Move to Jagran APP

त्रिवेणी एक्‍सप्रेस की उन्‍नत किस्‍म की बाेेेेगी का निर्माण अब गोरखपुर में होगा Gorakhpur News

शक्तिनगर से बरेली के बीच चलने वाली त्रिवेणी एक्सप्रेस के लिए उन्नत किस्म की बोगी का निर्माण अब गोरखपुर में होगा।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 07:00 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 07:00 PM (IST)
त्रिवेणी एक्‍सप्रेस की उन्‍नत किस्‍म की बाेेेेगी का निर्माण अब गोरखपुर में होगा Gorakhpur News
त्रिवेणी एक्‍सप्रेस की उन्‍नत किस्‍म की बाेेेेगी का निर्माण अब गोरखपुर में होगा Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। यांत्रिक कारखाना गोरखपुर में शक्तिनगर से बरेली के बीच चलने वाली त्रिवेणी एक्सप्रेस के लिए हाईब्रिड (उन्नत किस्म की बोगी) कोच तैयार होंगे। रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश पर कारखाना प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है।

loksabha election banner

पुराने हाईब्रिड कोच फिर से नए कलेवर में होंगे तैयार

दरअसल, जिन ट्रेनों को अभी तक अति आधुनिक लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोचों की रेक नहीं मिल पाई है, उन्हें भविष्य में हाइब्रिड कोच से चलाने की योजना है। इसके लिए पुराने हाईब्रिड कोच फिर से नए कलेवर में तैयार होंगे। परंपरागत की जगह हाइब्रिड कोच आरामदायक और सुविधा जनक होते हैं। हालांकि, हाइब्रिड कोच भी पुराने मॉडल की श्रेणी में आ चुके हैं और परंपरागत के साथ हाइब्रिड कोचों का नया निर्माण भी बंद हो चुका है। लेकिन सुविधाजनक होने के चलते पुराने हाईब्रिड को उपयोग में लाया जाएगा। वर्तमान में यात्रियों को अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध कराने व दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए सिर्फ एलएचबी कोचों का ही निर्माण हो रहा है।

अब लग रहीं 60 किलो की रेल लाइनें और स्लीपर

दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे ने एक वर्ष में 120 किमी रेल लाइन को पूरी तरह बदल दिया है। रेल लाइनों के साथ स्लीपर भी बदले जा रहे हैं। यही नहीं 216 किमी रेल पथ की डीप स्क्रीनिंग भी पूरी कर ली गई है। यानी, रेल लाइनों पर मौजूद कंकरीट की छनाई भी युद्धस्तर पर जारी है।

सुरक्षा के लिए 1692 किलोमीटर रेल पथ की हुई पेंटिंग

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार सुरक्षा और संरक्षा को देखते हुए अब 52 की जगह 60 किलोग्राम की रेल लाइनें बिछाई जा रही है। 52 किलोग्राम की जगह 60 किलोग्राम वाले स्लीपर भी लगाए जा रहे हैं। रेल की सुरक्षा के लिए 1692 किमी रेल पथ की पेंटिंग कराई गई है। 65 अंडरपास और 14 उपरिगामी पुल बनाए गए हैं। सुरक्षित रेल यात्रा के लिए किए गए प्रयास का असर भी दिखा है। वर्ष 2019-20 में पूर्वोत्तर रेलवे में एक भी परिणामी रेल दुर्घटना नहीं हुई है। ट्रेनों की रफ्तार बढऩे के साथ ही समय पालन भी दुरुस्त हुआ है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.