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विजिलेंस टीम ने पकड़ा 'रेड मिर्ची' साफ्टवेयर

गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे की विजिलेंस टीम ने मोहद्दीपुर स्थित एसके कम्यूनिकेशन टूर एंड ट्रेवेल्स एज

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 12:48 AM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 12:48 AM (IST)
विजिलेंस टीम ने पकड़ा  'रेड मिर्ची' साफ्टवेयर
विजिलेंस टीम ने पकड़ा 'रेड मिर्ची' साफ्टवेयर

गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे की विजिलेंस टीम ने मोहद्दीपुर स्थित एसके कम्यूनिकेशन टूर एंड ट्रेवेल्स एजेंसी पर मंगलवार को छापेमारी कर 'रेड मिर्ची' नामक अवैध साफ्टवेयर बरामद किया। साफ्टवेयर से अनधिकृत रूप से तत्काल टिकट बुक करने के आरोप में विजिलेंस टीम ने एजेंसी चालक सुनील कुमार सिंह को गिरफ्तार कर रेलवे सुरक्षा बल के हवाले कर दिया है।

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विजिलेंस टीम को छापेमारी के दौरान एजेंसी से दो लैपटाप, एक पीसी, पांच मोबाइल और 10588 रुपये बरामद हुए हैं। लैपटाप और डायरी में पिछले कई दिनों में काफी संख्या में यात्रियों के पक्ष में तत्काल टिकट जारी करने का विवरण आदि दर्ज है। यही नहीं कई बैंक एकाउंट, आरक्षण के लिए इमरजेंसी कोटा के तहत दिया जाने वाला मांग पत्र सहित कई आपत्तिजनक चीजें भी मिली हैं। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव के अनुसार एजेंसी संचालक अनधिकृत रूप से तत्काल टिकटों की बुकिंग कर हा था। उसके यहां से बरामद रेड मिर्ची साफ्टवेयर से कम समय में ही कई तत्काल टिकट बुक किए जा रहे थे। अनधिकृत रूप से तत्काल टिकटों की बुकिंग की मिल रही शिकायत पर विजिलेंस टीम ने औचक छापेमारी की। इस दौरान एजेंसी में हड़कंप मच गया। सीपीआरओ के अनुसार अनधिकृत रूप से तत्काल टिकट बुक करने वाले दुकानदार और एजेंसी वालों को चिन्हित किया जा रहा है। पकड़े जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। यात्री रेलवे काउंटरों, अधिकृत एजेंटों या आइआरसीटीसी की वेबसाइट से ही टिकट खरीदें। विजिलेंस टीम में मुख्य सतर्कता निरीक्षक इश्तियाक अहमद खां, गिरीश कुमार सिंह, एसपी चंद सहित रेलवे सुरक्षा बल के जवान शामिल थे।

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फर्जी साफ्टवेयर से पलक

झपकते कंफर्म टिकट

इंटरनेट पर इंडियन रेलवे कैट¨रग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आइआरसीटीसी) के समानांतर चल रहे एक दर्जन से अधिक फर्जी साफ्टवेयर पलक झपकते तत्काल टिकट उपलब्ध करा रहे हैं। फर्जी साफ्टवेयर आइआरसीटीसी और क्रिस की वेबसाइट से भी तेज चल रहे हैं। सुबह 10 बजे जैसे ही रेलवे काउंटरों पर टिकटों की बुकिंग शुरू होती है, वे अपना काम करना शुरू कर देते हैं। रेलवे काउंटर पर बैठा क्लर्क जबतक यात्री का नाम और पता भरकर पूछताछ करता है, तबतक नेट पर 80 से 90 फीसद कंफर्म टिकट बुक हो जाते हैं। यह साफ्टवेयर एक समय में एक बार में 12 से 15 टिकट बुक करते हैं।

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आज भी चल रहा

फर्जी ब्लैकटीएस

28 अप्रैल 2016 को बेंगलुरु से गोरखपुर पहुंची सीबीआइ की टीम ने बस्ती में छापेमारी की थी। ब्लैक टीएस नाम से फर्जी साफ्टवेयर तैयार करने वाले लोगों को गिरफ्तार भी किया था। पकड़े गए लोगों के पास से लैपटाप, साफ्टवेयर तकनीकी, सीडी, पैनकार्ड, एकाउंट्स नंबर आदि जब्त किया गया। लेकिन, फर्जी साफ्टवेयर पर कोई अंकुश नहीं लगा। आज भी ब्लैकटीएस जैसे दर्जनों फर्जी साफ्टवेयर बाजार में तत्काल टिकट मुहैया करा रहे हैं।


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