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UP Election 2022: ज‍िस सीट को छोड़कर सपा में गए स्‍वामी प्रसाद मौर्य, उस सीट पर चक्रव्‍यूह रच रही भाजपा

UP Vidhan Sabha Chunav 2022 यूपी की पडरौना विधानसभा सीट से भाजपा क‍िसी बड़े नेता को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। भाजपा इसके ल‍िए अन्‍य दलों की तरफ भी देख रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं से भाजपा के व‍िधायक थे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 03:19 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 08:19 AM (IST)
UP Election 2022: ज‍िस सीट को छोड़कर सपा में गए स्‍वामी प्रसाद मौर्य, उस सीट पर चक्रव्‍यूह रच रही भाजपा
UP Vidhan Sabha Chunav 2022: पडरौना व‍िधानसभा सीट से भाजपा क‍िसी बड़े नेता को मैदान में उतराने जा रही है।

पडरौना, अजय कुमार शुक्ल। भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य केभाजपा छोड़ सपा में शामिल होने के बाद पडरौना विधानसभा सीट प्रदेश की सियासी चर्चाओं में शुमार है। यह भी चर्चा है कि भाजपा डैमेज कंट्रोल केलिए किसी कद्दावर नेता की तलाश में है। इसके लिए जिले के पुराने रसूखदार कांग्रेसी परिवार में सेंध लगाने तक की चर्चा है। इन चर्चाओं में कितना दम है यह तो समय बताएगा, लेकिन इतना तो तय है कि यहां भाजपा पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। दो दशक तक यहां की राजनीति में मजबूती से दखल रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने से भाजपा का सियासी समीकरणन बिगड़े इस पर भी पूरा फोकस रहेगा।

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अभी यह है इस सीट का इत‍िहास

वैसे तो जिले की पडरौना विधानसभा सीट का अलग ही मिजाज रहा है। 1991 व 2017 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो यहां के मतदाता सत्ता वलहर के विपरीत जनादेश देते रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के आरपीएन स‍िंह ने हैट्रिक लगाई तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस इतिहास को दोहराया। चुनाव से ठीक पहले मौर्य के पाला बदलने के बाद भाजपा से टिकटचाहने वालों फेहरिस्त लंबी तो हुई है, लेकिन पार्टीके सामने प्रत्याशी के कद को लेकर संकट दिख रहा है। कुशवाहा बिरादरी भाजपा का परंपरागत वोटमाना जाता है, लेकिन 2009 के उपचुनाव और 2012 के विधानसभा चुनाव में मौर्य के इस सीट पर लडऩे सेयह वोट उनके साथ चला गया। लहर को भांपते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2017 में भाजपा का दामन थामा था, तब फिर इस समाज का वोट भाजपा के खाते में आया। इस सीट पर भाजपा राम लहरव मोदी लहर में ही जीती है। यहां सर्वाधिक छह बार कांग्रेस को जीत मिली है, इसका एक बड़ा कारण पडरौना राज दरबार भी रहा है। यहां कम्युनिस्ट पार्टी को भी जनता ने जीत का अवसर दिया था। इससे यह बात साफ है कि यहां दल का सिक्का चला है तो व्यक्तित्व काभी जीत पर असर रहा है।

शीर्ष नेतृत्व तय करेगा प्रत्याशी

पडरौना सदर सीट पर किसे प्रत्याशी बनायाजाएगा, इस पर शीर्ष नेतृत्व मंथन कर रहा है।स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपाछोडऩे से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, कुशवाहा समाज के लोगहमारे साथहैं। पार्टी के पास नेता की कमीनहीं है, जिसे प्रत्याशी बनाया जाएगा, कार्यकर्ता उसके साथ खड़े रहेंगे। - प्रेमचंदमिश्र, जिलाध्यक्ष भाजपा।

वर्ष पार्टी विधानसभा सीट

1951 सोशलिस्ट पार्टी -रामसुभग (पडरौना पश्चिमी)

1957 प्रजा सोशलिस्ट पार्टी- बृजनंदन (पडरौना पश्चिमी)

1962 कांग्रेस - मंगल उपाध्याय (पडरौना पश्चिमी)

1967 कांग्रेस -चंद्रदेव तिवारी (पडरौना सदर)

1969 भारतीय क्रांति दल- सीपीएन स‍िंह (पडरौना सदर)

1974 भारतीय क्रांति दल- पुरुषोत्तम कौशिक (पडरौना सदर)

1977 जनता पार्टी- पुरुषोत्तम कौशिक (पडरौना सदर)

1980 कांग्रेस - बृजकिशोर (पडरौना सदर)

1985 लोकदल - बालेश्वर यादव (पडरौना सदर)

1989 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी - असगर (पडरौना सदर)

1991 भारतीय जनता पार्टी - सुरेन्द्र शुक्ल (पडरौना सदर)

1993 समाजवादी पार्टी- बालेश्वर यादव (पडरौना सदर)

1996 कांग्रेस -कुंवर आरपीएन स‍िंह (पडरौना सदर)

2002 कांग्रेस -कुंवर आरपीएन स‍िंह (पडरौना सदर)

2007 कांग्रेस -कुंवर आरपीएन स‍िंह (पडरौना सदर)

2009 बहुजन समाज पार्टी - स्वामी प्रसाद मौर्य (पडरौना सदर)

2012 बहुजन समाज पार्टी - स्वामी प्रसाद मौर्य (पडरौना सदर)

2017 भारतीय जनता पार्टी - स्वामी प्रसाद मौर्य (पडरौना सदर)


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