किसने कहा था रंगपाल से, तुम पुरबियों के सबसे लोकप्रिय कवि होगे, जानिए क्या है मामला Gorakhpur News
संतकबीर नगर जिले के हरिहरपुर में पैदा हुए महाकवि रंगपाल के फाग गीत पूर्वांचल सहित देश-विदेश में गाए जाते हैं। इनके लोक व फाग गीत विविध साहित्यिक रचनाएं प्रासंगिक हैं। गांवों कस्बों में लोग होली आते ही ढोल मजीरा लेकर फाग गीतों को गाना शुरू कर देते हैं।
अखिलेश्वर धर द्विवेदी, गोरखपुर : 'सखि आज अनोखे फाग खेलत लाल लली, बाजत बाजन विविध राग गावत सुर जोरी'। सखी बोलत काग अंगनवा हमारे, आवत प्रीतम प्रान हमारे..। ऋतुपति गयो आय, हाय गुंजन लागे भौंरा..। रंगपाल के ऐसी तमाम कालजयी फाग गीतों के बिना आज भी फाग का रंग अधूरा है। यही वजह है कि पूरी दुनिया उनके उनके फाग गीतों पर आज भी झूमती है।
हरिहरपुर में पैदा हुए थे महाकवि रंगपाल
जनपद के हरिहरपुर में पैदा हुए महाकवि रंगपाल के फाग गीत पूर्वांचल सहित देश-विदेश में गाए जाते हैं। इनके लोक व फाग गीत, विविध साहित्यिक रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं। गांवों, कस्बों में लोग होली पर्व करीब आते ही ढोल, मजीरा लेकर समूह में इनके फाग गीतों को गाना शुरू कर देते हैं जो पर्व खत्म होने तक चलता है।
कवियत्री मां का पड़ा असर
रंगपाल का जन्म फाल्गुन कृष्ण पक्ष 10 संवत 1921 विक्रमी (20 फरवरी 1864) को हुआ था। पिता विश्वेश्वर वत्स पाल सूर्यवंश राज परिवार महुली के वंशज थे। मां सुशीला देवी संस्कृत व हिंदी की उत्कृष्ट कवियत्री थीं। मां का पूरा प्रभाव रंगपाल पर पड़ा और लोक साहित्य की रचना करने लगे। घनानंद के समकालीन कवि रहे इस महाकवि ने मानव, ऋतुओं, पशु-पक्षियों, जीव-जंतु आदि पर रचनाएं लिखीं। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने उन्हें महाकवि कहा था। इनकी कोई संतान नहीं थी। भाद्रपद 1936 में निधन हुआ।
महाकवि ने जन-जन तक पहुंचाया फाग गीत
हीरालाल रामनिवास स्नातकोत्तर महाविद्यालय के डा. प्रताप विजय कुमार ने कहा कि रंगपाल ने फाग गीत को न केवल नया आयाम दिया, बल्कि इसे जन-जन तक पहुंचाया। अपनी रचना को आम जनमानस की भाषा में पेश किया। देश-विदेश में हिंदी भाषी होली पर्व आने पर उनके फाग गीत गुनगुनाने लगते हैं।
कवि भारतेंदु से मिला था आशीर्वाद
पाल सेवा संस्थान, हरिहरपुर के अध्यक्ष बृजेश पाल ने कहा कि बनारस में भारतेंदु हरिश्चंद्र के यहां कवि सम्मेलन में रंगपाल ने अपने फाग से साहित्यिक प्रतिभा का परिचय दिया था। इस पर भारतेंदु ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि तुम पुरबियों के सबसे लोकप्रिय कवि होगे। यह सच साबित हुआ। रंगपाल होली गीत लिखने में अपने को रमा लिए और फिर रमते ही चले गए।