्षिक आय होती है। रामनाथ ही नहीं अब क्षेत्र के दर्जनों किसानों के पास पक्के मकान व ट्रैक्टर आदि हैं।


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