भाई नहीं है तो क्या हुआ, मधु ने चढ़ाया 'जागृति का तिलक Gorakhpur News
बकौल केशव जागृति की शादी तय होने के बाद मधु ने तिलक चढ़ाने की इच्छा जताई। पहले अजीब लगा। फिर सोचा कि जब बेटे-बेटी में कोई भेद नहीं तो बेटी से तिलक चढ़वाने में क्या दिक्कत। इससे तो समाज में बेटियों का सम्मान बढ़ेगा।
भगवान दुबे, गोरखपुर। बेटा नहीं तो क्या हुआ, बेटी तो है। जो काम बेटा कर सकता है, बेटी क्यों नहीं। बस शुरूआत करने की जरूरत है। ऐसी ही शुरुआत की है, चौरीचौरा के रामूडीहा में एमएससी शिक्षा प्राप्त व निजी स्कूल की प्रधानाचार्य मधु सिंह ने। मधु ने गुरुवार की रात 'जागृति का तिलक चढ़ाकर समाज को संदेश दिया कि भाई नहीं है तो क्या हुआ, बहन भी तिलक चढ़ा सकती है।
निजी स्कूल संचालक की हैं चार बेटियां
रामूडीहा निवासी केशव सिंह दो निजी स्कूल चलाते हैं। उनकी पत्नी बिंद्रावती देवी सरदारनगर के प्राथमिक विद्यालय बैकुंठपुर में प्रधानाध्यापक हैं। उनकी चार बेटियां हैं। शिक्षक दंपती ने अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बड़ी बेटी रुचि सिंह ने बीटेक के बाद बीएड किया है तो दूसरी बेटी जागृति सिंह ने पालिटेक्निक और एमएड। तीसरी संतान मधु सिंह एमएससी पास हैं और पिता के स्कूल में प्रधानाचार्य हैं। चौथी पुत्री गगन सिंह एमएससी, बीएड करने के बाद न्यूट्रीशियन का कोर्स कर एक निजी अस्पताल में काम कर रही हैं।
क्या कहते हैं पिता केशव
बकौल केशव, जागृति की शादी तय होने के बाद मधु ने तिलक चढ़ाने की इच्छा जताई। पहले अजीब लगा। फिर सोचा कि जब बेटे-बेटी में कोई भेद नहीं तो बेटी से तिलक चढ़वाने में क्या दिक्कत। इससे तो समाज में बेटियों का सम्मान बढ़ेगा। लोग उन्हें प्रोत्साहित करेंगे। बशारतपुर के रामजानकी में रहने वाले वर पक्ष से बात की। उन्होंने भी सकारात्मक रुख दिखाया। वर सुधाकर सिंह आइआइटी कानपुर से एमटेक और सिंचाई विभाग में सहायक अभियंता हैं। वह और उनका परिवार बेहद खुश है कि वह इस पहल का हिस्सा बन रहे हैं।