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Gorakhpur Zila Panchayat Result 2021: गोरखपुर में 60 फीसद से अधिक प्रधानों को जनता ने नकारा

Gorakhpur UP Zila Panchayat Chunav Result 2021 गोरखपुर में पिछली बार प्रधान रहे करीब 60 फीसद लोगों को गांव की जनता ने नकार दिया है। ये प्रधान या तो स्वयं खड़े थे या आरक्षण बदलने पर अपने किसी समर्थक को चुनाव मैदान में उतारा था।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 08:05 AM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 08:05 AM (IST)
Gorakhpur  Zila Panchayat Result 2021: गोरखपुर में 60 फीसद से अधिक प्रधानों को जनता ने नकारा
गोरखपुर में 60 फीसद से अधिक प्रधानों को जनता ने नकार दिया। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। Gorakhpur, UP  Zila Panchayat Chunav Result 2021: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिले की सभी ग्राम पंचायतों का परिणाम आ चुका है। पिछली बार प्रधान रहे करीब 60 फीसद लोगों को गांव की जनता ने नकार दिया है। ये प्रधान या तो स्वयं खड़े थे या आरक्षण बदलने पर अपने किसी समर्थक को चुनाव मैदान में उतारा था। कुछ ही प्रधान ऐसे रहे जो अपने अच्छे कार्यों की बदौलत अपने समर्थकों को भी जिताने में कामयाब रहे।

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परफार्मेंस ग्रांट वाले कई गांवों में भी बदली प्रधानी

जिले में 1294 ग्राम पंचायतों के लिए नामांकन हुआ था लेकिन खोराबार क्षेत्र के एक गांव में प्रत्याशी का निधन हो जाने के कारण 1293 ग्राम पंचायतों में ही वोट डाले गए थे। दो एवं तीन मई को हुई मतगणना में सभी ग्राम पंचायतों की स्थिति साफ हो चुकी है। जिन्होंने गांव के विकास को लेकर काम किया और लोगों से मेलजोल जारी रखा, उन्हें इस बार भी लोगों ने सिर आंखों पर बैठाया है। पर, जिन प्रधानों ने केवल अपने ऊपर ध्यान दिया, उन्हें जनता ने भी आइना दिखा दिया। कई ऐसे ग्राम प्रधान भी रहे, जिन्हें लंबे समय बाद पद से हटना पड़ा है। आरक्षण बदलने के बाद भी कई प्रधानों ने अपने समर्थकों को चुनाव लड़ाया था लेकिन उनके कार्यों का प्रभाव उनके प्रत्याशी पर पड़ा और सीट गंवानी पड़ी। 

आरक्षण बदलने के बावजूद अपने समर्थकों को जिताने में कामयाब रहे कुछ प्रधान

ब्रह्मपुर ब्लाक के विश्वनाथपुर से दो बार प्रधान रहे नर्मदा यादव, दुबौली में तीन बार से प्रधान रहे बेचू निषाद इस बार चुनाव हार गए। पिपराइच में अगया से देवी प्रसाद चौधरी, उसका से सुदामी देवी, मठिया से रामकेस सिंह, गौरा से रमांकांत सिंह आदि इस बार चुनाव जीतने में असफल रहे। कैंपियरगंज ब्लाक के गांव मरहठा में पिछले कई वर्षों से प्रधान रहे कृष्णमोहन सिंह को इस बार हार का मुंह देखना पड़ा। भटहट विकास खंड में इस बार भी चुनाव लड़ने वाले 29 ग्राम प्रधानों को जनता ने नकारते हुए नए उम्मीदवार को विजेता बना दिया है । केवल छह ग्राम प्रधान ऐसे रहे जो वापसी कर सके हैं।

परफामेंस ग्रांट वाले गांवों में भी हुआ बदलाव

इस बार परफार्मेंस ग्रांट वाले कई गांवों में भी बदलाव हुआ है। भटहट क्षेत्र के औरंगाबाद में राकेश प्रजापति की पत्नी मांडवी देवी प्रधान थीं। इस बार भी वह चुनाव मैदान में थीं। राकेश ने भी चुनाव लड़ा लेकिन सीट बचाने में यह परिवार कामयाब नहीं हो सका। इसी प्रकार भटहट क्षेत्र के ही जंगल हरपुर भी परफार्मेंस ग्रांट पाने वाली ग्राम पंचायत थी।

यहां के निवर्तमान प्रधान कृति देवी को भी जनता ने नकार दिया है। चरगांवा क्षेत्र में परफार्मेंस ग्रांट पाने वाली ग्राम पंचायत परमेश्वरपुर में उमेश पासवान की पत्नी प्रधान थीं। इस बार उमेश पासवान मैदान में थे लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा। इस गांव में परफार्मेंस ग्रांट को गलत तरीके से निकाल लेने का मामला भी सामने आया था। कौड़ीराम ब्लाक के बेलीपार गांव में भी परफार्मेंस ग्रांट मिला था। यहां के निवर्तमान प्रधान को भी इस बार जनता ने नकार दिया।

चार बार गणना के बाद हुआ फैसला

भटहट क्षेत्र के ग्राम पंचायत पोखरभिंडा उर्फ चकदहां के ग्राम प्रधान पद के लिए चार बार गणना करनी पड़ी। मुख्य गणना के बाद तीन बार रीकाउंटिंग की गई, तब जाकर परिणाम आया। मतगणना के दौरान प्रत्याशी ब्रह्मजीत यादव 261 व हरिहर साहनी 260 मत पाए थे। हरिहर के आपत्ति पर दोबारा गणना हुई तो दोनों के वोट बराबर हो गए। तीसरी बार गणना के बाद हरिहर का एक वोट अधिक रहा। इसके बाद दोनों पक्षों के आमने-सामने आ जाने के बाद चौथी बार मतगणना कराई गई तो ब्रम्हजीत यादव पांच वोट से विजेता बने।


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