तीसरी नजर : अंधेरे ही हमें रास आते हैं Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से नवनीत प्रकाश त्रिपाठी का साप्ताहिक कालम-तीसरी नजर...
नवनीत प्रकाश त्रिपाठी, गोरखपुर। उजाले से किसे प्यार नहीं होगा? चाहे जीवन में हो या फिर घर-आंगन में। राजघाट क्षेत्र में अमुरतानी का इलाका है। क'ची शराब से लेकर नशे के धंधे के लिए बदनाम। अमुरतानी में अमरूद के पेड़ इतनी अधिक तादाद और इतने घने हैं कि दिन में भी रात का अहसास होता है। धंधे के लिए बिल्कुल मुफीद माहौल। इसकी जड़ पर चोट करने के लिए पुलिस ने अमुरतानी में उजियारा कराने का फैसला लिया। बिजली विभाग से बात की और इस इलाके के चप्पे-चप्पे को रोशन करने की योजना बनाई। इस पर अमल भी शुरू हो गया। बिजली के खंभे और तार लगने लगने शुरू हुए। शुरुआत में सब ठीक रहा, लेकिन अंदरूनी इलाके में काम शुरू होते ही धंधेबाजों को दिक्कत शुरू हो गई। उन्होंने विरोध शुरू कर दिया। ठीकेदार और जेई से मारपीट कर ली। क्योंकि उजाला उन्हें पसंद नहीं, धंधे को तो अंधेरा ही रास आता है।
कोरोना में 'विकास की मार
कोरोना महामारी शुरू होने के साथ ही मुश्किलें पुलिस के पीछे ही पड़ गई हैं। शुरुआती दिनों में लॉकडाउन लगने के साथ ही दिन-रात की ड्यूटी शुरू हो गई। साथ में रोजमर्रा के काम निपटाने की जिम्मेदारी भी। अनलॉक हुआ तो महामारी रोकने के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन कराने में पसीने छूटने लगे। धीरे-धीरे दिनचर्या पटरी पर आ रही थी कि 'विकासÓ की मार पड़ गई। विकास, माने कानपुर कांड वाला गैंगस्टर विकास दुबे। वह तो मुठभेड़ में मार दिया गया, लेकिन पुलिस वालों की मुश्किलें बढ़ा गया। सरकार ने माफिया और बदमाशों को जेल भेजने या फिर ठिकाने लगाने की ठान ली है। जाहिर है यह टास्क पुलिस को ही पूरा करना है। कोरोना की चुनौती के के बीच सरकार का टास्क पूरा करने में पुलिसकर्मी हलकान हो रहे हैं। मगर, अधिकारी से लेकर मातहत तक का दर्द यह है कि वे चाहकर उफ भी नहीं कर सकते।
कैंट थाना कहां चला गया
कोरोना महामारी को देखते हुए शहर के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग बंदी करने का फैसला लिया गया है। पहले चरण में कोतवाली, राजघाट और तिवारीपुर इलाके को एक सप्ताह के लिए बंद रखा गया। सोमवार को एक सप्ताह की अवधि पूरी होने के बाद मंगलवार से गोरखनाथ और शाहपुर इलाके में एक सप्ताह की बंदी लागू की गई। इससे पहले चर्चा थी कि कैंट इलाके में भी बंदी रहेगी। रविवार की देर रात तक प्रशासनिक अमले की तैयारियों से भी ऐसा ही लग रहा था। वर्दी वाले महकमे के शहर कप्तान ने तो कैंट इलाके में भी बंदी रहने को लेकर मातहतों को तैयारी करने का लिखित निर्देश भी जारी कर दिया था, लेकिन जिले के आला अधिकारी ने बंदी का फरमान जारी किया तो उसमें कैंट थाने का नाम ही नहीं था। अब मजाक में ही सही हर कोई पूछ रहा है कि आखिर कैंट थाना कहां चला गया?
नजर नहीं आ रहे साहब
अनलॉक शुरू होने के साथ शहर में भीड़ भी बढ़ गई है। जिसकी वजह से शहर के तमाम हिस्सों में अब जाम भी लगने लगा है। यातायात संभालने वाले साहब का कुछ दिन पहले ही तबादला हो गया था। उनकी जगह आए नए साहब ने कार्यभार ग्रहण भी कर लिया है। पहले वाले साहब इतने सक्रिय रहते थे कि शहर में हर जगह उनकी मौजूदगी रहती थी। उनके सक्रिय रहने से मातहत भी दिन भर सड़क पर दौड़ते-भागते और जाम छुड़ाते रहते थे। जिससे जाम से कुछ हद तक लोगों को राहत रहती थी। नए वाले साहब कार्यालय से निकलते ही नहीं। इसका असर मातहतों पर भी दिख रहा है। वे चौराहों पर मौजूद रहने की बजाय कमाई वाले स्थानों पर अधिक मंडराते हैं। नतीजा, जिन सड़कों पर कभी जाम नहीं लगता था, उन पर भी जाम लगने लगा है। फिर भी नए वाले साहब नजर नहीं आ रहे हैं।