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UGC : दूसरे की थीसिस के सहारे नहीं कर पाएंगे शोध Gorakhpur News

दूसरे की थीसिस का नकल कर पीएचडी करने वालों पर नकेल कसते हुए यूजीसी ने शोध से पूर्व नैतिकता का पाठ पढऩा अनिवार्य कर दिया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 03:04 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 03:04 PM (IST)
UGC : दूसरे की थीसिस के सहारे नहीं कर पाएंगे शोध Gorakhpur News
UGC : दूसरे की थीसिस के सहारे नहीं कर पाएंगे शोध Gorakhpur News

गोरखपुर, प्रभात कुमार पाठक। यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में होने वाले शोध को लेकर गंभीर हो गया है। अब तक दूसरे की थीसिस (शोध प्रबंध) का नकल कर पीएचडी करने वालों पर नकेल कसते हुए शोध से पूर्व नैतिकता का पाठ पढऩा अनिवार्य कर दिया है। यानी बिना सिद्धांत व अभ्यास का पाठ्यक्रम पढ़े छात्र शोध नहीं कर सकेंगे। यूजीसी का यह नया नियम अगले सत्र से प्रभावी होगा, जिसके बाद पीएचडी करना आसान नहीं होगा। शोध की गुणवत्ता को लेकर यूजीसी कई वर्षों से प्रयासरत है। समय-समय पर अकादमिक गुणवत्ता व उत्कृष्ट शोध के लिए पूर्व में निर्देश भी जारी करता रहा है। इसे उस दिशा में अगला कदम बताया जा रहा है। इसी के तहत यूजीसी ने शोध में साहित्यिक चोरी रोकने के लिए आरपीइ (रिसर्च एंड पब्लिेकशन एथिक्स) नियम बनाया है।

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चार चरणों में होगी साहित्यिक चोरी की जांच

यूजीसी ने शोध में साहित्यिक चोरी रोकने के लिए चार चरणों में जांच का प्रावधान बनाया है। पहले चरण में यदि साहित्यिक चोरी दस फीसद से नीचे होगा तो उसे शून्य माना जाएगा और शोध छात्र को प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया जाएगा। दूसरे चरण में यदि यह चोरी दस से 40 फीसद हुआ तो छात्र को छह माह के अंदर दूसरा संशोधित थीसिस जमा करना पड़ेगा। तीसरे चरण में 40 से 60 फीसद साहित्यिक चोरी मिलने पर छात्र को एक वर्ष के अंदर संशोधित थीसिस जमा करना होगा। चौथे व अंतिम चरण में यदि 60 फीसद से अधिक साहित्यिक चोरी मिली तो शोध पंजीकरण निरस्त हो जाएगा।

साफ्टवेयर पकड़ेगा साहित्यिक चोरी

यूजीसी ने साहित्यिक चोरी पकडऩे के लिए दो साफ्टवेयर निर्धारित किए हैं। टर्नइटइन व उरकुंड। डीडीयू में उरकुंड लागू है। थीसिस जमा करने से पूर्व शोध छात्र उसकी साफ्ट कापी सीडी या मेल के जरिए भेजेगा। पुस्तकालय के माध्यम से साफ्टवेयर उसकी जांच करेगा। सही मिलने पर छात्र को प्रमाण पत्र मिलेगा, जिसकी कॉपी थीसिस के साथ जमा करना होगा। इसके बाद भी छात्र को डिग्री मिलेगी।

अनिवार्य होगा 30 घंटे का कोर्स

शोध छात्र को प्री-पीएचडी के दौरान तीस घंटे का कोर्स करना अनिवार्य होगा। सैद्धांतिक कोर्स के तहत शोध छात्र को फिलास्फी एंड एथिक्स चार घंटे, साहित्यिक कंडक्ट चार घंटे तथा पब्लिकेशन एथिक्स सात घंटे को होगा। जबकि प्रैक्टिस कोर्स में ओपेन एथिक्स पब्लिशिंग, पब्लिकेशन मिस कंडक्ट चार-चार घंटे तथा डाटाबेस एंड रिसर्च मेट्रिक्स सात घंटे का पढऩा होगा।

यूजीसी के नए नियम से गुणवत्तापरक शोध को बढ़ावा मिलेगा। डीडीयू में इस नियम को सख्ती से लागू किया जाएगा। शोध में साहित्यिक चोरी मिलने पर गाइड व छात्र दोनों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। - प्रो.विजय कृष्ण सिंह, कुलपति, डीडीयू


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