Golden Victory Day: यादें ताजा हुई तो डबडबा गईं वीर नारियों की आंखें
Golden Victory Day गोरखपुर पहुंची विजय मशाल यात्रा के स्वागत के बाद देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सैनिकों की छह वीर नारियों को उपहार देकर सम्मानित किया गया। समारोह में यादें ताजा हुईं तो वीर महिलाओं की आंखें डबडबा गईं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मिलिट्री स्टेशन कूड़ाघाट में स्वर्णिम विजय मशाल यात्रा के स्वागत के बाद देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सैनिकों की छह वीर नारियों को उपहार देकर सम्मानित किया गया। समारोह में यादें ताजा हुईं तो वीर महिलाओं की आंखें डबडबा गईं।
इन्हें किया गया सम्मानित
कुशीनगर जिले के सेवरही एरिया के धर्मपुर निवासिनी वीर नारी शिवराजी पत्नी शहीद सैनिक मेघनाथ महतो, लक्ष्मी थापा पत्नी शहीद सैनिक शेर बहादुर गुरूंग, चंपा पत्नी शहीद सैनिक लाल बहादुर थापा, पिंकी चौरसिया पत्नी शहीद सैनिक चंद्रभान चौरसिया निवासी दुमही कुशीनगर, सुनीता गौड़ पत्नी शहीद सैनिक राम सेवक गौड़ निवासी ददरी, बड़हलगंज, गोरखपुर एवं श्रीमती रीना सिंह पत्नी शहीद नायक रंजीत सिंह निवासी आदर्श नगर सिंघडि़या मूल निवासी मरदह, गाजीपुर को उपहार देकर सम्मानित किया गया। भारत-पाक युद्ध में शामिल होने वाले पूर्व अफसरों और सैनिकों को भी लेफ्टिनेंट जनरल एस. मोहन, एसएम, वीएसएम द्वारा सम्मानित किया गया।
सम्मान के दौरान वीर नारियों को जहां उनकी पुरानी यादें ताजा हुईं और उनकी अंदर ही अंदर आंखें नम रहीं तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अपने पतियों के सर्वोच्च बलिदान पर गर्व की अनुभूति भी की। मेघनाथ महतो भारत-पाक युद्ध के दौरान 14 दिसम्बर, 1971 को राजस्थान में शहीद हो गए थे। नायक रंजीत सिंह बारामूला में शहीद हुए थे। सबसे कम उम्र की वीर नारी पिंकी चौरसिया के पति कुपवाड़ा में शहीद हुए थे। वीर नारियों ने अपने पाल्यों की नौकरी और कुछ समस्या से अधिकारियों को अवगत कराया। जिसका अविलंब निराकरण कराने का भरोसा मिला। ले. जनरल एस मोहन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि शहीद सैनिकों के पाल्यों को नौकरियों में जाने के लिए पांच अंक का वेटेज होता है। भर्ती के मानकों को पूरा कर पाल्य भी सेना में जाकर देश की सेवा कर सकते हैं।
गोरखा वार मेमोरियल में दी गई श्रद्धांजलि
1971 में भारतीय सेना ने शौर्य दिखाते हुए पाक को शिकस्त दी थी। जीत के 50 वर्ष पूरे होने पर देशभर में साल 2021 को स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसी उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय मशाल यात्रा पूरे देश में निकाली गयी है जो भारत के विभिन्न मिलिट्री स्टेशनों से होते हुए 16 दिसम्बर, 2021 को नेशनल वार मेमोरियल नई दिल्ली पहुंचेगी। इसी क्रम में शुक्रवार की रात गया से स्वर्णिम विजय मशाल यात्रा जीआरडी के गोरखपुर मिलिट्री स्टेशन पहुंची। मिलिट्री स्टेशन कूड़ाघाट में आयोजित कार्यक्रम में इस स्वर्णिम विजय मशाल यात्रा का भव्य स्वागत किया गया।
लेफ्टिनेंट जनरल एस. मोहन जीओसी हेडक्वार्टर मध्य भारत एरिया व पूर्व सैनिकों की तरफ से मेजर जनरल एसके जसवाल, एवीएसएम ने मशाल को रिसीव किया। इसके बाद गोरखा वार मेमोरियल पर 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित कर सलामी दी गयी। ब्रीथिंग सेरेमनी में लेफ्टिनेंट जनरल एस. मोहन, सेवानिवृत्त मेजर जनरल एसके जसवाल के मिलिट्री स्टेशन कूड़ाघाट के स्टेशन कमांडर ब्रिगेडियर पंकज सिंह, वीएसएम, ले.कर्नल वीजय नरसिम्मन, सूबेदार मेजर बकांता राना एवं राइफलमैन जीवन गुरूंग शामिल रहे। चाय पर चर्चा के दौरान छह वीर नारियों और भारत-पाक युद्ध में भाग लेने वाले पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया। इसके बाद स्वर्णिम विजय मशाल को एयरफोर्स स्टेशन गोरखपुर को सौंपा गया। जहां से यह मशाल यात्रा एनसीसी हेडक्वार्टर होते हुए शाम को मिलिट्री स्टेशन कूड़ाघाट पहुंची। स्वर्णिम विजय मशाल यात्रा 21 नवम्बर को प्रयागराज के लिए प्रस्थान करेगी।
मिलिट्री स्टेशनों के लिए रवाना हुई थी चार स्वर्णिम विजय मशाल
नेशनल वार मेमोरियल सेंट्रल कमांड, दिल्ली से चार स्वर्णिम विजय मशाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 दिसम्बर, 2020 को एक साथ जलाकर देश के विभिन्न मिलिट्री स्टेशनों के रवाना किया था। मशाल को गोरखपुर में रिसीव करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल एस. मोहन, ने बताया कि भारत-पाक युद्ध 1971 की विजय के 50 वर्ष पूरे होने पर साल 2021 को हम स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मना रहे हैं। हमने यह मशाल 16 सितम्बर, 2021 को मऊ मिलिट्री स्टेशन इंदौर में रिसीव किया था। स्वर्णिम विजय मशाल जबलपुर, रायपुर, भुवनेश्वर, गोपालपुर, बालासोर, गया होते हुए 19 नवम्बर को गोरखपुर पहुंची है। सैन्य स्टेशन कूड़ाघाट में सम्मान के बाद 21 नवम्बर को प्रयागराज को रवाना होगी। जहां से कानपुर फिर लखनऊ होते हुए 16 दिसम्बर, 2921 को विजय दिवस के अवसर पर नेशनल वार मेमोरियल सेंट्रल कमांड नई दिल्ली पहुंचेगी।