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जिसकी शिकायत पर रंगे हाथ हुई थी गिरफ्तारी- वह कोर्ट में मुकर गया, कोर्ट ने अधिकारी को दोषमुक्‍त किया Gorakhpur News

घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार हुआ अधिकारी 14 साल चले मुकदमे के बाद दोष मुक्‍त हो गया। आश्‍चर्यजनक यह कि जिसकी शिकायत पर अधिकारी गिरफ्तार हुआ था वह कोर्ट में मुकर गया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 03:08 PM (IST)
जिसकी शिकायत पर रंगे हाथ हुई थी गिरफ्तारी- वह कोर्ट में मुकर गया, कोर्ट ने अधिकारी को दोषमुक्‍त किया Gorakhpur News
जिसकी शिकायत पर रंगे हाथ हुई थी गिरफ्तारी- वह कोर्ट में मुकर गया, कोर्ट ने अधिकारी को दोषमुक्‍त किया Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। चौदह साल पहले दो हजार रुपये घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार हुए बांसगांव थाना क्षेत्र के भुसवल निवासी एवं बस्ती जिले के साऊंघाट ब्लाक में तैनात रहे सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी महेंद्र प्रसाद के खिलाफ आरोप साबित न होने पर विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम विष्णु प्रसाद अग्रवाल ने दोषमुक्त कर दिया। महेंद्र प्रसाद वर्तमान में बस्ती में प्रति उपविद्यालय निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

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दो हजार रुपये रिश्‍वत लेने की हुई थी शिकायत

बस्ती जिले के वाल्टरगंज थाना क्षेत्र के ग्राम परसिया निवासी शिकायतकर्ता चंद्र प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में 28 अप्रैल 2005 को शिकायती प्रार्थना पत्र दिया था कि उसका चयन शिक्षामित्र के पद पर हुआ है। संस्तुति देने के लिए उस समय तैनात रहे सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी महेंद्र प्रसाद दो हजार रुपये घूस मांग रहे है, जिसे वह देना नहीं चाहता है। वह उन्हें रंगेहाथ पकड़वाना चाहता है।

पुलिस ने जाल बिछाकर किया था गिरफ्तार

सूचना के बाद पुलिस उपाधीक्षक विजेंद्र पाल सिंह के नेतृत्व में गठित ट्रैप टीम ने 30 अप्रैल 2005 की शाम लगभग पांच बजे महेंद्र प्रसाद को उनके खिरिघाट जनपद बस्ती स्थित किराए के मकान से दो हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया। ट्रैप टीम ने ट्रैप करने के पहले बस्ती के तत्कालीन जिलाधिकारी से स्वतंत्र गवाह दिए जाने की मांग की थी। उन्होंने सदर तहसील के नायब तहसीलदार तेज प्रताप सिंह एवं महादेवा क्षेत्र के राजस्व निरीक्षक श्रीराम को नियुक्त किया था। इन दोनों साक्षियों की उपस्थिति में ट्रैपिंग की कार्रवाई की गई।

कोर्ट में मुकर दोनो साक्षी

दोनों साक्षी कोर्ट में अभियोजन का समर्थन करने के बजाय बयान से मुकर गए तथा अपने सामने किसी भी तरह की बरामदगी किए जाने सेे इन्कार कर दिया। शिकायतकर्ता चंद्र प्रताप सिंह भी पक्षद्रोही हो गया। गिरफ्तारी के समय बरामद रिश्वती दो हजार रुपये के नोट तथा अन्य वस्तुएं विधि विज्ञान प्रयोगशाला जाने से पहले ही थाना कोतवाली के मालखाने से गायब हो गईं। कोर्ट ने जब माल तलब किया तो पता चला कि वह माल मालखाने में नहीं है। मजबूर होकर तत्कालीन इंस्पेक्टर श्याम नरायन सिंह ने हेड मोहर्रिर फतेह मोहम्मद के खिलाफ धारा 409 आइपीसी में मुकदमा दर्ज कराया। विवेचना के दौरान हेड मोहर्रिर फतेह मोहम्मद की मृत्यु हो गई। न्यायाधीश ने आरोपित के खिलाफ कोई साक्ष्य न पाए जाने पर उसे दोषमुक्त कर दिया।


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