गोरखपुर में बैठकर ऐसे होती थी IPL में सट्टेेेेेेेबाजी, इन कोडवर्ड से होते थे करोड़ों के वारे-न्यारे
सट्टेबाजों ने धोखा देने वालों पर शिकंजा कसने का रास्ता भी तलाश लिया था। वे मैच में पैसा लगाने वाले की हर काल को रिकार्ड करते थे। बाद में अगर वो पूरा पैसा देने में आनाकानी करता था तो उसे रिकार्डिंग सुनाकर रकम देने के लिए दबाव बनाते थे।
गोरखपुर, जेएनएन। एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) गोरखपुर ने आइपीएल में सट्टा लगाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। बुकी और उसके साथी को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 86 हजार रुपये, पांच मोबाइल फोन, रजिस्टर, डायरी व चेक बरामद किए हैं। कानपुर का रहने वाला सट्टेबाज संदीप मैच का भाव तय करता था। डिब्बा फोन के जरिए बुकी से उसकी बात होती थी।
कानपुर का सट्टेबाज तय करता था भाव, डिब्बा फोन पर होती थी बात
शाहपुर क्षेत्र में सट्टा लगाने वाले गिरोह के सक्रिय होने की सूचना मिलने के बाद एसटीएफ गोरखपुर यूनिट सर्विलांस की मदद से छानबीन कर रही थी। शुक्रवार की रात में एसटीएफ इंस्पेक्टर सत्यप्रकाश सिंह ने पादरी बाजार के ईस्टर्नपुर निवासी रामप्रताप यादव के मकान में छापा डाला। किराए पर कमरा लेकर रहने वाले बुकी राजघाट क्षेत्र के गीता प्रेस निवासी प्रशांत जायसवाल और उसके साथी मोहनापुर निवासी विवेक चौधरी को गिरफ्तार किया। कमरे की तलाशी लेने पर 86 हजार रुपये, पांच मोबाइल, एक डिब्बा फोन, दो रजिस्टर और एक डायरी मिली।
प्रशांत ने एसटीएफ को बताया कि पांच हजार रुपये में उसने किराए पर कमरा लिया था। कानपुर का रहने वाला सट्टेबाज डिब्बा फोन के जरिए आइपीएल मैच खेल रही टीम का भाव बताता था। छापा पडऩे पर प्रशांत ने डिब्बा फोन फारमेट कर दिया। एसटीएफ इंस्पेक्टर सत्यप्रकाश सिंह ने शाहपुर थाने में प्रशांत व विवेक चौधरी के खिलाफ 13 जुआ अधिनियम और साक्ष्य मिटाने का केस दर्ज किया है। रजिस्टर में मिले नाम और मोबाइल नंबर के जरिए गिरोह के दूसरे सदस्यों की तलाश चल रही है।
चार हजार में लिया था डिब्बा फोन का कनेक्शन
प्रशांत ने एसटीएफ को बताया कि कानपुर के रहने वाले संदीप से किराए पर (चार हजार रुपये प्रतिमाह) पर डिब्बा फोन दिया था। जिसके जरिए वह सट्टा लगाता था।
धोखा देने वालों के लिए काल रिकार्डिग
सट्टेबाजों ने पैसा लगाने के बाद धोखा देने वालों पर शिकंजा कसने का रास्ता भी तलाश लिया था। वे मैच में पैसा लगाने वाले की हर काल को रिकार्ड करते थे। बाद में अगर वो पूरा पैसा देने में आनाकानी करता था तो उसे काल रिकार्डिंग सुनाकर पूरी रकम देने के लिए दबाव बनाते थे। यह पूरा गिरोह कानपुर के मेन बुकी के द्वारा संचालित किया जा रहा था।
इन कोडवर्ड से चल रहा था सट्टे का कारोबार
'डिब्बा', 'पंटर', 'लगाया', 'खाया''। इन्हीं कोडवर्ड से शहर में सट्टे का कारोबार चल रहा था। एसटीएफ की गिरफ्त में आए बुकी ने बताया कि सीडीएमए फोन जिसे सट्टेबाजों की भाषा में 'डिब्बा' कहते हैं, उसके जरिए ही कानपुर से मैच के भाव पता करते थे। संभावित विजेता टीम पर दांव लगाने वाले के लिए 'लगाया' तथा जीत की कम संभावना वाली टीम पर दांव लगाने वाले के लिए 'खाया' शब्द का प्रयोग होता था।
डायरी व रजिस्टर में मिले 70 लोगों के नाम
किंग्स इलेवन पंजाब व राजस्थान रायल पर लगा था सट्टा इस साल 50 लाख रुपये से अधिक का लगा चुका है सट्टा जागरण संवाददाता, गोरखपुर : प्रशांत के पास से मिले रजिस्टर व डायरी में आइपीएल में सट्टा लगाने वाले 70 लोगों के नाम मिले हैं। इस साल मैच में 50 लाख से अधिक का सट्टा लग चुका है। बुकी (प्रशांत) का सम्पर्क राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। जिनकी मदद से कमेंट्री के माध्यम खेल की सूचनाएं पहले पहुंचाने के लिए उसे डिब्बा फोन मिला था। जिसकी अलग लाइन थी। एसटीएफ की पूछताछ में पता चला कि 30 अक्टूबर को किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रायल के बीच मैच का भाव सट्टेबाजों ने 19-21 का खोला था। यदि किंग्स इलेवन पंजाब की जीत होती तो टीम पर पैसा लगाए सट्टेबाजों को 1000 पर 1900 रुपये देने होते। राजस्थान रायल के जीतने पर 1000 के 2100 रुपये देना पड़ता। चेक के बारे में पूछने पर प्रशांत ने बताया कि सट्टा खेलने वाले लोग गिरवी के रूप में चेक उसके पास रखते थे। सट्टा में जीतने वाले व्यक्ति से वह पांच प्रतिशत कमीशन अलग से लेता था।