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Corona virus : हमें भी डर लगता है साहब, घर से नहीं निकलेंगे तो खाएंगे क्‍या Gorakhpur News

यात्री ने कहा साहब हमें भी डर लगता है। रोजी-रोटी का सवाल है। घर से नहीं निकलेंगे तो क्या खाएंगे। अंदर झांक कर देखिए। सीट नहीं मिलने पर यात्री बेडशीट बांधकर बैठे हुए हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 07:42 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 10:30 PM (IST)
Corona virus :  हमें भी डर लगता है साहब, घर से नहीं निकलेंगे तो खाएंगे क्‍या Gorakhpur News
Corona virus : हमें भी डर लगता है साहब, घर से नहीं निकलेंगे तो खाएंगे क्‍या Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। बुधवार को दोपहर 12.00 बजे के आसपास। प्लेटफार्म नंबर एक पर जैसे ही आम्रपाली एक्सप्रेस रुकी, इंतजार कर रहे यात्री कोचों में चढऩे लगे। लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके। जनरल बोगियां पहले से ही फुल थीं। अंदर पैर रखने की जगह नहीं थी। अधिकतर यात्री गेट पर ही खड़े थे।

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नहीं बदला चेहरे का भाव

अंदर की गर्मी और बदबू के चलते गेट पर खड़े यात्री भी प्लेटफार्म पर उतर गए। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के सवाल पर उनके चेहरे का भाव नहीं बदला। एक यात्री ने कहा, साहब हमें भी डर लगता है। रोजी-रोटी का सवाल है। घर से नहीं निकलेंगे तो क्या खाएंगे। अंदर झांक कर देखिए। सीट नहीं मिलने पर यात्री बेडशीट बांधकर बैठे हुए हैं। टॉयलेट में गंदगी पसरी है। पानी का भी संकट था। इससे आगे उनके पास कुछ कहने के लिए नहीं बचा था।

यात्रियों को चिढ़ा रहा रेलवे का संदेश

बिहार से दिल्ली की तरफ जाने वाली ट्रेनों की स्थिति तब है जब कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए रेलवे ही नहीं देश भर के सभी संस्थानों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। रेलवे में घोषणा हो रही है कि लोग भीड़-भाड़ वाले स्थान पर न जाएं। लेकिन आम्रपाली, सत्याग्रह, बिहार संपर्क क्रांति और शहीद आदि ट्रेनों में लोग हिल भी नहीं पा रहे हैं। प्लेटफार्म पर गूंज रहा संदेश यात्रियों को लगा रहा था जैसे चिढ़ा रहा है।

क्‍या कहते हैं यात्री

समस्तीपुर के रेलयात्री अनिल साह का कहना है कि समस्तीपुर से गेट पर खड़ा होकर आ रहा हूं। शायद दिल्ली तक जगह न मिले। कुछ खाया नहीं हूं। टॉयलेट में जाने के लिए जगह ही नहीं है।

इसी तरह से बरौनी के पंकज कुमार का कहना है कि सोनीपत जाना है। बरौनी से ही गेट पर खड़ा हूं। अंदर जाने की जगह तक नहीं है। कोरोना बीमारी का नाम सुना है। लेकिन कर ही क्या सकते हैं।

काउंटरों पर भीड़, रेलकर्मियों के पास भी मास्क नहीं

रेलवे प्रशासन लाख दावा कर ले लेकिन भीड़ में संक्रमण से बचाव की सारी व्यवस्था ध्वस्त नजर आ रही है। यात्रियों की भीड़ रोजाना से कुछ कम थी लेकिन न यात्रियों को संक्रमण की कोई चिंता थी और न रेलकर्मियों को फिक्र। एक-दो यात्री मास्क लगाए थे। कुछ रुमाल और गमछे मुंह पर बांधे हुए थे।


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