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यूपी चुनाव 2022 : पूर्वांचल की इस सीट पर महिलाओं को 60 वर्षों से भागीदारी का इंतजार

UP Vidhan Sabha Chunav 2022 यूपी की कप्तानगंज विधानसभा सीट 1974 मेें अस्तित्व में आई। इससे पहले नगर और हरैया पूर्व के नाम से जानी जाती थी। तीन दशक पहले चुनाव में कांग्रेस व जनसंघ के साथ जनता पार्टी व सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाते रहे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 04:04 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 08:19 PM (IST)
यूपी चुनाव 2022 : पूर्वांचल की इस सीट पर महिलाओं को 60 वर्षों से भागीदारी का इंतजार
UP Chunav 2022: कप्तानगंज व‍िधानसभा में बीते 60 साल में क‍िसी भी दल ने मह‍िलाओं को ट‍िकट नहीं द‍िया है।

गोरखपुर, जेएनएन। बस्ती जिले के महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र कप्तानगंज में किसी भी राजनैतिक दल ने बीते 60 साल में किसी महिला उम्मीदवार पर भरोसा नहीं जताया। यहां से 1962 में जनसंघ के टिकट पर पहली बार शकुंतला नायर ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद करीब 60 साल में 15 बार चुनाव हुए लेकिन किसी भी महिला को टिकट नहीं मिला।

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1962 में जनसंघ के टिकट पर पहली बार जीती थीं शकुंतला नायर

यह विधानसभा सीट 1974 मेें अस्तित्व में आई। इससे पहले नगर और हरैया पूर्व के नाम से जानी जाती थी। तीन दशक पहले चुनाव में कांग्रेस व जनसंघ के साथ जनता पार्टी व सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाते रहे। उस दौर में जिले में कांग्रेस का वर्चस्व था, लेकिन इस दल ने कभी आधी आबादी पर दांव नहीं लगाया। 1962 में यह सीट नगर सुरक्षित विधान सभा के नाम से जानी जाती थी। तब कांग्रेस का गढ़ रहे इस क्षेत्र से पहली बार 1962 में जनसंघ से फैजाबाद की मूल निवासी शकुंतला नायर को टिकट मिला तो उन्होंने कांग्रेस के राम शंकर को पराजित कर जनसंघ का परचम लहराया था।

क‍िसी ने मह‍िलाओं पर नहीं जताया भरोसा

उन दिनों शकुंतला की जीत की बहुत चर्चा हुई थी और यह कहा जाने लगा था कि अब इस सीट से महिलाओं की भागीदारी आगे भी देखने को मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसके बाद किसी भी पार्टी ने महिला को प्रत्याशी नहीं बनाया और न ही कोई स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल करने का साहस जुटा सकी। 1962 से अब तक 60 वर्षों के इतिहास में हुए 15 बार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने पांच बार, जनता पार्टी एक, निर्दलीय दो बार तो सपा ने एक, सपा-बसपा गठबंधन ने एक, भाजपा ने दो तथा बसपा ने तीन बार बाजी मारी।

हालांकि कई दौर ऐसे आए जब महिलाओं ने बढ़-चढ़कर टिकट की मांग की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। जिस दल की महिला प्रत्याशी ने सारे समीकरण को ध्वस्त कर कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली सीट पर विजय पताका फहराया था, उस दल ने भी दोबारा किसी महिला प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा। 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी किसी भी दल से आधी आबादी को प्रतिनिधित्व देने जैसी स्थिति बनती फिलहाल दिखाई नहीं पड़ रही है।


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