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किसान पर डीएपी के बाद यूरिया का संकट

अभी तक डीएपी की किल्लत से परेशानी थी तो अब यूरिया संकट भी खड़ा हो गया है। बोआई के बाद खेतों में सिचाई कार्य शुरू है। ऐसे में गेहूं की फसल के लिए यूरिया की आवश्यकता है। पर समितियों पर खोजने पर खाद नहीं मिल रही है। किसान दर-दर भटक रहे हैं। प्राइवेट दुकानों पर जाते हैं तो उनसे अधिक दाम वसूला जाता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 05:20 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 05:20 PM (IST)
किसान पर डीएपी के बाद यूरिया का 
संकट
किसान पर डीएपी के बाद यूरिया का संकट

सिद्धार्थनगर : अभी तक डीएपी की किल्लत से परेशानी थी तो अब यूरिया संकट भी खड़ा हो गया है। बोआई के बाद खेतों में सिचाई कार्य शुरू है। ऐसे में गेहूं की फसल के लिए यूरिया की आवश्यकता है। पर समितियों पर खोजने पर खाद नहीं मिल रही है। किसान दर-दर भटक रहे हैं। प्राइवेट दुकानों पर जाते हैं तो उनसे अधिक दाम वसूला जाता है।

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इटवा में 11 तो खुनियांव ब्लाक में 12 साधन सहकारी समिति है। इस बार डीएपी भी देर से आई है वी भी सीमित मात्रा में। जिसके कारण किसानों को बोआई के समय परेशान होना पड़ा। अभी भी जो किसान बोआई नहीं कर सके हैं, वह डीएपी के लिए परेशान हैं। प्राइवेट में 1200 की जगह 1400-1500 रुपये वसूल किए जा रहे हैं। जहां खेतों की बोआई हो चुकी है, वहां सिचाई प्रारंभ है। ऐसे में यूरिया खाद की सख्त जरूरत है। परंतु इधर-उधर भाग दौड़ के बाद भी खाद नहीं मिल रही है। विभागीय लोगों का कहना है कि इस सत्र में अभी कहीं भी यूरिया नहीं भेजी गई है, जिसके कारण समिति पर खाद उपलब्ध नहीं है। बाजार में यूरिया 45 किलो की बोरी 266.50 के स्थान पर 330 व 350 रुपये में बेची जा रही है। सभी समितियां बेमतलब साबित हो रही हैं। अधिकांश के ताले नहीं खुल रहे हैं।

चौखड़िया के कोमल का कहना है कि डीएपी व यूरिया दोनों बाजार से गायब है। कई दिन समिति का चक्कर मारे, परंतु निराशा ही हाथ लगी है। गेहूं की सिचाई हो रही है। ऐसे में यूरिया नहीं मिली तो फसल भी सूख जाएगी। चौखड़िया के धर्मपाल चौधरी ने कहा कि यूरिया खाद अभी तक समिति पर नहीं आई है। समिति पर जाएं तो वहां ताला लटकता मिल रहा है। प्राइवेट दुकानों पर डीएपी व यूरिया दोनों की कालाबाजारी होने से किसान छले जा रहे हैं।

सेमरी के राम लौटन का कहना है कि इस बार खाद संकट खत्म नहीं हो रहा है। पहले डीएपी के लिए परेशानी थी तो अब यूरिया के भटकना पड़ रहा है। अगर जल्द ही समितियों पर यूरिया नहीं भेजी गई तो नुकसान हो जाएगा।

अमौना के पप्पू ने बताया कि बोआई और सिचाई के समय में खाद संकट परेशानी का कारण बन रहा है। विभागीय अधिकारी हों या प्रशासन के जिम्मेदार, किसी की तरफ से आवश्यकता कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

सहायक विकास अधिकारी (को-आपरेटिव) इटवा सभाजीत यादव अभी यूरिया का समय का शुरू हुआ है। डिमांड जिले पर भेजी गई है। उम्मीद है कि एक-दो दिन में समितियों पर यूरिया आज जाए, जिसके बाद उसका वितरण किसानों में शुरू हो जाएगा।


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