जानें-कहां है कतौरा गांव, जिसके संपूर्ण विकास के लिए टीम आइआइएम इंदौर ने तैयार किया डेवलेपमेंट प्लान Gorakhpur News
यह गांव देवरिया जनपद के गौरी बाजार विकास खंड में है। देवरिया जिला प्रशासन के साथ करार होने के बाद आइआइएम इंदौर ने गांव के लिए खास विलेज डेवलेपमेंट प्लान तैयार किया है।
गोरखपुर, क्षितिज पांडेय। कतौरा गांव प्रदेश में ग्राम स्वराज की अवधारणा का प्रतीक बनेगा। ऐसा गांव जहां का हर नागरिक अपने गांव के विकास का सारथी होगा, सहभागी होगा। योजनाओं की प्लानिंग हो या फिर उसका वित्तीय प्रबंधन और मॉनीटरिंग, हर गांववासी की इसमें सहभागिता होगी। इस गांव की सूरत कुछ ऐसी बनाने की कोशिश शुरू हो गई है।
आइआइएम इंदौर का प्रशासन के साथ हुआ करार
यह गांव देवरिया जनपद के गौरी बाजार विकास खंड में है। देवरिया जिला प्रशासन के साथ करार होने के बाद भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) इंदौर ने गांव के लिए खास विलेज डेवलेपमेंट प्लान तैयार किया है। इसमें पंचायत की खुली बैठकों में हर नागरिक की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। विकास योजनाओं के नियोजन और खर्च पर लोकसभा व विधानसभा की तर्ज पर ग्रामीण बहस कर सकें, इस बाबत कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
चल रहा गांव का परीक्षण
जिला प्रशासन के सहयोग से आइआइएम इन दिनों गांव की मौजूदा हालत का परीक्षण करा रहा है। आइआइएम ने ग्राम प्रधान और सचिव से एक सर्वे फार्म पर गांव की आधारभूत व्यवस्था की जानकारी मांगी है।
महिलाओं पर होगा विशेष फोकस
जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत 74,200 महिलाएं और शहरी आजीविका मिशन में 1650 महिलाएं पंजीकृत हैं। आइआइएम इन महिलाओं पर खास फोकस कर रहा है। ग्राम प्रधान मीना राय बताती हैं कि महिलाएं काम तो कर रही हैं लेकिन प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के अभाव में उन्हें गति नहीं मिल पा रही। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से काम कर रहीं इन महिलाओं को अपने उत्पाद के लिए उचित फंड मिल सके, सही बजार मिल सके, इसके लिए आइआइएम मदद करेगा। इन महिलाओं के लिए खास ट्रेनिंग और अवेयरनेस प्रोग्राम भी होंगे।
हम कुछ वैसा ही करने जा रहे
भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने इस संबंध में कहा कि इस वर्ष हम लोग महात्मा गांधी की 150वी जयंती मना रहे हैं। उनके ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने का यह अच्छा अवसर है। गांधी जी ने गांवों में लोगों को आत्मनिर्भर बनने के लिए जोर दिया, ताकि वे स्थानीय संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें, आत्म निर्भर बन सकें। हम कतौरा में ऐसा ही प्रयास कर रहे हैं।