Move to Jagran APP

आज से वैशाली के यात्रियों को नहीं लगेंगे झटके

गोरखपुर : सफर बनेगा आरामदायक। वैशाली एक्सप्रेस से दिल्ली जाने वाले यात्रियों को झटके नहीं लगेंगे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 May 2018 05:00 AM (IST)Updated: Sat, 05 May 2018 05:00 AM (IST)
आज से वैशाली के यात्रियों  को नहीं लगेंगे झटके
आज से वैशाली के यात्रियों को नहीं लगेंगे झटके

गोरखपुर : वैशाली एक्सप्रेस से दिल्ली जाने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर है। अब इस महत्वपूर्ण ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों को झटके नहीं लगेंगे। पांच मई से इस ट्रेन के कंवेंशनल (परंपरागत) रेक में अति आधुनिक एलएचबी (लिंक हाफमैन बुश कोच) लगने लगेंगे।

loksabha election banner

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव के अनुसार लखनऊ, कानपुर के रास्ते होकर चलने वाली 12553/ 12554 बरौनी-नई दिल्ली-बरौनी वैशाली एक्सप्रेस के तीनों कंवेंशनल रेकों में एलएचबी कोच लगाए जाने हैं। फिलहाल एक रेक में पांच मई को बरौनी से तथा छह मई को नई दिल्ली से एलएचबी कोच लगाए जाएंगे। शेष दो रेक में अगली सूचना तक परंपरागत रेक ही लगाए जाएंगे। पूर्वोत्तर रेलवे रूट से चलने वाली सभी एक्सप्रेस गाड़ियों में एलएचबी कोच लगाने की योजना है। दरअसल, रेल मंत्रालय के निर्देश पर अब सिर्फ एलएचबी कोच ही तैयार किए जा रहे हैं। परंपरागत कोचों का निर्माण लगभग बंद हो गया है। हालांकि, संस्तुति के बाद भी आज तक 12555/12556 गोरखधाम एक्सप्रेस में एलएचबी कोच नहीं लग पाए हैं।

छह जोड़ी ट्रेनों में लग

रहे एलएचबी कोच

गोरखपुर से बनकर चलने वाली पूर्वोत्तर रेलवे की तीन जोड़ी 15023/15024 गोरखपुर-बेंगलुरु, 15015/15016 गोरखपुर-यशवंतपुर और 12597/ 12598 गोरखपुर -एलटीटी जनसाधारण एक्सप्रेस में एलएचबी कोच लगाए जा रहे हैं। गोरखपुर से होकर चलने वाली अन्य क्षेत्रीय रेलवे की 11015/11016 कुशीनगर एक्सप्रेस, 15655/15656 कामाख्या-मां वैष्णवदेवी धाम एक्सप्रेस तथा 22523/22524 गोरखपुर-एलटीटी अंत्योदय एक्सप्रेस में भी एलएचबी कोच लग रहे हैं।

दुर्घटनाओं पर लगेगा

अंकुश, मिलेगी राहत

दुर्घटना के समय एलएचबी कोच अपेक्षाकृत सुरक्षित रहते हैं। ऐसे में ट्रेनों में एलएचबी कोच लगने से दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा। बोगियां एक के ऊपर एक नहीं चढ़ेंगी। ट्रेन के चलते समय झटके भी नहीं लगते हैं। यात्रियों को अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलेंगी। एलएचबी कोच परंपरागत की अपेक्षा 1.7 मीटर ज्यादा लंबा होता है। इससे सीटों और बर्थो की चौड़ाई बढ़ जाती है। स्लीपर और एसी थर्ड में 72 की जगह 80 सीट हो जाते हैं। यह कोच दस फीसद हल्के भी होते हैं। इसके चलते ट्रैक पर जोर कम पड़ता है। ऊर्जा की बचत के साथ मरम्मत की जरूरत भी कम पड़ती है। एलएचबी कोच यात्रियों के लिए सुरक्षित, सुखद और आरामदायक होते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.