अकबर के सिपहसालार के नाम पर बसा है यह मोहल्ला, 400 साल पुराना है इसका इतिहास Gorakhpur News
गोरखपुर का मोहद्दीपुर मोहल्ला अकबर के सिपहसालार मोहीउद्दीन के नाम पर पड़ा है। इस मोहल्ले का इतिहास चार सौ वर्ष पुराना है। जानिए क्या है इसके पीछे का कारण।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर शहर के पूर्वी छोर पर बड़े दायरे में फैला मोहद्दीपुर मोहल्ला सिर्फ खुद की नहीं बल्कि बहुत से आसपास के मोहल्लों की भी पहचान है। प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में बसे जिले कुशीनगर और देवरिया की राह भी यहीं से खुलती है। मोहद्दीपुर के इतना महत्वपूर्ण होने की वजह इस मोहल्ले के इतिहास का 400 से अधिक वर्ष पुराना होना है।
इतिहास में जाएं तो पता चलता है कि इसकी बसावट का इतिहास अकबर के काल से जुड़ा है। अहमद अली शाह ने अपनी पुस्तक 'महबूब-उल-तवारीफ' में लिखा है कि 16वीं सदी में जब गोरखपुर अकबर के अधिकार क्षेत्र में था तो उसे इस बात की जानकारी मिली कि नेपाल के शाही राजवंश का प्रभाव गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र में बढ़ रहा है। कई स्थानों पर बगावत के स्वर भी उठने लगे हैं। इस प्रभाव को रोकने के लिए अकबर ने फिदाई खां और टोडरमल के नेतृत्व में एक विशाल सेना भेजी।
सेना ने सबसे पहले इस क्षेत्र में अकबर के शासन के खिलाफ उठ रहे बगावत के स्वर को शांत किया और फिर पूरे गोरखपुर को नियामत चक, इस्लाम चक, दाउद चक और इमाम चक में बांटकर उसकी कमान अलग-अलग सिपहसालारों को सौंप दी। इसी क्रम में इस्लाम चक की कमान सिपहसालार मोहीउद्दीन को सौंपी गई। यह इस्लाम चक ही उन दिनों मोहद्दीपुर का इलाका था।
उन दिनों यह इलाका बहुत बसा नहीं था, सो मोहीउद्दीन ने सबसे पहले लोगों को वहां बसाना शुरू किया। प्रयास रंग लाया और धीरे-धीरे इलाके ने रिहाइशी स्वरूप ले लिया। चूंकि उसे बसाने वाले मोहीउद्दीन थे, इसलिए इलाके का नाम उन्हीं के नाम पर मोहीउद्दीनपुर पड़ गया। यही नाम बाद में बिगड़कर मोहद्दीपुर में तब्दील हो गया। गोरखपुर के राजस्व विभाग के दस्तावेजों में आज भी इस इलाके का नाम मोहीउद्दीनपुर ही दर्ज है।
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