रेलवे स्टेशनों पर खुलीं वाटर वेंडिंग मशीनें, सस्ते दाम पर मिलेगा RO का पानी Gorakhpur News
कोरोना काल में स्टेशनों पर स्थित वाटर वेंडिंग मशीनें बंद चल रही थीं। अब गोरखपुर जंक्शन पर दो नंबर को छोड़कर सभी प्लेटफार्मों पर एक-एक आटोमेटिक वाटर वेंडिंग मशीन खोल दी गई हैं। जल्द ही अन्य स्टेशनों पर भी यह सुविधा मिलने लगेगी।
गोरखपुर, जेएनएन। रेलवे स्टेशनों पर अब आम यात्रियों को सस्ते दाम पर पीने का पानी मिल जाएगा। यात्रियों की सुविधा के लिए इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आइआरसीटीसी) ने स्टेशनों पर खानपान की सुविधा मुहैया कराने के बाद पानी की सुविधा सुनिश्चित करने की तैयारी शुरू कर दी है। गोरखपुर जंक्शन पर दो नंबर को छोड़कर सभी प्लेटफार्मों पर एक-एक आटोमेटिक वाटर वेंडिंग मशीन खोल दी गई हैं। जल्द ही अन्य स्टेशनों पर भी यह सुविधा मिलने लगेगी।
दरअसल, कोरोना काल में स्टेशनों पर स्थित वाटर वेंडिंग मशीनें बंद चल रही थीं। एक जून से स्पेशल ट्रेनों के संचालन के बाद रेलवे प्रशासन ने धीरे-धीरे यात्री सुविधाएं बढ़ाता रहा लेकिन लोगों को महंगे दाम पर पानी खरीदकर पीना पड़ रहा था। स्टेशनों पर फास्ट फूड यूनिट, फूड प्लाजा और खानपान स्टाल खुल गए थे लेकिन वाटर वेंडिंग मशीनें बंद पड़ी थीं। स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों की दो तरफ जेब ढीली हो रही थी। एक तो ट्रेनों का अधिक किराया ऊपर से 15 से 20 रुपये का पानी का एक बोतल खरीदना पड़ रहा था। जानकारों का कहना था कि रेलवे ने वाटर मशीनों को खोलने का निर्देश तो जारी कर दिया था लेकिन संचालित करने वाली निजी फर्म के बिजली का बिल जमा नहीं करने के चलते अनुमति नहीं मिल रही थी। अंतत: बिजली का बिल जमा होने के बाद मशीनों को खोलने की अनुमति मिली है। गोरखपुर जंक्शन पर 12 मशीनें स्थापित की गई हैं।
महज पांच रुपये में एक लीटर पीने का पानी
वाटर वेंडिंग मशीनों से महज 5 से 8 रुपये में एक लीटर पीने का पानी मिल जाता है। 8 से 12 रुपये में दो तथा 20 से 25 रुपये में पांच लीटर पीने का पानी मिल जाता है। यात्री इन मशीनों से पूरी यात्रा के लिए एक बार में ही पानी खरीदकर रख लेते हैं। ऐसे में उन्हें बार-बार प्लेटफार्मों पर उतरने की जरूरत नहीं पड़ती है।
रेलवे खुद संचालित करेगा वाटर वेंडिंग मशीनें
रेलवे स्टेशनों पर लगी आटोमेटिक वाटर वेंडिंग मशीनों को संचालित करने की जिम्मेदारी आइआरसीटी को है। आइआरसीटीसी निजी फर्मों के माध्यम से मशीनों को संचालित कराती है। लेकिन फर्मों की उदासीनता के कारण यह मशीनें नियमति नहीं चल पाती है। कभी मशीनों पर कार्य करने वाले मजदूरों के मानेदय के चलते तो कभी बिजजी के बिल का भुगतान नहीं होने के कारण मशीनें अक्सर बंद हो जाती हैं। ऐसे में रेलवे बोर्ड ने खुद संचालित करने का निर्णय लिया है। इसको लेकर बोर्ड ने दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया है।