विद्यालय प्रबंधन को अब शिक्षण शुल्क की अलग से देनी होगी जानकारी
छात्रवृत्ति शुल्क में धांधली रोकने के लिए नई व्यवस्था बनाई गई है। इसके तहत अब विद्यालय प्रबंधन को शिक्षण शुल्क और नॉन रिफंडेबल शुल्क को अलग से दर्शाएंगे।
गोरखपुर : छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए विद्यालय प्रबंधन को अब शिक्षण शुल्क के बारे में अलग से जानकारी देनी होगी। समाज कल्याण निदेशालय की जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी मिलने के बाद इसको लेकर आदेश जारी किया गया है। डीएम के. विजयेंद्र पांडियन ने सभी कॉलेज प्रबंधन से नई व्यवस्था के तहत ही शिक्षण शुल्क को दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
दशमोत्तर छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत वर्ष 2018-19 में व्यापक बदलाव किया गया है। शासन के निर्देश पर अब दशमोत्तर छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रवृत्ति मास्टर के डाटा बेस में शिक्षण शुल्क अलग से भरा जाना अनिवार्य है। समाज कल्याण निदेशालय स्तर पर परीक्षण में पता चला कि संस्थाओं द्वारा नान रिफंडेबल अनिवार्य शुल्क एवं शिक्षण शुल्क दोनों को सही प्रकार से नहीं भरा जा रहा है। कही पर दोनों में एक ही तरह का शुल्क लिखा जा रहा है तो कहीं पर शिक्षण शुल्क नान रिफंडेबल शुल्क से अधिक भरा जा रहा है जबकि शिक्षण शुल्क नॉन रिफंडेबिल अनिवार्य शुल्क से प्रत्येक स्थिति में कम ही होगा।
नई व्यवस्था से यह पता चल सकता है कि खामियां कहां पर हैं। शिक्षण शुल्क और नॉन रिफंडेबिल अनिवार्य शुल्क में धांधली को रोकने के लिए यह व्यवस्था की गई है। उम्मीद की जा रही है कि नई व्यवस्था से धांधली नहीं होने पाएगी।
जिलाधिकारी ने सभी शिक्षण संस्थाओं को निर्देश दिए हैं कि छात्रवृत्ति से संबंधित अपने विद्यालय के मास्टर डाटा में शिक्षण शुल्क का अंकन नियमानुसार ही करें ताकि उनके विद्यालय के छात्र-छात्राएं छात्रवृत्ति या शुल्क प्रतिपूर्ति पाने से वंचित न रहें।