पछुआ से 'बाली' उमर में पीला पड़ा गेहूं
हल्दिया रोग से धान की फसल मारे जाने से किसान उबरे नहीं थे कि अब गेहूं और सरसों पर पछुआ हवा कहर बनकर टूट रही है। तीन दिनों से चल रही पछुआ हवा और बढ़े तापमान से गेहूं बाली आने की अवस्था में ही पीला पड़ने लगा है। यही हाल सरसों के साथ भी है।
सिद्धार्थनगर : हल्दिया रोग से धान की फसल मारे जाने से किसान उबरे नहीं थे कि अब गेहूं और सरसों पर पछुआ हवा कहर बनकर टूट रही है। तीन दिनों से चल रही पछुआ हवा और बढ़े तापमान से गेहूं बाली आने की अवस्था में ही पीला पड़ने लगा है। यही हाल सरसों के साथ भी है। किसान चिंतित हैं कि तेज पछुआ हवा के चलते गेहूं व सरसों की फसल में दाने कमजोर पड़ेंगे। उत्पादन घटेगा। यानी इस बार भी नुकसान झेलना पड़ सकता है। पछेती फसल भी प्रभावित होगी, क्योंकि हवा से जमीन में नमी की भी कमी हो रही है।
बीते तीन दिन से तेज पछुआ हवा चल रही है। फसलों पर इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है। अगेती गेहूं व सरसों की फसल में बाली आ गई है और इस वक्त दाने पड़ने शुरू हो गए हैं। किसानों की मानें तो हवा के चलते दाने कमजोर पड़ जाएंगे। उनका वजन कम होगा। वहीं पछेती प्रजाति को बचाने के लिए बार-बार पानी चलाने की जरूरत होगी, जिससे लागत काफी बढ़ जाएगी। आलू और मटर की अगेती फसल तो किसी तरह तैयार हो गई, लेकिन इनकी भी पछेती प्रजाति पर संकट है। पछुआ हवा के चलते फसल तैयार होने से पहले ही सूख जाएगी।
किसान दिलीप चौधरी, विशाल कुमार, दुर्गेश, सतीश चंद्र, सुनील कुमार, हरेंद्र आदि ने बताया कि तैयार होने के करीब पहुंच चुके लहसुन और प्याज पर भी असर दिख सकता है। मिट्टंी से नमी कम होने पर दाने छोटे रह सकते हैं। पालक, मेथी भी सूखने लगेगी। सोहना कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डा. मारकंडेय सिंह ने बताया कि किसानों के पास इस समय बचाव का कोई उपाय नहीं है। जिन्होंने गेहूं की तीसरी सिचाई कर दी है, उन्हें फायदा होगा। बाकी को नुकसान झेलना पड़ेगा। जिले की मिट्टी मटियार है, इसलिए ऐसे मौसम में पानी भी नहीं चलाया जा सकता।