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कुलपति ने कहा-नई शिक्षा नीति के मूल उद्देश्य को समझने की जरूरत Gorakhpur News

कुलपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति पर जितनी चर्चा छात्रों व शिक्षकों के बीच में हुई है उतनी अब तक किसी शिक्षा नीति में नहीं हुई है। नई नीति के मूल उद्देश्यों को ठीक प्रकार से समझने की आवश्यकता है।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 03:07 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 03:07 PM (IST)
कुलपति ने कहा-नई शिक्षा नीति के मूल उद्देश्य को समझने की जरूरत Gorakhpur News
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का शिक्षक शिक्षा में क्रियान्वयन: पाठ्यचर्या, प्रारूप एवं विकास के विशेष संदर्भ में विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय और विद्या भारती उच्‍च शिक्षा संस्थान की ओर से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि राष्ट्र के उन्नयन व विकास में शिक्षक व छात्रों की भूमिका सबसे अहम होती है। नई शिक्षा नीति में इस पर जोर दिया गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति विश्वविद्यालय समेत सभी स्तर पर लागू हो जाए इसके लिए शिक्षकों एवं विद्याॢथयों को बहुत अहम भूमिका निभानी होगी।

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अब तक किसी शिक्षा नीति पर नहीं हुई उतनी चर्चा

कुलपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति पर जितनी चर्चा छात्रों व शिक्षकों के बीच में हुई है उतनी अब तक किसी शिक्षा नीति में नहीं हुई है। नई नीति के मूल उद्देश्यों को ठीक प्रकार से समझने की आवश्यकता है। विद्या भारती उ'च शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा कि पुरानी शिक्षा नीति में व्यापक कमियां थी। जिसे दूर करने का प्रयास नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किया गया है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के मूल उद्देश्य पर विशेष ध्यान दिया गया है। जननायक विश्वविद्यालय बलिया की कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश के शैक्षिक पुनरोत्थान का महामंत्र है। इससे बल पर ही उन्नत व शैक्षिक राष्ट्र की परिकल्पना सम्भव है।

विशिष्ट अतिथि छत्रपति शाहू जी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के प्रो. सुभाष चन्द्र अग्रवाल ने कहा कि अभिभावकों की मानसिकता अब बदल गई है। उन्हेंं लगता है कि सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढऩे वाला ब'चा कामयाबी हासिल नहीं कर सकता। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत हैं। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय संगोष्ठी की संयोजक प्रो. सुषमा पाण्डेय, विषय प्रवर्तन सह संयोजक डॉ. राजशरण शाही एवं आभार ज्ञापन प्रो. शोभा गौड़ किया। अतिथि परिचय एवं स्वागत भाषण कार्यक्रम संयोजक प्रो. हिमांशु पाण्डेय ने किया। संगोष्ठी में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस संगोष्ठी में 650 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।


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