चौपाल : चाचा पर भारी चुनाव की तैयारी Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से जितेन्द्र पांडेय का साप्ताहिक कालम चौपाल...
जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। सोशल मीडिया से लेकर टेलीविजन तक नेताजी की तीखी बहस देख चंदू चाचा ने भी मन बनाया कि चुनाव लड़ेंगे। मंथन करने लगे कि बहस में जब तक पक्ष मजबूती से नहीं रखूंगा, अ'छा नेता नहीं बनूंगा। पहले विपक्ष के लोगों के सवालों का जवाब और जरूरत पड़ी तो अपनी पार्टी के लोगों से भी। आजकल यही चलन है। मध्यप्रदेश, राजस्थान का असर अपने जिले में भी दिख रहा है। खूब नोक-झोंक चल रही है। यहां तक कि चाचा-भतीजे के विवाद में बिखर चुकी पार्टी के लोग भी सलाह देने से नहीं चूकते। चाचा ने सोचा क्यों न शुरुआत घर से ही करेें। चाची से बोले, अब मेरे साथ इज्जत से पेश आना। बड़ा आदमी बनने वाला हूं। चाची परेशान, बिना शाम हुए ही यह बड़े आदमी कैसे बन गए। कहीं सुबह-सुबह तो नहीं चढ़ा ली। मुंह सूंघा तो महक नहीं। जोर से डांटा- इसीलिए कहती हूं, छोड़ दो शराब।
फसल बचे, तब तो लें यूरिया
शहर से 12 किलोमीटर दूर एक गांव में पहुंचा तो देखा कि चारों तरफ पानी ही पानी है। गांव के एक व्यक्ति से पूछा- चाचा इस बार तो यूरिया का बड़ा संकट होगा। चाचा बोले- कैसा संकट। सैकड़ों गांवों की फसल तो बाढ़ ने निगल ली। रिश्तेदारों से बात होती है, तो वह भी यही कहते हैं कि इस बार तो खेतों में कुछ भी नहीं बचा। चाचा बोले फसल रहेगी तब तो यूरिया लेंगे और हमें जरूरत ही नहीं, तो संकट किस बात का। मैं चिंता में पड़ गया कि किसानों ने लिया नहीं और 75 फीसद यूरिया खत्म। नीमकोटेड होने के कारण अब यह नेपाल भी नहीं जा रही। आखिर खपत कहां हो रही है। तभी चाचा बोल पड़े कि यूरिया की जरूरत किसानों को नहीं, बल्कि दूध बनाने के लिए है। पशु आहार बनाने के लिए है और जब इतनी मांग रहेगी, तो खपत तो होगी ही।
तू डाल-डाल मैं पात-पात
पेड़ पौधे वाले विभाग की निगरानी करने वाले साहब हैं बड़े कमाल के। जंगल में गश्त बढ़ी, तो तस्कर बारिश के दिनों की प्रतीक्षा करने लगे। जंगल में विभागीय वाहन पहुंचने में कठिनाई हुई, तो तस्करों ने उसका जमकर लाभ उठाया। तस्करों से निपटने के लिए साहब ने दूसरे रेंज के वन कर्मियों को साप्ताहिक ड्यूटी पर लगा दिया। तस्कर अब परगापुर ताल व सरुआ ताल के रास्ते नाव के सहारे तस्करी करने लगे। साहब काफी दिनों से प्रयास में थे, लेकिन यह बात बेबस कर रही थी कि तस्करों से निपटा कैसे जाए। साहब ने यह बात जिले वाले बड़े साहब को बताई, तो उन्होंने आपदा विभाग की स्टीमर दे दी और बोले कि अब इससे तस्करों को पकड़ो। स्टीमर आ गई है। साहब को प्रतीक्षा है कि जल्द कोई अ'छी खबर आएगी। स्टीमर आने से कई कर्मचारियों के भी हाथ-पांव फूल गए हैं। अब कोई बहाना नहीं चलेगा।
आखिर कौन है भेदिया
यूरिया बिक्री में अनियमितता को लेकर जांच शुरू हुई। बड़े साहब का निर्देश, यह अत्यंत गोपनीय अभियान है। किसी को भनक न लगे। विभाग ने गोपनीयता भी बरती, लेकिन अधिकारी जांच कर अपनी रिपोर्ट तैयार करते उससे पहले दूसरे दिन सब कुछ अखबारों में आ जाता। विभाग के तमाम अधिकारी तो इतने परेशान हुए कि उन्होंने डर के मारे अपने घर का फोन तक उठाना बंद कर दिया। सभी ने आपस में बैठक की। लोग एक-दूसरे को संदेह की नजर से देखने लगे। फिलहाल सभी ने ठान लिया कि विभाग का कोई भी व्यक्ति मीडिया कर्मियों को कुछ नहीं बताएगा। एक दिन साहब अपने कार्यालय से बाहर निकले ही थे कि एक मीडिया कर्मी ने फोन करके उनसे यूं ही पूछ लिया कि आप बाहर निकल गए क्या? साहब तुरंत कार्यालय में वापस आकर सभी को चेतावनी देने लगे कि आखिर कौन यहां की बातें बाहर लीक कर रहा है।