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Durga Puja 2021: इस बार रोजगार की रोशनी से जगमग होगी मूर्तिकारों की दिवाली

Durga Puja 2021 गोरखपुर शहर की दुर्गापूजा में उत्साह का रंग भरने में जुटे बंगाल से आए दर्जनों मूर्तिकार गोरखनाथ मंदिर परिसर में दिन-रात मां दुर्गा की प्रतिमा को स्वरूप देने में लगे हैं। यहां से गोरखपुर और आसपास के ज‍िलों में दुर्गा प्रत‍िमाएं जाती हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 03:04 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 03:04 PM (IST)
Durga Puja 2021: इस बार रोजगार की रोशनी से जगमग होगी मूर्तिकारों की दिवाली
गोरखपुर में मूर्तिकार दुर्गा पूजा की तैयार‍ियों में जुट गए हैं। - फाइल फोटो

गोरखपुर, रजनीश त्रिपाठी। गोरखपुर शहर की दुर्गापूजा में उत्साह का रंग भरने में जुटे बंगाली मूर्तिकार निमाई पॉल, इस बात को लेकर बहुत खुश हैं कि ये दिवाली पिछली बार की तरह फीकी नहीं रहेगी। धनतेरस को जब वह अपने घर लौटेंगे तो उनके पास इतनी रकम होगी कि अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ वह पुराने कर्ज भी चुका पाएंगे। हालांकि निमाई के जेहन में अभी भी उस कोरोना का डर बरकरार है, जिसकी वजह से गुजरे साल उन लोगों को खाली बैठना पड़ा था।

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कोरोना में तंगहाली के चलते पिछली बार फीका पड़ गया था त्योहार

निमाई पॉल की तरह ही बंगाल से आए दर्जनों मूर्तिकार गोरखनाथ मंदिर परिसर में दिन-रात मां दुर्गा की प्रतिमा को स्वरूप देने में लगे हैं। तल्लीनता के साथ मां दुर्गा के चेहरे को आकर देने में लगे निमाई ने कहा कि हमें भरोसा था कि देवी मां बहुत जल्दी सब ठीक कर देंगी। कोरोना के चलते पिछली बार प्रतिमा स्थापना न होने से उन्हें काम नहीं मिला और पूरे साल खेतों में मजदूरी करके ही गुजारा करना पड़ा। शेर के दांतों को दुरुस्त करने में लगे गंगासागर से आए मूर्तिकार खुदीराम ने बताया ज्यादातर मूर्तियां पांच से सात फिट तक की हैं। लंबी आंख वाली बंगाली दुर्गा प्रतिमाओं की सर्वाधिक मांग है। पिछले साल प्रतिमाएं नहीं बननी थीं तो हम लोगों को काम भी नहीं मिला। पूरा साल जैसे-तैसे काटना पड़ा।

दुर्गा प्रतिमाओं को आकार देने में जुटे पश्चिम बंगाल से आए मूर्तिकार

तकरीबन एक दशक से मूर्ति बनाने गोरखपुर आ रहे शंभू और गोपाल बांस की फट्ठी से उस ढांचे को तैयार करने में जुटे थे, जिस पर प्रतिमा आकार लेती है। शंभू ने बताया कि पिछले साल कोरोना के चलते मूर्तियां नहीं बननी थी, इसलिए हम लोग नहीं आए। रोजगार नहीं मिला तो धान और पान के खेत में मामूली मजदूरी पर काम करना पड़ा। तीन महीने काम करने के बाद हम लोग धनतेरस के दिए यहां से घर लौटेंगे और दिवाली वहीं मनाएंगे।

फैक्ट्री संचालक विशाल सिंह ने बताया कि इस बार प्रतिमाओं की ठीक-ठाक बुकिंग हो रही है। साइज पिछली बार के मुकाबले थोड़ी बड़ी है। अभी दुर्गा प्रतिमाएं बन रही हैं, इसके बाद लक्ष्मीजी की प्रतिमा बनाई जाएगी। बंगाल से आने वाले मूर्तिकारों के लिए पिछला साल बहुत चुनौती भरा रहा। यहां के कई फैक्ट्री मालिकों ने उनकी आर्थिक मदद की, जिसके चलते उनके परिवार की जरूरतें पूरी हुईं। इस बार सभी में जबरदस्त उत्साह है।


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