गोरखपुर : आपूर्ति शुरू होने से पहले ही क्षतिग्रस्त हुआ भूमिगत केबल
आइपीडीएस के निदेशक (तकनीकी) की जांच में पता चला कि बैंक रोड पर डाली गई भूमिगत केबल में दो साल से बिजली आपूर्ति ही नहीं हो रही है। केबल में फाल्ट होने के कारण ओवरहेड लाइन से भी आपूर्ति नहीं हो पा रही।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर शहर में अंडरग्राउंड केबल बिछाने को लेकर महकमा कितना संजीदा है, इसकी हकीकत उजागर हो गई। आइपीडीएस के निदेशक (तकनीकी) की जांच में पता चला कि बैंक रोड पर डाली गई भूमिगत केबल में दो साल से बिजली आपूर्ति ही नहीं हो रही है। केबल में फाल्ट होने के कारण ओवरहेड लाइन से भी आपूर्ति नहीं हो पा रही। इतना ही नहीं विजय चौराहा के आसपास चार स्थानों पर केबल भी क्षतिग्रस्त मिली। पूछताछ में पता चला कि एसटी इलेक्ट्रिकल्स ने यह केबल ढाई साल पहले लगाई थी। इस पर निदेशक ने दूसरी फर्म को क्षतिग्रस्त केबल की मरम्मत कर बिजली आपूर्ति शुरू करने का निर्देश दिया।
आइपीडीएस के निदेशक तकनीकी ने जांची भूमिगत केबल की हकीकत, जताई नाराजगी
बिजली निगम के निदेशक तकनीकी ई. पीपी सिंह इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आइपीडीएस) के तहत हो रहे भूमिगत केबल के कार्यों की जांच करने गोरखपुर पहुंचे। निरीक्षण के दौरान मिली कमियों पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने सुधार के निर्देश दिए। तकनीकी निदेशक ने विजय चौक, सिनेमा रोड, पार्क रोड, गोलघर फीडर से जुड़े क्षेत्रों में बारीकी से जांच की। तकनीकी निदेशक ने गोलघर क्षेत्र में कांपैक्ट ट्रांसफार्मरों की भी जांच करने के साथ सिंंह बाजार में एकमुश्त समाधान योजना के तहत लगाए गए शिविर का निरीक्षण किया। उन्होंने उपभोक्ताओं से बात भी की। उनके साथ अधीक्षण अभियंता शहर ई. यूसी वर्मा भी मौजूद रहे।
फर्म पर दर्ज हो चुका है मुकदमा
केंद्र सरकार की योजना आइपीडीएस के तहत नगरीय क्षेत्र में भूमिगत केबल से बिजली की आपूर्ति होनी थी। इसके लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने एसटी इलेक्ट्रिकल्स को जिम्मेदारी दी थी। कार्यदायी फर्म ने विजय चौक फीडर क्षेत्र में काम पूरा करने के बाद गोलघर व पुर्दिलपुर क्षेत्र में भूमिगत केबल लगाया। काम की गुणवत्ता को लेकर शिकायत हुई तो मामला मुख्यमंत्री तक भी पहुंचा। इसके बाद तत्कालीन अधिशासी अभियंता, गोलघर क्षेत्र के उपखंड अधिकारी एवं अवर अभियंता को निलंबित किया गया था। कार्यदायी फर्म के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था। हाई कोर्ट के निर्देश पर दूसरी फर्म को जिम्मेदारी दी गई है। तकनीकी निदेशक भी इसी क्रम में जांच करने गोरखपुर आए हैं।