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साप्‍ताहिक कालम बतकही, साहब पर भारी जुगाड़ू थानेदार Gorakhpur News

गोरखपुर के साप्‍ताहिक कालम में बार पुलिस और उसकी व्‍यवस्‍था पर आधारित रिपोर्ट दी गई है। पुलिस की कार्य प्रणाली के बारे में भी इससे जानकारी होती है। आप भी पढ़ें गोरखपुर से सतीश पांडेय का साप्‍ताहिक कालम बतकही---।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 04:52 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 04:52 PM (IST)
वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, सतीश कुमार पांडेय। संतकबीरनगर से सटे थाने के प्रभारी जो सोच लेते हैं, वही करते हैं। उसके बाद अधिकारी भी अगर कुछ कहते तो नहीं मानते। जुगाड़ू थानेदार की विभाग में पूरी दबंगई चलती है। कप्तान कोई भी हो थानेदार बन ही जाते हैं। पिछले वाले कप्तान ने शिकायत पर जिले के सबसे मलाईदार थाने से हटा दिया, लेकिन जुगाड़ू दारोगा कुछ दिन बाद ही फिर थानेदार बन गए। मनमाफिक थाना न मिलने पर अपने मन से कामकाज शुरू कर दिया। पिछले वाले साहब ने एक बदमाश पर कार्रवाई करने को कहा तो टाल दिए। लोगों की शिकायत पर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा, लेकिन थानेदार ने संज्ञान ही नहीं लिया। दक्षिणी क्षेत्र वाले साहब ने पत्र लिखा, लेकिन उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिस बदमाश पर कार्रवाई करने को पत्र लिखा था, उसे पत्र की जानकारी देकर अभयदान दे दिया। शिकायत करने वालों को खबर लगी तो होश उड़ गए। 

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पुलिस ने किया डाक्टर का इलाज

तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने के शौकीन शहर के एक डाक्टर ने पिछले सप्ताह नशे की स्थिति में एक व्यक्ति को टक्कर मार दी। स्थानीय लोग जुटे तो पहुंच का एहसास कराकर निकल गए। इससे उनका हौसला और बढ़ गया। अगले दिन दोपहर में उन्होंने शहर के सबसे व्यस्त इलाके में बाइक सवार दंपती को कार से टक्कर मार दी। इस बार भी वह नशे में थे। लोगों ने रोका तो उनसे उलझ गए। आक्रोशित लोगों ने घेर लिया। सूचना मिलने पर सिपाही पहुंचे तो उनसे भी उलझ गए। चौकी प्रभारी को जानकारी हुई तो अपने पास बुलवा लिया। चौकी पर पहुंचने पर डाक्टर साहब का नशा थोड़ा कम हुआ। बेइज्जती होने का हवाला देते हुए थाने ले चलने की गुहार लगाने लगे। सिपाहियों से कहने लगे यहां मत बैठाइए, थाने ले चलिए। थानेदार के पास पहुंचे तो पूरा नशा उतर गया। मनुहार करने पर पुलिस ने मुचलके पर छोड़ा।

रेंज में आओ, तुम्हारा करुंगा शिकार

उत्तरी क्षेत्र के चौरीचौरा सर्किल में तैनात एक सिपाही को मछली काफी पसंद है। मछली खाने को वह रोजाना नए-नए उपाय करता रहता है। शर्त होती है कि मछली ताजी हो। पास-पड़ोस के किसी तालाब या नदी में पकड़ी गई हो। इलाके का एक मछुआरा रोजाना मछली पकड़कर बाजार में बेचने जाता है। पिछले सप्ताह सिपाही इलाके में गश्त पर था। घूमते हुए वह दूसरे बीट में पहुंच गया। तभी उसने देखा कि मछली वाला जा रहा है। सिपाही ने उसे रोका, पहले सवाल-जवाब किया। इसके बाद मछली मांगने लगा। मछुआरे ने कहा कि अभी वह पोटली खोलेगा तो बाजार जाने में देर हो जाएगी। वह मनुहार करने लगा। उसने किसी दूसरे दिन ताजी मछली खिलाने का भरोसा दिया। मछुआरे की नाफरमानी पर नाराज सिपाही ने कहा कि जिस दिन मेरे रेंज में आ गए तुम्हारा शिकार करुंगा। सिपाही के डर से मछुआरे ने बाजार जाने का रास्ता बदल दिया।

खुफिया वाले साहब का एकसूत्रीय अभियान

खुफिया विभाग वाले साहब खुद का एकसूत्रीय अभियान इन दिनों सुर्खियों में है। उनके इस अभियान से आम जनमानस की परेशानी बढ़ गई है। अधिकारी उनके इस कृत्य से बेखबर हैं। अपने ऊपर किसी की नजर न होने के भ्रम में खुफिया विभाग वाले साहब ने पिछले दिनों एक आदेश फरमान भी सुना दिया, जिसकी भी जांच आएगी उसको बुलाकर एक शपथ पत्र लिया जाएगा जो कप्तान के नाम से होगा। सूचना विभाग से भेजी गई एक गोपनीय जांच के दौरान इस अवैधानिक प्राविधान का भेद खुला तो वे तिलमिला गए। आवेदक के शपथ पत्र देने से इन्कार करने पर जांच ही लटका दी। शिकायत पर कप्तान ने पूछताछ की तो खुफिया विभाग में हड़कंप मच गया। दारोगा ने हाथ खड़े कर लिए। विभाग में चर्चा है कि जबसे नए वाले साहब आए हैं एक सूत्रीय अभियान चला रहे हैं। यह अभियान क्या है वहीं समझ पाएगा, जिसका पाला पड़ेगा।    


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