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बड़े काम का है यह पौधा ; उच्च रक्तचाप, हिस्टीरिया तक का इससे होता है इलाज Gorakhpur News

औषधीय गुणों से युक्त पौधों में सर्पगंधा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इसके जड़ का रस उच्च-रक्तचाप की बहुमूल्य औषधि है। हिस्टीरिया के इलाज में भी यह लाभकारी है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 12:30 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 01:59 PM (IST)
बड़े काम का है यह पौधा ;  उच्च रक्तचाप, हिस्टीरिया तक का इससे होता है इलाज Gorakhpur News
बड़े काम का है यह पौधा ; उच्च रक्तचाप, हिस्टीरिया तक का इससे होता है इलाज Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। औषधीय गुणों से युक्त पौधों में सर्पगंधा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम रावोल्फिया सर्पेंटीना है। यह पुष्पीय पौधों के द्विबीजपत्रीय कुल एपोसाइनेसी का सदस्य है। अंग्रेजी में इसे सर्पेंटीन तथा स्नेक रूट नामों से जाना जाता है।

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पहचान : गोरखपुर विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वीएन पांडेय के अनुसार सर्पगंधा एक छोटा चमकीला, सदाबहार, बहुवर्षीय झाड़ीनुमा पौधा है जिसकी जड़ें मृदा में गहराई तक जाती है। इसका पौधा ढाई से तीन फीट तक ऊंचा होता है।

इसके पत्ते लंबे, चमकीले और नोकदार होते हैं। 3-4 पत्तों का गुच्छा रहता है। इसके फल मटर के समान चिकने व हरे होते हैं, जो पकने पर बैंगनी या काले हो जाते हैं। जड़ें टेढ़ी-मेढ़ी करीब 18-20 इंच लंबी होती है। जड़ की छाल धूसरित पीले रंग की होती है। पौधे की छाल का रंग पीला होता है।

यहां पाया जाता है पौधा

यह उष्णकटिबंधीय हिमालय तथा हिमालय के निचले प्रदेशों में सिक्किम तक वितरित है। यह वनस्पति असम में भी पायी जाता है। प्रायद्वीपीय भारत में सर्पगंधा पश्चिमी तट के किनारे पाया जाता है। भारत के अतिरिक्त श्रीलंका, म्यनमार, मलेशिया, इण्डोनेशिया, चीन तथा जापान में भी वितरित है।

औषधीय गुण : सर्पगंधा के औषधीय गुण मुख्यत: पौधे की जड़ों में पाए जाते हैं। जड़ में 55 से भी ज्यादा क्षार पाये जाते हैं। लगभग 80 प्रतिशत क्षार जड़ों की छाल में केंद्रित होते हैं। जड़ का रस अथवा अर्क उच्च-रक्तचाप की बहुमूल्य औषधि है। हिस्टीरिया के इलाज में भी यह लाभकारी है। पत्तियों का रस नेत्र ज्योति बढ़ाने में भी होता है। इसके अतिरिक्त मानसिक विकारों के उपचार में भी यह लाभकारी है।


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