तीसरी नजर: मतदाताओं का खेल, धुरंधर हुए फेल Gorakhpur News
गोरखपुर से साप्ताहिक कालम में इस बार पुलिस विभाग को फोकस किया गया है। यह रिपोर्ट पुलिस विभाग के अधिकारियों और थानेदारों की कार्य प्रणाली पर आधारित है। आप भी पढ़ें गोरखपुर से नवनीत प्रकाश त्रिपाठी का साप्ताहिक कालम तीसरी नजर---
गोरखपुर, नवनीत प्रकाश त्रिपाठी। पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही गांव-गांव राजनीतिक बिसातें बिछनी शुरू हो गई थीं। खासकर प्रधान पद के कई उम्मीदवारों ने मतदाताओं को रिझाने के लिए हर जतन करना शुरू कर दिया था। जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आती रही, चुनाव जीतने की उम्मीदों को परवान चढ़ाने के लिए वे मतदाताओं को खिलाने और पिलाने तक का उद्यम करते रहे। एक-एक वोट की कीमत अदा करने से भी नहीं चूके। मतदाताओं को रिझाने में खर्च की गई रकम के आधार पर ऐसे उम्मीदवार खुद को जीता मान रहे थे, लेकिन जीत तो किसी एक की होनी थी। खुद को राजनीति का धुरंधर समझकर भावी प्रधान मान बैठे उम्मीदवार मतदाताओं के खेल में उलझकर फेल हो गए। जीत का सेहरा प्रतिद्वंद्वी के सिर पर सज गया। हारे हुए उम्मीदवार अब चुनाव में खर्च का हिसाब-किताब और खाने-पीने के बाद भी धोखा देने वालों की पहचान करने में जुट गए हैं।
कमाऊ थानों पर नजर
जिले में कार्यरत कई दारोगा और इंस्पेक्टर उम्मीदवारों से भी अधिक बेसब्री से पंचायत चुनाव की गणना खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि यहां के आधा दर्जन से अधिक थानेदारों का गैर जनपद तबादला हो चुका है। पंचायत चुनाव की वजह से उन्हें रोका गया था। मतगणना खत्म होने के बाद गैर जिले के लिए उनकी रवानगी होनी तय है। इंतजार में बैठे इंस्पेक्टर और दारोगाओं ने उम्मीद पाल रखी है कि थानों के खाली होने के बाद उन्हें भी थानेदारी का मौका मिल सकता है। दौड़ में शामिल दारोगा और इंस्पेक्टर इसके लिए जोड़-तोड़ भी करने लगे हैं। सभी की कोशिश खाली हो रहे खास थानों में तैनाती की है। उधर पहले से थानेदारी कर रहे दारोगा और इंस्पेक्टर भी कमाऊ थानों की कुर्सी पाने की होड़ में शामिल हैं। कमाऊ थानों पर नजर तो सबकी है, लेकिन देखना यह है कि किसे क्या हासिल होता है?
बैंड बंद करो, पुलिस आ रही है
पिछली बार कोरोना का संक्रमण शुरू होने पर काफी लोगों ने शादियां टाल दी थीं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। कोरोना के प्रकोप के बीच भी शादियां हो रही हैं। प्रशासन ने शादी समारोह के लिए प्रोटोकाल जारी कर रखा है। कोरोना कफ्यरू शुरू होने से पहले शादी संपन्न करा लेने का निर्देश जारी किया गया है। इससे पहले जहां देर रात तक बराती नाचते-गाते विवाह स्थल पर पहुंचते थे, वहीं अब बरातें जल्दी उठने लगी हैं। इस आपाधापी में बैंड वालों को भुगतान की गई रकम पूरी तरह वसूल नहीं हो पा रही है। ऐसे में बैंड वालों को मैरेज हाउस के सामने खड़े होकर बैंड बजाने को कहा जा रहा है। रात आठ बजे कोरोना कफ्यरू शुरू होने पर पुलिस का सायरन बजने के बाद ही उन्हें राहत मिल रही है। कार्रवाई के डर से बरात मालिक कहते हैं, अब बैंड बंद करो, पुलिस आ रही है।-----
कोरोना है थाने में मत रखो
कोरोना के प्रकोप से हर आम-ओ-खास प्रभावित है, लेकिन इस महामारी ने पुलिस वालों को अजीब तरह की मुश्किल में डाल रखा है। मुकदमों में वांछित आरोपितों को गिरफ्तार करना उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन शहर के एक थानेदार किसी भी अभियुक्त को रात में थाने में नहीं रहने दे रहे हैं। पुलिसकर्मी किसी अभियुक्त को पकड़कर लाते भी हैं, तो वह उन्हें थाने से ही छोड़ देते हैं। थानेदार की इस कार्यशैली ने मातहतों के मन में संदेह पैदा कर दिया। उन्हें लगा कि लेन-देन कर अभियुक्तों को छोड़ा जा रहा है, लेकिन उनका हिस्सा उन्हें नहीं मिल रहा। इसको लेकर उन्होंने थानेदार से बात की, तो जवाब मिला यह कोरोना का संक्रमण काल चल रहा है। थाने लाए जाने के बाद न जाने किसका आक्सीजन लेवल कम हो जाय और उसकी जान चली जाये, तो लेने के देने पड़ जाएंगे, इसलिए किसी भी अभियुक्त को थाने में मत रखो।