पूर्वोत्तर रेलवे की पटरियों पर भी 130 की रफ्तार से दौड़ेंगी ट्रेनें Gorakhpur News
वाराणसी मंडल के गोरखपुर- पनियहवां रेल खंड पर स्लीपर बदले जा रहे हैं। अति आधुनिक मशीनों से 52 की जगह 60 किलो ग्राम के कंक्रीट के स्लीपर लगाए जा रहे हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे में भी ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी। राजधानी, वंदे भारत और कॉरपोरेट ट्रेनें चल सकेंगी। इसके लिए पटरियों, प्वाइंटों और सिग्नल सिस्टम को और मजबूत किया जा रहा है। फिलहाल, रेल लाइन और स्लीपर बदलने का कार्य शुरू हो चुका है। रेलवे की यह कवायद पूरी होते ही ट्रेनों की रफ्तार 19 फीसद तक बढ़ जाएगी।
वाराणसी मंडल के गोरखपुर- पनियहवां रेल खंड पर स्लीपर बदले जा रहे हैं। अति आधुनिक मशीनों से 52 की जगह 60 किलो ग्राम के कंक्रीट के स्लीपर लगाए जा रहे हैं। 13 किमी तक कार्य पूरा कर लिया गया है। रेल लाइनों को जोडऩे वाले प्वाइंट पर मजबूत स्विच लगने शुरू हो गए हैं। रेल लाइनें भी तेजी से बदली जा रही हैं। खास बात यह है कि स्टेशनों के मध्य रेल लाइनों के बीच गैप नहीं होगा।
दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाएंगे डबल डिस्टेंट सिग्नल
पूर्वोत्तर रेलवे में सिग्नल सिस्टम को और मजबूत करने के लिए स्टेशनों पर डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाए जाएंगे। यह स्टेशन यार्ड के बाहर डिस्टेंट सिग्नल से आगे लगेंगे। इसमें सिर्फ पीले और हरे रंग के सिग्नल होंगे, जो लोको पायलटों को पीछे वाले सिग्नलों की स्थिति के बारे में आगाह करेंगे। हरे रंग के सिग्नल पर ट्रेन बिना ब्रेक के यार्ड में प्रवेश कर जाएगी। सिग्नल पीला होने पर लोको पायलट ट्रेन को नियंत्रित कर लेंगे। सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि ट्रैक नवीनीकरण का कार्य प्रगति पर है। रेल लाइन और स्लीपर बदल जाने से न सिर्फ ट्रैक संरक्षित और मजबूत होगा, बल्कि ट्रेनों की रफ्तार भी बढ़ जाएगी।
रेलवे पुल कारखाना को मिला तीन श्रेणियों में आइएसओ प्रमाण पत्र
पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर छावनी स्थित पुल कारखाना को गुणवत्ता, पर्यावरण व व्यवसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों पर खरा उतरने के लिए तीन श्रेणियों में आइएसओ (इंडियन स्टेंडर्ड आर्गनाइजेशन) प्रमाण पत्र मिला है। वर्ष 1947 में स्थापित तथा 1954 से स्वतंत्र इकाई के रूप में कार्य कर रहे पुल कारखाने में दूसरे रेलवे के लिए भी उपकरणों का निर्माण किया जाता है।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार कारखाना पुलों के मरम्मत और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सीतापुर-बुढवल दोहरीकरण में लगने वाले ओपेन वेब गर्डर का निर्माण कारखाने में ही हो रहा है। कारखाने से निकले स्पैन का उपयोग तुर्तीपार, खड््डा, रामगंगा इज्जतनगर, मांझी पुल वाराणसी में किया जा चुका है। कारखाने में फुट ओवरब्रिज, यात्री प्लेटफार्म और छज्जा का निर्माण होता है। भू तकनीकी प्रयोगशाला में मिट्टी, बालू, मोरंग और ईंट आदि का परीक्षण होता है।