यहां सौर ऊर्जा से रोशन होंगे दियारा के गांव, 41 लाख रुपये से लगाई जाएगी स्ट्रीट लाइट Gorakhpur News
पडरौना जिले के खड्डा ब्लाक के नारायणी नदी के दियारा में बसे गांवों के लोगों के लिए अच्छी खबर है। विधायक की पहल पर डीएम ने दियारा के गांवों में 1784 सोलर पावर पैक और 176 स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है।
मुन्ना सिंह, गोरखपुर : पडरौना जिले के खड्डा ब्लाक के नारायणी नदी के दियारा में बसे गांवों के लोगों के लिए अच्छी खबर है। प्रशासन की ओर से इन गांवों को सौर ऊर्जा से रोशन करने की कवायद शुरू हो गई है। विधायक जटाशंकर त्रिपाठी की पहल पर जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने दियारा के गांवों में 1784 सोलर पावर पैक और 176 स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। सोलर पावर पैक पर 8.41 करोड़ और स्ट्रीट लाइट पर 41 लाख 65 हजार खर्च होने का अनुमान है।
पोल बहने के कारण कई गांव अंधेरे में
ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव आलोक सिन्हा को भेजे गए प्रस्ताव के माध्यम से डीएम ने बताया है कि पिछले वर्ष अगस्त में आई बाढ़ की वजह से कई दर्जन पोल नदी में बह गए। इस वजह से नदी उस पार के गांव हरिहरपुर, नरायनपुर, बकुलादह, मरिचहवां, बसंतपुर, शिवपुर, शाहपुर और विंध्याचलपुर में नौ माह से अंधेरा है। नारायणी नदी की प्रकृति है कि हर दूसरे-तीसरे वर्ष अपनी धारा परिवर्तित कर देती है। मौजूदा समय में नदी का किनारा जंगल के करीब पहुंच गया है। इस वजह से विद्युतीकरण पर वन विभाग के अधिकारी एतराज कर रहे हैं।
सौर्य ऊर्जा के माध्यम से विद्युतीकरण
ऐसे में अगर सौभाग्य योजना के तहत इन गांवों में सौर्य ऊर्जा के माध्यम से विद्युतीकरण करा दिया जाए तो बिजली की समस्या का समाधान हो सकता है। डीएम की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में हरिहरपुर में 301 सोलर पावर पैक व 35 स्ट्रीट लाइट, नरायनपुर व बकुलादह में 169 पावर पैक व 16 स्ट्रीट लाइट, मरिचहवा व बसंतपुर में 361 पावर पैक व 37 स्ट्रीट लाइट, शिवपुर में 557 पावर पैक व 55 स्ट्रीट लाइट, शाहपुर में 233 पावर पैक व 23 स्ट्रीट लाइट और विंध्याचलपुर में 73 पावर पैक व सात स्ट्रीट लाइट को शामिल किया गया है।
सौर ऊर्जा से विद्युत के लिए की गई पहल
खड्डा विधायक जटाशंकर त्रिपाठी ने कहा कि जंगल के किनारे बसे दियारा के गांवों में अंधेरा होने की वजह से हिंसक जानवरों व जहरीले जंतुओं का हमेशा डर बना रहता है। बाढ़ की वजह से हर साल पोल व तार नदी में बह जाते हैं। इस वजह से इन गांवों में सौर ऊर्जा की व्यवस्था के लिए पहल की गई है।