छह साल से था गोरखपुर जेल में, अब जर्मनी में सजा काटेगा मैनफ्रेंड बैरेंड
गोरखपुर में सजा काट रहे जर्मन बंदी मैनफ्रेंड बैरेंड को दिल्ली भेजा गया है। उसे वहां से जर्मनी पुलिस अपने साथ ले जाएगी। 2014 में सोनौली बार्डर पर चेकिंग के दौरान एसएसबी (शस्त्र सीमा बल) ने मैनफ्रेंड को चरस के साथ भारत में प्रवेश करते समय पकड़ा था।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता : गोरखपुर जेल में सजा काट रहे जर्मन बंदी मैनफ्रेंड बैरेंड को दिल्ली भेजा गया है। बुधवार को उसे जर्मनी पुलिस अपने साथ ले जाएगी। बची हुई सजा (साढ़े तीन साल) वह अपने देश की जेल में काटेगा। 2014 में सोनौली बार्डर पर चेकिंग के दौरान एसएसबी (शस्त्र सीमा बल) ने मैनफ्रेंड को चरस के साथ भारत में प्रवेश करते समय पकड़ा था। 2015 में उसे गोरखपुर जेल में शिफ्ट किया गया। 2018 में कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई, जिसमें साढ़े छह साल की सजा मैनफ्रेंड महराजगंज व गोरखपुर की जेल में काट चुका है।
मैनफ्रेंड बैरेंड को एसएसबी ने 2014 में पकड़ा था सोनौली बार्डर पर
जर्मनी सजसेन के सिरायू लेसिंग स्ट्रीट निवासी मैनफ्रेंड बैरेंड को एसएसबी ने 31 अक्टूबर 2014 को सोनौली बार्डर पर पकड़ा था। तलाशी में उसके पास से चार किलोग्राम चरस मिला, जिसे बैग में छिपाकर वह गोवा ले जा रहा था। पूछताछ में पता चला कि भैरहवा के एक होटल में उसने 1.20 लाख रुपये में चरस खरीदा था। एक साल तक महराजगंज जेल में रहे मैनफ्रेंड को एक अक्टूबर, 2015 को जिला कारागार गोरखपुर में शिफ्ट किया गया था। पत्नी जूलिया कैफर के प्रयास से 31 मई, 2017 को मैनफ्रेंड को कोर्ट ने जमानत देने के साथ ही पांच-पांच लाख रुपये की दो जमानत पेश करने का आदेश दिया।
दो जमानतदारों में से एक निकला फर्जी
जूलिया ने दो जमानतदारों के नाम, जिसमें एक फर्जी निकल गया। इस पर मैनफ्रेंड की रिहाई रुक गई, जिसके बाद जूलिया ने जर्मनी दूतावास व गृह मंत्रालय (भारत सरकार) के अधिकारियों को पत्र लिखकर मदद मांगी। इस पर विचार करते हुए भारत सरकार ने उसे जर्मनी भेजने का निर्णय लिया है। शर्त के अनुसार साढ़े तीन साल मैनफ्रेंड जर्मनी की जेल में रहेगा। जेल अधीक्षक ओपी कटियार ने बताया कि मंगलवार शाम को पुलिस की अभिरक्षा में जर्मन बंदी को दिल्ली भेजा गया। बुधवार सुबह उसे एयरपोर्ट ले पहुंचाया जाएगा, जहां से जर्मनी पुलिस अपने साथ ले जाएगी।