वैद्य अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कहा, आयुर्वेद की दवा न लिखें एलोपैथ चिकित्सक
आयुर्वेद चिकित्सा संघ के प्रदेश अध्यक्ष वैद्य अरुण कुमार श्रीवास्तव ने आइएमए के आंदोलन की आलोचना करते हुए कहा कि केवल चिकित्सा क्षेत्र में एकाधिकार एवं अपने पेशेवर हितों को साधने के लिए एलोपैथ चिकित्सकों का संगठन झूठा व भ्रामक प्रचार कर रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) का विरोध निराधार है। आयुर्वेद डाक्टरों को सर्जरी की अनुमति दिए जाने को मिक्सोपैथी कहना न्यायसंगत नहीं है। उन्हें मिक्सोपैथी का इतना ही खतरा है तो अपने पर्चे पर न तो आयुर्वेद की कोई दवा लिखें और न ही मरीज को खाने की सलाह दें। टकराव का रास्ता छोड़कर अपनी पैथी में ईमानदारी से काम करें। आयुर्वेद चिकित्सकों को कमजोर समझने की भूल न करें। यह बातें आयुर्वेद चिकित्सा संघ के प्रदेश अध्यक्ष वैद्य अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कही। वह मानसरोवर रामलीला मैदान स्थित कैंप कार्यालय में आयोजित संघ की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में एकाधिकार एवं अपने पेशेवर हितों को साधने के लिए आइएमए भ्रामक प्रचार कर रहा है। यदि उन्हें सरकार के इस निर्णय से परेशानी है तो मुख्यमंत्री तीन दिन शहर में थे, वे क्यों नहीं उनसे मिले।
झूठा व भ्रामक प्रचार कर रहे हैं कुछ संगठन
वैद्य अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह सरकार का निर्णय है, विरोध सरकार का करें न कि चिकित्सा पद्धति की। केवल चिकित्सा क्षेत्र में एकाधिकार एवं अपने पेशेवर हितों को साधने के लिए एलोपैथ चिकित्सकों का संगठन झूठा व भ्रामक प्रचार कर रहा है। यह लोग इमानदारी से मरीजों की चिकित्सा नहीं करते। चारों तरफ कमीशन भ्रष्टाचार और शोषण से जनता त्रस्त है। चिकित्सकों का काम सेवा भावना है लेकिन हर तरफ आज चिकित्सा जगत में लूट मची है जांच और सर्जरी के नाम पर लूट किसी से छुपा नहीं है।
खत्म हो दवाओं और जांच में कमीशनखोरी
उन्होंने ने चिकित्सकों से अनुरोध किया कि आप जनता को उचित दर पर सेवा भावना दें और कमीशन खोरी व जांच के नाम पर भ्रष्टाचार को समाप्त करवाएं। उन्होंने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री तीन दिन शहर में थे तो आईएमए के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मिलकर विरोध क्यों नहीं किया। अरुण श्रीवास्तव ने एलोपैथ चिकित्सकों से मांग की कि वे अपने पर्चे पर न तो कोई आयुर्वेदिक दवा लिखें और न ही खाने की सलाह दें और न ही कोई जड़ी-बूटी लेने की सलाह दें। सभी एलोपैथ चिकित्सक टकराव का रास्ता छोड़कर अपनी पैथी में ईमानदारी से काम करें। बैठक में वैद्य अनिल, वैद्य राकेश, वैद्य तनुज, वैद्य राजेंद्र मिश्रा, और डॉ रामजी दुबे सहित तमाम चिकित्सक उपस्थित थे।