जंगल में पेड़ों की लगातार हो रही कटान, खत्म हो रहे साखू के पेड़ Gorakhpur News
वन विभाग साखू की नर्सरी नहीं डालता है। साखू के जंगल का क्षेत्रफल घट रहा है। जानकारों का कहना है कि दस वर्षों में 200 वर्गमीटर से अधिक साखू का क्षेत्रफल घटा है।
गोरखपुर, जेएनएन। फरेंदा वन रेंज के बरडांड़ बीट से लगातार हरे पेड़ों की कटान जारी है। साखू के 20 वर्ष से अधिक आयु के पेड़ काटकर जंगल को बीच से खाली किया जा रहा है। फरेंदा रेंज के कुछ व्यक्तियों ने इसकी शिकायत अधिकारियों से की। सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के जरिये भी विभाग का ध्यान लोगों ने आकृष्ट कराया, बावजूद इसके किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
साल भर में जंगल से दो सौ से अधिक पेड़ कटे
माह भीतर जंगल से 20 साखू के पेड़ काट लिए गए हैं। फरेंदा के त्रिपुरेश पांडेय ने इसे लेकर आरटीआई डाली। उनके मुताबिक जांच के लिए विभाग उन्हें मौके पर बुला रहा था। वह कहते हैं कि उन्होंने अधिकारियों को वह तस्वीरें भेजी हैं जिनमें अक्षांश, देशांतर के साथ जीपीएस(ग्लोबल पोजीशन सिस्टम) का जिक्र है। ऐसे में उन्हें मौके पर जाने की क्या आवश्यकता है। उनका दावा है कि एक वर्ष में जंगल से 200 से अधिक पेड़ काटे गए हैं। त्रिपुरेश बताते हैं कि इसकी शिकायत प्रमुख मुख्य वन संरक्षक से भी की है।
ऐसे तो खत्म हो जाएगा साखू
वन विभाग साखू की नर्सरी नहीं डालता है। साखू के जंगल का क्षेत्रफल घट रहा है। जानकारों का कहना है कि दस वर्षों में 200 वर्गमीटर से अधिक साखू का क्षेत्रफल घटा है। ऐसे ही हरे पेड़ों की कटान होती रही तो जंगल से साखू का पेड़ गायब हो जाएगा। क्योंकि नर्सरी नहीं डाले जाने के कारण साखू का कोई नया वृक्ष नहीं दिखाई पड़ रहा है। सभी पुराने वृक्ष हैं। अगर वन विभाग इसी तरह लापरवाही करता रहा तो स्थिति ठीक नहीं होगी।
पेड़ों की कटान गंभीर बात, हो रही जांच
मुख्य वन संरक्षक दीपक कुमार के अनुसाार मामले की जानकारी नहीं है। जंगल से पेड़ों की कटान होना गंभीर है। इसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई भी होगी। वन विभाग किसी को भी नहीं बख्शने वाला नहीं है। चाहे वह विभागीय कर्मचारी हों या फिर बाहरी व्यक्ति हों, जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।