बिंब-प्रतिबिंब : नेताजी को व्यक्ति नहीं चित्र से खतरा Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से डा. राकेश राय का साप्ताहिक कालम-बिंब-प्रतिबिंब...
डॉ. राकेश राय, गोरखपुर। फूल वाली पार्टी के एक स्थानीय नेता का मास्क प्रकरण बीते दिनों खासा चर्चा में रहा। चर्चा का विषय मास्क को लेकर उनकी असमय संजीदगी रही। हुआ यूं कि राणा प्रताप की जयंती के अवसर पर नेताजी अपने घर में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बाकायदा मास्क लगा रखा था। थोड़ी देर बाद जब उनसे मिलने पाटी के कुछ नेता पहुंचे, तो वह बिना मास्क लगाए ही उनके पास पहुंच गए और काफी देर तक साथ बैठे रहे। इसे लेकर हंसी का पात्र वह तब हो गए, जब उन्होंने दोनों ही फोटो को एक साथ फेसबुक पर अपलोड कर दिया। पार्टी के साथी नेताओं ने इसे लेकर उनसे खूब मजा लिया। एक साथी ने तो मजाकिया लहजे में यहां तक कह दिया कि, जब नेताजी को आदमी से अधिक चित्र से कोरोना वायरस के संक्रमण का भय था, तो आखिर वह करते भी क्या!
गम में भी आयोजन का नशा
देश की सबसे मजबूत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से आए दिन आयोजनों को लेकर मिलने वाले निर्देश को कुछ नेताओं ने इस कदर आत्मसात कर लिया है कि उन्हें अब इसका नशा सा हो गया है। बीते दिनों पार्टी के एक बड़े और लोकप्रिय नेता का अचानक निधन हो गया, जिससे प्रदेश भर के नेता गमजदा हो गए। पार्टी के प्रदेश मुखिया ने श्रद्धांजलि देने के लिए एक दिन कोई भी आयोजन न किए जाने का निर्देश जारी कर दिया। ज्यादातर लोगों ने इस निर्देश को दिल से लिया, लेकिन एक छोटे वाले जनप्रतिनिधि गम के माहौल भी आयोजन के नशे से खुद को मुक्त नहीं कर सके। प्रतिबंधित दिवस की सुबह उन्होंने एक सम्मान कार्यक्रम आयोजित कर डाला। पार्टी के बड़े नेताओं को यह अच्छा तो नहीं लगा, लेकिन वह बहाना बनाकर कुछ कहने से बचते रहे कि शोक जेहन में होता है, उसे जबरन थोपा नहीं जा सकता।
और मुंह की जगह गाल हुआ लाल
लॉकडाउन ने पान-गुटखा के शौकीनों के लिए खासी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कई शौकीनों ने तो अपना शौक पूरा करने के लिए फिदायीन रुख अख्तियार कर लिया है। ऐसे ही एक शख्स बीते दिनों तलब लगने पर पान की तलाश में नौसढ़ से करीब पांच किलोमीटर पैदल चलकर जाफरा बाजार मोहल्ले में पहुंच गए। संभावित स्थान पर पहुंचकर अभी उन्होंने पान वाले की तलाश शुरू ही की थी कि पुलिस पहुंच गई। पुलिस को देख वहां टहल रहे अन्य लोग तो घर में घुस गए, लेकिन नौसढ़ से पहुंचे उस शख्स को कोई ठिकाना नहीं मिला। नतीजतन वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पूछताछ में जब उसने बताया कि वह पान की तलाश में वहां पहुंचा है, तो पुलिस ने उसकी पिटाई यह कहकर कर दी कि मुंह लाल करने आए हो, कम से कम गाल तो लाल कर ही लो। लोगों में यह घटना चर्चा का विषय रही।
साहब की खातिरदारी करें या कामगारों की
लॉकडाउन में जिले के लोगों की समस्या दूर करने के लिए नामित एक साहब इन दिनों सरकारी कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। हर वक्त उन्हें यही लग रहा कि उनकी हैसियत के मुताबिक सम्मान नहीं हो रहा। शहर के एक गेस्ट हाउस में ठहरे यह साहब अपनी खातिरदारी को लेकर हर दिन कर्मचारियों की क्लास लगा रहे हैं। अपनी सुविधा के सामान की लिस्ट पकड़ा रहे हैं। नतीजतन कर्मचारियों को यह समझ में नहीं आ रहा कि वह मजदूरों और कामगारों की समस्या दूर कर अपनी असल जिम्मेदारी पूरी करें या फिर नामित साहब की खातिरदारी करें। स्थिति यहां तक पहुुंच गई है कि साहब की बढ़ती डिमांड देख कई कर्मचारी अब उनके सामने जाने से कतराने लगे हैं। अगर गलती से सामने आ भी जाते हैं, तो मुंह चुराने लगते हैं। कई तो नामित साहब के वापस जाने की मन्नत मांगते नजर आ रहे हैं।