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विजिलेंस करेगी गोरखपुर शहर में 150 एकड़ जमीन आवंटन की जांच

प्रमुख सचिव ने जांच का आदेश दिया है। रामगढ़ ताल परियोजना क्षेत्र में उद्यमी और बिल्डर को 150 एकड़ जमीन आवंटन का मामला था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 04:25 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 04:25 PM (IST)
विजिलेंस करेगी गोरखपुर शहर में 150 एकड़ जमीन आवंटन की जांच
विजिलेंस करेगी गोरखपुर शहर में 150 एकड़ जमीन आवंटन की जांच

गोरखपुर, जेएनएन। शासन ने रामगढ़ ताल परियोजना क्षेत्र में उद्यमी और बिल्डर को 150 एकड़ जमीन आवंटन के मामले की जांच उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) को सौंप दी है। शासन ने यह निर्णय जीडीए सचिव की मांग पर लिया है। सचिव इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों के साथ बीते दो दिनों से लखनऊ में थे।

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जीडीए ने 1997 में 150 एकड़ जमीन मेसर्स जालान कांप्लेक्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स भव्या कॉलोनाइजर्स के नाम नीलाम की थी। उद्योगपति जालान ने इसके लिए 8 करोड़ 31 लाख रुपये और अनिल त्रिपाठी ने लगभग 5 करोड़ रुपये अदा किया था। इसे लेकर बाद में जब ब्याज का मामला फंसा तो उद्योगपति और बिल्डर कोर्ट चले गए। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से स्थानों से आवंटियों को जीत मिली। सिर्फ इतना ही नहीं वर्तमान में रजिस्ट्री न कराने पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने अवमानना का मुकदमा भी चल रहा है।

जीडीए के मुताबिक चूंकि वर्तमान में इस जमीन की कीमत करीब 750 करोड़ रुपये बताई जा रही है। ऐसे में उसे करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इस नुकसान के लिए पूर्व के अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी मानते हुए जीडीए सचिव ने बीते दिनों प्रमुख सचिव आवास को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी।

जीडीए को चार सौ करोड़ का नुकसान

इस संबंध में जीडीए के सचिव राम सिंह गौतम का कहना है कि पूर्व के जीडीए अफसरों और कर्मचारियों के चलते जीडीए को इस आवंटन मामले में करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इस नुकसान के लिए मामले के उच्च स्तरीय जांच की मांग प्रमुख सचिव आवास से की गई थी। इसी क्रम में प्रमुख सचिव ने यह जांच विजिलेंस से कराने का निर्णय लिया है।


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