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Top Gorakhpur News, 03 october 2020: गोरखपुर में 50 करोड़ की फैक्ट्री में प्रबंधन से लगायत श्रमिक तक होंगी महिलाएं, अपराध में बड़ा नाम चाहते हैं छोटे अपराधी

Top Gorakhpur News 03 october 2020 पढ़ें गोरखपुर में 50 करोड़ की फैक्ट्री में प्रबंधन से लगायत श्रमिक तक होंगी महिलाएं अपराध में बड़ा नाम चाहते हैं छोटे अपराधी संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती के लिए बुला रहे डाक्‍टर जैसी खबरें।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 08:13 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 08:13 PM (IST)
Top Gorakhpur News, 03 october 2020: गोरखपुर में 50 करोड़ की फैक्ट्री में प्रबंधन से लगायत श्रमिक तक होंगी महिलाएं, अपराध में बड़ा नाम चाहते हैं छोटे अपराधी
फैक्‍ट्री के प्रमोटर रवींद्र अग्रवाल का फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। जिले में 50 करोड़ रुपये की लागत से बनने जा रही फैक्ट्री  महिला सशक्तीकरण की मिसाल होगी।  गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में स्थापित होने वाली इस फैक्ट्री में टेबल वेयर (क्रॉकरी उत्पाद) बनेगा। यहां प्रबंधन से लेकर श्रमिक तक महिलाएं ही नजर आएंगी। पुरुषों को केवल वहीं जगह मिलेगी, जहां महिलाओं के लिए काम करना उपयुक्त नहीं होगा। 24 घंटे संचालित होने वाली फैक्ट्री में नाइट शिफ्ट में ही पुरुष कामगार नजर आएंगे। छोटे अपराधी छोटी घटनाओं को सनसनी पूर्वक अंजाम देकर अपराध जगत में बड़ा नाम करने लगे हैं। ऐसी कई छोटी घटनाएं हैं जिसमें सनसनी पैदा कर दी गई। छोटे अपराधों की अनदेखी जिले में बड़े मामलों को जन्म दे रहे हैं। कोरोना संक्रमण से किसी की मौत न हो, इस बात को लेकर प्रशासन काफी गंभीर है। इसके लिए होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की निगरानी बढ़ा दी गई है। ऐसे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है, जिनकी उम्र 50 साल से ऊपर है और जो पहले से किसी बीमारी से पीडि़त हैं। प्रशासन की ओर से उनके जीवन की सुरक्षा के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती होने के लिए बुलाया जा रहा है लेकिन अधिकतर लोग आने से इनकार कर दे रहे हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ से एक ऐसा युवक प्रभावित हुआ है, जो गांव की बेटियों को देह व्यापार के दलदल से निकालकर समाज के मुख्यधारा में लाना चाहता है। इसके लिए वह थाने से लेकर मानवाधिकार और शासन तक गुहार लगा चुका है।

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गोरखपुर में 50 करोड़ की फैक्ट्री में प्रबंधन से लगायत श्रमिक तक होंगी महिलाएं

गोरखपुर जिले में 50 करोड़ रुपये की लागत से बनने जा रही फैक्ट्री  महिला सशक्तीकरण की मिसाल होगी।  गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में स्थापित होने वाली इस फैक्ट्री में टेबल वेयर (क्रॉकरी उत्पाद) बनेगा। यहां प्रबंधन से लेकर श्रमिक तक महिलाएं ही नजर आएंगी।  पुरुषों को केवल वहीं जगह मिलेगी, जहां महिलाओं के लिए काम करना उपयुक्त नहीं होगा। 24 घंटे संचालित होने वाली फैक्ट्री में नाइट शिफ्ट में ही पुरुष कामगार नजर आएंगे।

फैक्ट्री लगाने के लिए प्रमोटर रवींद्र अग्रवाल के नाम से करीब 10 हजार वर्ग मीटर (एक लाख वर्ग फीट से अधिक) जमीन आवंटित हो चुकी है। यहां नई तकनीकी का प्रयोग करते हुए प्रतिदिन करीब 45 टन टेबल वेयर(कप-प्लेट,कटोरा,मग, चम्मच) का उत्पादन किया जाएगा। काम करने वाले 400 कर्मियों में 60 फीसद से अधिक महिलाएं होंगी। ऑफिस हो या तकनीकी काम, सुपरवाइजर या पैकेजिंग करने वाले श्रमिक, हर जगह महिलाओं को ही मौका देने की तैयारी है। यहां तक कि रिसर्च एंड डेवलपमेंट का अहम दायित्व भी उन्हीं के हाथ होगा।

इस कंपनी से जुड़ी एक इकाई दमन दीव में पहले से चल रही है। प्रमोटर रवींद्र अग्रवाल के भाई राजीव अग्रवाल का फैक्ट्री को चलाने में तकनीकी सहयोग रहता है। महिलाओं को आगे बढ़ाने की प्रेरणा उन्हें उनके दादा वकील मथुरा प्रसाद अग्रवाल से मिली। गोरखपुर में रहकर उन्होंने महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काफी काम किया है। कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में उनका योगदान रहा। बदामा देवी मथुरा प्रसाद अग्रवाल फाउंडेशन (बीडीएमपीए) के नाम से संचालित संस्था का कार्यालय शहर में तरंग रोड स्थित हजारीपुर मोहल्ले में है। मथुरा प्रसाद एवं उनकी पत्नी बदामा देवी के नाम पर बनी यह संस्था गरीब कन्याओं की शादी कराती है। संस्था अतिथि भवन का संचालन भी करती है। प्रमोटर का मानना है कि महिलाएं काम के प्रति अधिक जिम्मेदार होती हैं और किचन से जुड़ा उत्पाद होने के कारण उनकी रुचि भी अधिक रहेगी।

क्वार्टज टेबल वेयर प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर रवींद्र अग्रवाल का कहना है कि गोरखपुर में टेबल वेयर (क्रॉकरी उत्पाद) बनाने की फैक्ट्री स्थापित हो रही है। समाज के प्रति जिम्मेदारियों को निभाते हुए यहां प्रबंधन से लेकर श्रमिक तक महिलाओं को मौका दिया जाएगा।

गोरखपुर में सनसनी पैदा कर बड़ा नाम करना करना चाहते हैं छोटे अपराधी

छोटे अपराधी छोटी घटनाओं को सनसनी पूर्वक अंजाम देकर अपराध जगत में बड़ा नाम करने लगे हैं। ऐसी कई छोटी घटनाएं हैं जिसमें सनसनी पैदा कर दी गई। छोटे अपराधों की अनदेखी जिले में बड़े मामलों को जन्म दे रहे हैं। इस बात को पुलिस महकमा भी महसूस कर रहा है कि यदि समय रहते पुलिस ने आरोपितों पर उचित कदम उठाया होता तो हत्या, हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर अपराध होते ही नहीं।

कैंट थाना क्षेत्र के मोहद्दीपुर गोली कांड में भी पुलिस पहले मारपीट के मामले की अनदेखी की। वर्चस्व की जंग में दो गैंग में गोलियां चलीं, लेकिन पुलिस ने उनका आपस में समझौता करा दिया। इसकी देन रही कि 21 सितंबर की दोपहर कैंट एरिया के सिंघडिय़ां-विशुनपुरवा से लेकर मनबढ़ों ने जमकर उत्पात मचाया था। फिल्मी स्टाइल में दो गुटों के बीच जमकर लड़ाई हुई। दोनों गुटों ने वर्चस्व में गोलियां दागीं। बदमाशों ने मोहद्दीपुर में पहुंचकर जितेंद्र यादव को गोली मार दी।

हरपुर बुदहट थाना क्षेत्र के ग्राम बरयावीर निवासी कामता यादव का कुछ व्यक्तियों से भूमि विवाद था। वह दर्जन भर से अधिक बार पुलिस को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगा चुके थे, लेकिन पुलिस ने ध्यान नहीं दिया। बीते 11 अगस्त को गांव में पंचायत के दौरान बदमाशों ने उनकी हत्या कर दी।

गोला थाना इसी तरह से ग्राम अहिरौली प्रथम निवासी साबिर अली का कुछ व्यक्तियों से भूमि विवाद था। यह मामला भी पुलिस के पास गया। लेकिन पुलिस ने इसकी अनदेखी की। नतीजा आरोपितों ने 21 सितंबर की शाम को उन्हें चाकू मारकर घायल कर दिया।  यह घटनाएं बानगी मात्र हैं। जिले में ऐसे दर्जनों मामले हैं, जब पुलिस ने छोटे मामलों की अनदेखी की तो वह बड़ी वारदात के रूप में सामने आए हैं।

नई उम्र के युवा सनसनी फैलाकर अपराध जगत में अपना नाम बड़ा कर रहे हैं। बाद में वह इस नाम का प्रयोग ठीका पट्टा लेने में कर रहे हैं। इसमें कई युवा ऐसे भी हैं, जिनके परिजन भी उनका सहयोग कर रहे हैं। अपने नाम का प्रभाव वह प्रॉपर्टी डीलिंग के क्षेत्र में भी दिखा रहे हैं। कई जगह भूमि कब्जा करने में भी युवाओं का नाम आगे आया है। अपर पुलिस महानिदेशक दावा शेरपा का कहना है कि चार दिन पूर्व अपराध की समीक्षा के दौरान यह देखा गया कि जिलों में अपराध की संख्या तो नहीं बढ़ी है, लेकिन सनसनी फैलाने वाले अपराध बढ़े हैं। इसमें मोहद्दीपुर गोलीकांड आदि घटनाएं हैं। ऐसे में उभरते अपराधियों पर शिकंजा कसने, गैंगेस्टर की कार्रवाई को लेकर गोरखपुर, महराजगंज, गोंडा, बहराइच के एसएसपी व एसपी को निर्देशित किया गया है।

Coronavirus: गोरखपुर में संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करने के लिए बुला रहे डाक्‍टर, लोग जाने को तैयार नहीं

गोरखपुर में कोरोना संक्रमण से किसी की मौत न हो, इस बात को लेकर प्रशासन काफी गंभीर है। इसके लिए होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की निगरानी बढ़ा दी गई है। ऐसे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है, जिनकी उम्र 50 साल से ऊपर है और जो पहले से किसी बीमारी से पीडि़त हैं। प्रशासन की ओर से उनके जीवन की सुरक्षा के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती होने के लिए बुलाया जा रहा है लेकिन अधिकतर लोग आने से इनकार कर दे रहे हैं। इसके बावजूद समय-समय पर उनकी निगरानी की जा रही है।

रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) को इस समय काफी सक्रिय किया गया है। 42 आरआरटी को होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों की जांच करने के लिए लगाया है। हर रोज उन्हें ऐसे लोगों की रिपोर्ट देनी होती है, जो घर में रहने लायक नहीं हैं। उन्हें यह बात समझायी जा रही है कि उनकी उम्र में कोरोना संक्रमण खतरनाक हो सकता है। किडनी, सुगर, बीपी जैसी बीमारियों से पीडि़त हैं तो यह संक्रमण खतरनाक है। प्रशासन की ओर से इन मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है। पर, करीब 10 फीसद अस्पताल जाने को तैयार हो रहे हैं। इस समय सरकारी एवं निजी, दोनों तरह के कोविड अस्पतालों में जगह है।

कलेक्ट्रेट में कोरोना मरीजों की सुविधा के लिए कोरोना कंट्रोल रूम का संचालन 24 घंटे किया जा रहा है। मरीज को हायर सेंटर रेफर न किया जा रहा हो या कहीं भर्ती न किया जा रहा हो तो वह यहां फोन कर सकता है। कंट्रोल रूम में दो तरह की टीम काम कर रही है। स्वास्थ्य विभाग (आयुष) की टीम मरीजों को भर्ती कराने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इनमें डॉ. अमरनाथ तिवारी, डॉ. हरेंद्र कुमार कुशवाहा व फार्मासिस्ट, अभय कुमार शामिल हैं। दूसरी टीम में डॉ. प्रमोद कुमार यादव, फार्मासिस्ट राम प्रकाश, अखिलेश पाल आरआरटी की मानीटरिंग करते हैं। दोनों टीमें उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल की देखरेख में काम करती हैं।

दो दिन में 94 लोगों को कंट्रोल रूम से फोन किया गया है। एक अक्टूबर को 55 व दो अक्टूबर को 39 लोगों को फोन किया गया। पर, करीब 10 लोग अस्पताल जाने को तैयार हुए। तीन अक्टूबर को 45 लोगों को फोन किया जाएगा। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह का कहना है कि मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रशासन का प्रयास है कि कोरोना से किसी की मौत न हो। पहले से बीमार एवं 50 वर्ष से ऊपर के लोगों को अस्पताल में भर्ती होने के लिए फोन किया जा रहा है लेकिन अधिकतर लोग इससे मना कर रहे हैं जबकि उनकी सुरक्षा के लिए यह जरूरी है। आरआरटी ऐसे लोगों पर लगातार नजर रख रही है।

देह व्यापार के दलदल से बेटियों को दूर रखना चाहता है युवक Gorakhpur News 

सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ से एक ऐसा युवक प्रभावित हुआ है, जो गांव की बेटियों को देह व्यापार के दलदल से निकालकर समाज के मुख्यधारा में लाना चाहता है। इसके लिए वह थाने से लेकर मानवाधिकार और शासन तक गुहार लगा चुका है। इसकी फरियाद सुनकर जिला प्रशासन ने भी कवायद शुरू कर दी है। डीएम ने इसकी जिम्मेदारी सीओ डुमरियागंज और एसडीएम इटवा को दी है।

यह नौजवान सिद्धार्थनगर जिले के इटवा तहसील क्षेत्र के बिस्कोहर के एक टोला का निवासी है। उसके बाप का पता नहीं है, लेकिन टोले की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी, इसके लिए उसने लड़ाई शुरू कर दी है और आखिरी दम तक लडऩे का एलान कर दिया है। इस युवक का परिवार भी पहले इस धंधे में था, जो अब छोड़ चुका है। राजा से प्रभावित होकर 45 में नौ परिवार यह धंधा छोड़ चुका है। धंधा छोड़ चुके परिवार के युवा आटो और पिकअप चलाकर अपने परिवार की जीविका चला रहे हैं। वह खुद पड़ोस के जनपद बलरामपुर में एक शराब की दुकान पर आठ हजार मानदेय पर नौकरी करता है।

वह कहता है कि उसकी कोई जाति नहीं है। उसकी तीन बेटियां हैं। घर ऐसे लोगों के बीच में है, जहां आजू-बाजू सिर्फ धंधा ही चलता है। इसके चलते उसकी मां-पत्नी-बेटियों पर संकट गहरा गया है। धंधा को बंद कराने के लिए कई बार प्रयास किया, लेकिन मेरे फरियाद की फाइलें दरकिनार कर दी जाती हैं। बदनामी के डर से गांव की बेटियों की शादी नहीं हो पा रही है। बेटियों की पढ़ाई नहीं हो पाती है। इनकी बेदाग जिंदगी के लिए आखिरी सांस तक लड़ता रहूंगा।

पुलिस अधीक्षक से मिलकर उसने अपनी जान का खतरा बताया है। कहा कि देह व्यापार समाप्त करने के लिए उसने लड़ाई शुरू की है। जिन लोगों के खिलाफ मेरे द्वारा शासन तक शिकायत की गई है, वह लोग शिकायती पत्र वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। वे लोग यह धंधा नहीं छोडऩा चाहते हैं। इसलिए दबाव बना रहे हैं। उनकी घर की बेटियां भी इस धंधे से निकलना चाहती हैं, लेकिन जब भी कोई जांच अधिकारी यहां आता है, घर की महिलाओं और बेटियों को छिपा दिया जाता है।

जिलाधिकारी दीपक मीणा का कहना है कि इस सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए युवक मुझसे भी मिल चुका है। ऐसे परिवारों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए मेरे स्तर से जो भी, जितना भी हो सकेगा करूंगा। इसके लिए पुलिस के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक भी की जाएगी। वहीं पुलिस अधीक्षक राम अभिलाष त्रिपाठी का कहना है कि मुझे जानकारी नहीं थी कि बिस्कोहर के एक टोले में देह व्यापार का धंधा चल रहा है। युवक ने अपनी पीड़ा बताई है। मैं जल्द ही गांव का निरीक्षण कर इस समाजिक बुराई को दूर करने का पूरा प्रयास करुंगा। युवक की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

खुदकुशी कर चुकी हैं आधा दर्जन युवतियां, अनलॉक में भी एंटी रोमियो दस्ता लॉक, Gorakhpur News

 हाथरस की घटना को लेकर जगह-जगह विरोध होना शुरू हो गया है। जिले की स्थिति भी बहुत अच्‍छी नहीं है। 23 अगस्त 2020 को छेडख़ानी का विरोध करने पर मनबढ़ों ने खोराबार थाना क्षेत्र के शाहुकोल उर्फ मिर्जापुर में एक महिला व उसके परिवार के लोगों को बेरहमी से पीटा। घटना के 19 दिन बाद घायल महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई। दूसरी घटना हरपुर बुदहट थाना क्षेत्र की है। शोहदों ने छेडख़ानी का विरोध करने पर प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली युवती व उसके पिता को पीटा। वह करीब सप्ताह भर से उस युवती को परेशान कर रहे थे। युवती के पिता ने थाने में इसकी तहरीर दी है। पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।

यह दो घटनाएं बानगी मात्र हैं। हर थाना क्षेत्र में इन दिनों यह घटनाएं आम है। घर से निकलते वक्त बेटियां सहमी सी रहती हैं और पुलिस सब कुछ ठीक बताती है। यह स्थिति तब है, जब प्रदेश सरकार जगह-जगह सार्वजनिक स्थलों पर दुराचारियों के फोटो लगाने का निर्देश जारी कर चुकी है। ताकि महिला अपराध पर अंकुश लगाया जाए। सवाल यह है कि आखिर तीन वर्ष पूर्व गठित की गईं एंटी रोमियो टीमें कहां गई हैं। जिला स्तर से लेकर हर थाना क्षेत्र में यह टीमें गठित की गई थीं। छेडख़ानी से घबराई युवतियों की व्यथा बताती है कि किसी भी थाना क्षेत्र में यह टीमें सक्रिय नहीं हैं। अनलॉक 5 में भी एंटी रोमियो टीम पर लॉकडाउन का असर दिख रहा है। गगहा थाना क्षेत्र में एक युवती तीन वर्षों से छेडख़ानी से तंग थी। उसके परिजन भी कई बार पुलिस से इस मामले की शिकायत कर चुके थे। लेकिन इसे ना ही कभी एंटी रोमियो स्क्वाड ने गंभीरता से लिया और ना ही थाना पुलिस ने। ऐसे में युवती ने 22 सितंबर 2020 को युवती फंदे से लटक गई। परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल इलाज के लिए लेकर गए। वहां करीब सप्ताह भर तक उसका इलाज चला और उसके बाद उसकी मौत हो गई। पिपराइच थाना क्षेत्र में कोचिंग पढऩे वाली छात्रा शोहदों से परेशान थी। शोहदे काफी दिनों से उसके साथ छेडख़ानी कर रहे थे। इसके परिवार के लोगों ने भी कई बार पुलिस से इसकी शिकायत किया, लेकिन पुलिस ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अंत में हार मानकर युवती ने 10 अगस्त 2020 को मिट्टी का तेल डालकर आग लगा लिया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

हरपुर बुदहट थाना क्षेत्र में 28 सितंबर को शोहदों ने एक युवती के साथ छेडख़ानी की। युवती ने इसका विरोध किया तो उन्होंने उसके कपड़े फाड़ दिए। एसएसपी जोगेंद्र कुमार का कहना है कि महिला अपराध को लेकर पुलिस पूरी तरह गंभीर है। सभी थाना प्रभारियों को इसके लिए निर्देशित भी किया गया है। लापरवाही बरतने वाले के विरुद्ध कार्रवाई होगी।


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