वैदिक परंपरा के पुनरोत्थान के लिए करें कार्य
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : वैदिक परंपरा की मानव समाज के बीच पहुंच कम होती जा रही है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : वैदिक परंपरा की मानव समाज के बीच पहुंच कम होती जा रही है। विशेषकर युवा पीढ़ी का हमारी वैदिक परंपरा, वेद, पुराण के प्रति लगाव कम हुआ है। इसके कारण आज समाज एक प्रकार से दिशाहीन हो रहा है। आवश्यकता है कि हम अपनी वैदिक परंपरा के पुनरोत्थान लिए कार्य करें ताकि वेदों में निहित मानव मूल्य को संरक्षित किया जा सके।
यह बातें संस्कृत विभाग, दीदउ गोविवि के पूर्व अध्यक्ष प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने कही। वह यहां प्रेसक्लब सभागार में वेदरत्न सेवा संस्थान के तत्वावधान में गुरुवार को आयोजित 'वेदों में निहित मानव मूल्य' विषयक संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्हें संस्कृत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने व विगत दिनों कनाडा में विश्व संस्कृत सम्मेलन की अध्यक्षता करने व ऋग्वेद पर अपने शोध को विश्व के 600 प्रतिनिधियों के बीच प्रस्तुत करने पर सम्मानित किया गया।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. गजेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि जिस वेद को हम साक्षात देववाणी के रूप में जानते हैं, उससे आज विप्र समाज दूर भाग रहा है। आज लोग न तो अपनी सांस्कृतिक परंपरा को जान रहे हैं और न ही वेद और पुराण को। कार्यक्रम को बृजेश त्रिपाठी, रविशंकर पांडेय, अखिलदेव त्रिपाठी, जीपी त्रिपाठी, यमुनाधर त्रिपाठी, ऋषभ ओझा, विक्रम सिंह ने भी संबोधित किया। अतिथियों का स्वागत यमुनाधर त्रिपाठी, आभार ज्ञापन रमेश चन्द्र त्रिपाठी व संचालन बृजेश मणि मिश्रा ने किया।
इस अवसर पर प्रदीप त्रिपाठी, कमलेश तिवारी, अर्जुन तिवारी, अमित शर्मा, अमित त्रिपाठी, ओमशकर त्रिपाठी, प्राण तिवारी, विनय दूबे, ओमप्रकाश मणि त्रिपाठी, कृष्णमोहन गौड़, शिवम पांडेय, संजय यादव, अशोक मिश्रा, उमेश श्रीवास्तव, संजय वर्मा, अमित ंिसंह, राकेश नायक आदि उपस्थित थे।