ग्रामीण महिलाओं की दशा बदल देगी गोरखपुर के डीएम की यह पहल, जानें- कैसे ?
मनरेगा के जरिए रोजगार पाकर महिलाएं साल भर बाद स्वरोजगार की सीढ़ी चढ़ सकेंगी। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को इसके लिए जागरूक किया जा रहा है। हर गांव में समूह की महिलाओं को हर महीने मनरेगा के तहत पांच दिन का रोजगार देने की व्यवस्था बनाई गई है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गांवों में रोजगार की गारंटी देने वाले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के जरिए रोजगार पाकर महिलाएं साल भर बाद स्वरोजगार की सीढ़ी चढ़ सकेंगी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को इसके लिए जागरूक किया जा रहा है। हर गांव में समूह की महिलाओं को हर महीने मनरेगा के तहत पांच दिन का रोजगार देने की व्यवस्था बनाई गई है। इससे होने वाली आय से साल भर में जो बचत होगी, उसके 10 गुना के बराबर बैंक से प्रशासन ऋण दिलाएगा। इस ऋण से समूह को अपना काम शुरू करने को प्रेरित किया जाएगा और इस काम से उनकी आय बढ़ सकेगी।
हर महीने मनरेगा में पांच दिन काम कर समूह की महिलाएं साल में बचा सकती हैं 60 हजार रुपये
स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बचत पर जोर देने की पहल शुरू की है। योजना के तहत महीने में पांच दिन काम करने से एक महिला को करीब एक हजार रुपये की आय होगी। समूह की सभी महिलाओं को मिलाकर यह आय 10 हजार रुपये महीना हो जाएगी। उन्हें जागरूक किया जा रहा है कि इस आय से 50 फीसद यानी पांच हजार रुपये की बचत हर महीने की जाए। साल भर में यह बचत 60 हजार रुपये की होगी और समूह को इसके बूते छह लाख रुपये का ऋण मिल सकेगा।
निगरानी से आया बदलाव, 2110 समूहों ने बचाए 3.91 करोड़
प्रशासन की ओर से की जा रही निगरानी का परिणाम है कि इस वित्तीय वर्ष में 18 अक्टूबर तक 2110 स्वयं सहायता समूहों की ओर से 3.91 करोड़ रुपये बचाए गए हैं। इसके सापेक्ष इन समूहों को करीब 40 करोड़ रुपये का ऋण मिल सकेगा। वर्तमान वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक बचत को बढ़ाकर 12.70 करोड़ करने का लक्ष्य रखा गया है। जिले में आजीविका गतिविधि कर रहे समूहों का सालाना टर्न ओवर (कारोबार) आगामी दो साल में 25 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा गया है।
इन 28 ट्रेडों में शुरू कर सकेंगे स्वरोजगार
बचत करने वाले स्वयं सहायता समूहों के सदस्य आजीविका के लिए 28 तरह के ट्रेडों में स्वरोजगार कर सकेंगे। इसमें अगरबत्ती/धूपबत्ती उत्पादन, झाड़ू, दोना पत्तल, मत्स्य पालन, फूलों की खेती, मशरूम, आचार, पापड़, मुरब्बा, फल संरक्षण, पर्स एवं बैग बनाना, मधुमक्खी पालन, डेयरी, जूट उत्पादन, सैनिटरी पैड, टैडी वियर, डिटर्जेंट पाउडर, मोमबत्ती, पशुपालन, सिलाई-कढ़ाई, नर्सरी, आफिस फाइल फोल्डर एवं लिफाफा, जैम जैली, एलईडी बल्ब, मसाला बनाना एवं पैकेजिंग, फूटवियर निर्माण, पेन निर्माण, कांटेदार वायर का निर्माण शामिल है। इसके साथ ही महिलाएं ब्यूटी पार्लर भी खोल सकेंगी। ट्रेडों के अनुसार चयन कर इन महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। मार्च 2022 तक प्रशिक्षण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
बाजार भी कराया जाएगा उपलब्ध
उत्पादन शुरू करने वाले स्वयं सहायता समूहों को बाजार उपलब्ध कराने में भी प्रशासन सहयोग करेगा। इसके लिए क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। शापिंग कांप्लेक्स में एवं रामगढ़ताल क्षेत्र में उत्पादों को बेचने की व्यवस्था होगी। उत्पादों के लिए बाजार का चयन शुरू भी कर दिया गया है। इसके लिए उत्पादन समूह भी बनाए जा रहे हैं। उत्पादों की आनलाइन मार्केटिंग भी की जाएगी।
एनआरएलएम के जरिए संचालित स्वयं सहायता समूहों को सक्रिय किया जा रहा है। पहले चरण में हर गांव से कम से कम दो समूहों का चयन कर उन्हें उत्पादन शुरू करने को प्रेरित करना शुरू किया गया है। समूहों के बचत पर ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि बचत के 10 गुना के बराबर ऋण मिलता है। तैयार उत्पादों के लिए बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी तो पूरे परिवार का विकास होगा। - विजय किरन आनंद, जिलाधिकारी।