परिसर से : ढूंढे नहीं मिल रहा गुरुजी का 'सैनिटाइजर Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से प्रभात कुमार पाठक का साप्ताहिक काॅलम-परिसर से...
प्रभात कुमार पाठक, गोरखपुर। इन दिनों गुरुजी कुछ अधिक परेशान हैं। वजह, साल के बारहों महीने फुल सैनिटाइज रहने वाले गुरुजी को कोरोना संकट में 'सैनिटाइजर नहीं मिल पा रहा। कभी उनके घर में एडवांस एक-दो शीशी रखी मिलती थीं। आजकल वह भी नहीं है। कोरोना वायरस ने तो गुरुजी को सचमुच संकट में डाल दिया है। आसानी से मिलने वाला 'सैनिटाइजर भी लोगों की पहुंच से दूर है। गुरुजी इसी चिंता में डूबे थे कि कहीं से इंतजाम हो जाए, तभी एक शुभचिंतक ने उन्हें 'सैनिटाइजर पता बता दिया। गुरुजी का चेहरा खुशी से चमक उठा। गुरुजी बताए पते पर पहुंचे, वहां शटर बंद था, तभी उनकी निगाह दुकान के पिछले हिस्से की चहारदीवारी पर पड़ी। एक व्यक्ति ने गत्ता भर 'सैनिटाइजर चहारदीवारी के ऊपर से बाहर खड़े लोगों को पकड़ा दिया। कड़ी मशक्कत के बाद गुरुजी ने भी एक बोतल 'सैनिटाइजर हासिल करने में सफलता पा ली, लेकिन डेढ़ गुना दाम पर।
पहले 'डांटा, फिर मांगा डाटा
कोरोना को लेकर अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने की सरकार की मंशा के अनुरूप सभी विभाग इस अभियान में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा वाले साहब ने भी शिक्षकों को हर रोज सोशल मीडिया के जरिये जागरूकता फैलाने का फरमान जारी किया। लेकिन, क्या मजाल कि उनके इस फरमान का अनुपालन हो। ऐसे में साहब की शासन में खूब 'किरकिरी हुई। ऐसे में उनकी नाराजगी भी जाहिर थी। उन्होंने शिक्षकों व कर्मचारियों को फटकार लगाई, चेतावनी दी। उन्हें लगा कि अब उनके फरमान का पालन होगा, लेकिन उनकी यह 'गलतफहमीÓ भी दो-चार दिन में ही दूर हो गई। मामला फिर वही 'ढाक के तीन पात। उन्होंने नया फरमान जारी कर सभी मातहतों को प्रतिदिन कोरोना को लेकर अपील के साथ ही फोटो व 'स्क्रीनशॉट उपलब्ध कराने को कहा है। पहले साहब की 'डांट और फिर उनके द्वारा मांगा गया अपील का 'डाटा फिलहाल चर्चा में है।
दान से बढ़ा 'गुरुजी का मान
कोरोना से जंग में आजकल हर आदमी बढ़-चढ़कर भागीदारी निभा रहा है। ऐसे में शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर के गुरुजन इससे अछूते रह जाएं यह तो हो ही नहीं सकता। कहने के लिए बड़े साहब की अपील पर कोरोना से जंग में सभी शिक्षकों व कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन दिया, लेकिन एक गुरुजी ने तो अकेले एक लाख का 'दान देकर सारी सुर्खिंयां बटोर लीं। अन्य लोगों के लिए नजीर बने गुरुजी ने सोशल मीडिया पर अपना यह नेक कार्य साझा किया तो उन्हें खूब 'वाहवाही मिली। सभी ने मुक्त कंठ से उनके इस नेक कार्य की प्रशंसा की। अपने तारीफों के पुल से गदगद गुरुजी इन दिनों फूले नहीं समा रहे। लोग बात-बात में एक-दूसरे को गुरुजी से प्रेरणा लेने की सलाह तक दे रहे हैं। खैर जो भी हो, कोरोना वायरस को लेकर दान से 'गुरुजी का मान बढ़ गया है।
कोरोना से जंग में कवि बने 'गुरुजी
इन दिनों हर तरफ कोरोना वायरस की ही चर्चा है। पूरा विश्व इस महामारी से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है। अपने यहां भी जरूरी सेवाओं को छोड़ विश्वविद्यालय सहित सभी शैक्षिक संस्थाएं और सरकारी व निजी कार्यालय बंद हैं। घर से बाहर निकलने की मनाही है। लोगों को जरूरत का सामान उनकी मांग पर घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। लोग सरकार की ओर से घोषित लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। ऐसे में गुरुजी घर में खाली बैठकर क्या करते, इसलिए उन्होंने कविता पर हाथ आजमाने की ठान ली। अपनी 'रचनाधर्मिताÓ से गुरुजी ने सबको बता दिया है कि उन्हें सिर्फ पढ़ाना ही नहीं आता, बल्कि वे कवि व साहित्यकार बनने का भी माद्दा रखते हैं। 'गुरुजी की लिखी कविताएं व कहानियां आजकल लोगों के बीच चर्चा में हैं। अब लोग भी कहने लगे हैं कि कोरोना से जंग में गुरुजी 'कविÓ बन गए हैं।