Gorakhpur Gram Panchayat Chunav Result 2021: गोरखपुर में ग्राम प्रधान पद के दो प्रत्याशियोंं को मिले बराबर मत, ऐसे हुआ हार-जीत का फैसला
Gorakhpur Panchayat Chunav Result 2021 गोरखपुर में ग्राम प्रधान पद पर दो प्रत्याशियों को बराबर वोट मिले तो परिणाम फंस गया। एक पक्ष फिर से मतगणना तो दूसरा पक्ष पर्ची से हार-जीत की बात करता रहा। रिटर्निंग आफिसर अरुण कुमार सिंह ने पर्ची के आधार पर परिणाम की घोषणा की।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर के गोला ब्लाक के ग्राम पंचायत सिधारी और नीबी दुबे में दो प्रत्याशियों को एक बराबर वोट मिले तो परिणाम फंस गया। काफी देर तक एक पक्ष फिर से मतगणना तो दूसरा पक्ष पर्ची से हार-जीत की घोषणा की बात करता रहा। इसे लेकर खूब नोकझोंक भी हुई। रिटर्निंग आफिसर अरुण कुमार सिंह ने पर्ची के आधार पर परिणाम की घोषणा की।
दोनोंं को मिले 356-356 मत
गोला बाजार के वीएसएवी इंटर कालेज में मतगणना सुबह शुरू हो गई थी। ग्राम पंचायत सिधारी अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। उम्मीदवार सोनमती व अंजू को मतगणना पूरी होने के बाद 356-356 मत मिले। दोनों पक्षों की सहमति के बाद पर्ची से परिणाम की प्रक्रिया शुरू की गई। इसमें सोनमती विजयी हुईं। नीबी दुबे ग्राम पंचायत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था। यहां प्रत्याशी अनिल यादव व सिंधुविजय यादव को 267-267 बराबर मत मिले। काफी देर तक दोनों पक्ष फिर से मतगणना की मांग करते रहे। हालांकि बाद में पर्ची के आधार पर अनिल यादव को विजयी घोषित किया गया।
मतगणना एजेंटों में जमकर हुई नोकझोंक
गोला कस्बा के वीएसएवी इंटर कालेज में चल रहे मतगणना में काउंटर संख्या चार पर जैसे ही डाड़ीखास ग्राम पंचायत की मतपेटिका खोली गई, उसी दौरान दो पक्षों के एजेंटों में जगह के लिए विवाद शुरू हो गया। इससे वहां अफरातफरी मच गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए दोनों पक्षों को हटाया। इसके बाद मतगणना शुरू हो सकी।
बेटे की जीत देखने से पहले छूटे पिता के प्राण
उधर, पीपीगंज के भरोहिया ब्लाक के अकटहवा गांव में रविवार को मतगणना के दौरान एक संवेदनाओं को झकझोर देने वाली घटना हुई। बेटे को प्रधान के रूप में देखने की ख्वाहिश रखने वाले पिता ने जीत से पहले ही प्राण छोड़ दिए। इसके चलते जिस बेटे को जीत का जश्न मनाना चाहिए था, वह मातम में डूब गया। गांव के पूर्व प्रधान राधेश्याम जायसवाल के बेटे रत्नेश जायसवाल प्रधान पद के प्रत्याशी थे। उनका मुकाबल अपने निकटम प्रतिद्वंदी निवर्तमान प्रधान विनोद जायसवाल से थे। लड़ाई कांटे की थी, सो पिता ने बेटे को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। उनकी मेहनत रंग लाई और मतगणना में रत्नेश शुरू से ही आगे चलने लगे। पिता राधेश्याम तबीयत खराब होने के बावजूद मतगणना की पल-पल की खबर ले रहे थे। लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था।
मतगणना अंतिम चरण में पहुंच रही थी और रत्नेश 50 से अधिक वोट से आगे चल रहे थी तभी राधेश्याम की सांसों ने उनका साथ छोड़ दिया। बाद में रत्नेश को 103 मतों से जीत हासिल हुए लेकिन पिता के निधन की सूचना ने उनकी जीत की खुशी को काफूर कर दिया। फिर तो पूरे गांव में देर रात तक इसी बात की चर्चा चलती रही कि काश! राधेश्याम अपने बेटे के सिर में जीत का सेहरा देख सके होते। चूंकि उनके निधन की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही थी, इसलिए कुछ लोग यह भी कहते देखे गए कि बेटे की बढ़त की खुशी उनका हृदय बर्दाश्त नहीं कर सका।