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बिंब-प्रतिबिंब : नाती-पोते भी अटेंड कर रहे मीटिंग Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर डा. राकेश राय का साप्‍ताहिक कालम बिंब-प्रतिविंब

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 01:47 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 01:47 PM (IST)
बिंब-प्रतिबिंब : नाती-पोते भी अटेंड कर रहे मीटिंग Gorakhpur News
बिंब-प्रतिबिंब : नाती-पोते भी अटेंड कर रहे मीटिंग Gorakhpur News

डॉ. राकेश राय, गोरखपुर। कोरोना संक्रमण काल में फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हुए राजनीतिक गतिविधियों को जारी रखने के लिए फूल वाली पार्टी ने ऑनलाइन मीटिंग को अपनी कार्यप्रणाली का हिस्सा बना लिया है। पार्टी नेतृत्व इसे सहूलियत मान रहा क्योंकि बिना भागदौड़ किए राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का सानिध्य और मार्गदर्शन कार्यकर्ताओं को मिल जा रहा है। वहीं कुछ पुराने बुजुर्ग नेताओं की लिए मीङ्क्षटग का यह जरिया सहूलियत की जगह सांसत बन गया है। जैसे ही मीटिंग को लेकर फोन जा रहा, उनके हाथ-पांव फूलने लग रहे। तकनीकी रूप से अपडेट न होने के चलते उन्हें अपने नाती-पोतों का सहारा लेना पड़ रहा। नतीजतन जो मीटिंग सिर्फ उन्हें ही अटेंड करनी चाहिए, उसमें नाती-पोतों की अनायास भागीदारी हो जा रही। कई बार तो ऐसे नेताओं को पार्टी की ऑनलाइन गतिविधियों में बने रहने के लिए नाती-पोतों को उपहार स्वरूप 'घूस भी देनी पड़ रही, तब जाकर बात बन रही।

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खुद को खुदा समझ बैठे थे जनाब

कोविड-19 का प्रोटोकॉल न टूटे और छात्रों का साल भी न खराब हो, शहर के तकनीकी शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर ने इसका मुकम्मल इंतजाम समय से पहले ही कर लिया। प्रमोशन का बाकायदा फार्मूला तैयार कराकर उस मुताबिक कार्यवाही भी शुरू हो गई। फार्मूले को लागू करने की प्रक्रिया में ऑनलाइन क्विज की तैयारी अभी चल ही रही थी कि हर कोर्स की अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने का यूजीसी का फरमान आ गया। मतलब, एक झटके में करीब दो महीने की मेहनत पर पानी फिर गया। इससे जहां एक ओर इस तैयारी में शिद्दत से जुड़े शिक्षकों और अधिकारियों का चेहरा उतर गया तो दूसरी ओर उन लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा, जिनका इस तेजी से शुरू से ही इत्तेफाक नहीं था। यूजीसी के फरमान की जानकारी मिलते ही ऐसे ही एक व्यक्ति मुखिया पर तंज कर बैठे। बोले- खुद को खुदा समझ बैठे थे जनाब।

कोविड पर भारी दावत का प्रोटाकॉल

देश की सबसे शक्तिशाली पार्टी के कुछ स्थानीय नेता सरकार और शीर्ष नेताओं के निर्देश पर लोगों को तो कोविड-19 के प्रोटोकॉल पालन की नसीहत दे रहे, पर खुद अमल नहीं कर रहे। प्रोटोकॉल को ताक पर रख इन नेताओं के एक गुट ने न केवल इन दिनों सामूहिक दावत का रास्ता निकाल लिया है बल्कि इसका एक अलग ही प्रोटोकॉल तय कर रखा है। गुट के एक दावत-प्रेमी नेताजी ने तो इसके लिए बाकायदा साथी नेताओं की शादी की सालगिरह और जन्मदिन की सूची भी तैयार कर ली है। जो नेता जब इस दायरे में आ रहा, उसके घर सज जा रही दावत की महफिल। ऐसा नहीं कि दावत में शामिल होने वाले सभी नेता कोरोना काल में हो रहे इन आयोजनों से खुश हैं। कई का इससे वैचारिक विरोध भी है, लेकिन विरोध मुखर इसलिए नहीं हो पा रहा क्योंकि रहना तो उन्हें भी उसी समाज में है।

देखरेख से मुक्त है मुक्ताकाशी रंगमंच

रंगकर्मी पूर्वांचल के रंगकर्म को जिंदा रखने के लिए अपने स्तर पर चाहे जितने भी जतन कर लें, शासन-प्रशासन उनका साथ नहीं देने वाला। बानगी तारामंडल क्षेत्र में बने मुक्ताकाशी रंगमंच में देखी जा सकती है। मोटी रकम लगाकर उसे चमकाया गया, पर देखरेख के अभाव में चमक एक बार फिर गायब हो चली है। झाड़-झंखाड़ का साम्राज्य पुराने स्वरूप में है, कीड़े-मकोड़ों का आशियाना पहले जैसे आबाद है। वजह जानकर आपको आश्चर्य होगा। यह तय ही नहीं हो पा रहा कि इसकी देखरेख कौन करेगा। रंगकर्म वाले विभाग ने कर्मचारी कम होने की मजबूरी बताकर पल्ला झाड़ लिया है तो प्रशासन को यह निर्णय लेने की फुर्सत नहीं कि इसकी देखरेख का जिम्मा किसे सौंपा जाए। विकास विभाग पर जिम्मेदारी सौंपने की बात तो चली लेकिन वह चर्चा से आगे नहीं बढ़ सकी। यह मंच रंगादोलन तो नहीं मांग रहा? अब यह सवाल रंगकर्मियों के बीच उठने लगा है।


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