गोरखपुर में बनी यूरिया का अभी और करना होगा इंतजार Gorakhpur News
खाद कारखाना में सभी 62 बड़ी मशीनें आ चुकी हैं। अफसरों ने इन मशीनों को जून तक स्थापित करने की योजना बनाई थी लेकिन लॉकडाउन के कारण यह समयसीमा भी बढ़ गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने का असर गोरखपुर के निर्माणाधीन खाद कारखाने पर भी पड़ा है। इसके चलते हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) का खाद कारखाना निर्धारित समय पर नहीं शुरू हो पाएगा। किसानों को गोरखपुर में तैयार नीम कोटेड यूरिया के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
तकरीबन साढ़े सात हजार करोड़ रुपये की लागत वाले खाद कारखाना का निर्माण 27 फरवरी 2018 को शुरू हुआ था। निर्माण के लिए 36 महीने का समय दिया गया था। इसे फरवरी 2021 में शुरू होना था, लेकिन अब जुलाई 2021 के पहले शुरू होने की उम्मीद कम है।
दो महीने बंद हो गया था काम
22 मार्च को लॉकडाउन के पहले खाद कारखाना परिसर में छह हजार से ज्यादा श्रमिक काम कर रहे थे। दिन-रात काम चल रहा था। लॉकडाउन में काम पूरी तरह बंद हो गया तो धीरे-धीरे श्रमिक घरों को लौट गए। 20 अप्रैल के बाद कोविड 19 के नियमों के तहत तकरीबन 12 सौ श्रमिकों के साथ काम शुरू किया गया। शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करने के लिए खाद कारखाना में ज्यादा श्रमिकों को नहीं बुलाया जा रहा है। अभी यहां तकरीबन 22 सौ श्रमिक काम कर रहे हैं।
62 बड़ी मशीनें आ चुकी हैं
खाद कारखाना में सभी 62 बड़ी मशीनें आ चुकी हैं। अफसरों ने इन मशीनों को जून तक स्थापित करने की योजना बनाई थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह समयसीमा भी बढ़ गई है।
यूरिया की बिक्री शुरू
एचयूआरएल प्रबंधन ने यूरिया की बिक्री के लिए मार्केङ्क्षटग नेटवर्क बना लिया है। 14 जुलाई को राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, मुंबई में तैयार नीम कोटेड यूरिया 'उज्ज्वला गोरखपुर मंगाई गई। खाद कारखाना में निर्मित यूरिया का नाम 'सोना उगले होगा। एचयूआरएल के निदेशक अरुण गुप्ता का कहना है कि लॉकडाउन में दो महीने काम बंद रहने का बड़ा असर पड़ा है। हमने 82 फीसद काम पूरा कर लिया है, लेकिन फरवरी 2021 में खाद कारखाना शुरू करना संभव नहीं है। जुलाई 2021 तक कारखाना शुरू करने की कोशिश में जुटे हैं।