पशु-पक्षी यहां आकर बुझा रहे प्यास, तालाब खोदवाकर सुधीर कर रहे जल संचय Gorakhpur News
वैश्विक स्तर पर सतत घट रहे भूगर्भ जलस्तर मानव समाज सहित समस्त प्राणियों के लिए घातक और मुश्किल साबित होने लगा हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण जल की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है परंतु हम जल की मात्रा को हरगिज बढ़ा नहीं सकते।
गोरखपुर, जेएनएन : वैश्विक स्तर पर सतत घट रहे भूगर्भ जलस्तर मानव समाज सहित समस्त प्राणियों के लिए घातक और मुश्किल साबित होने लगा हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण जल की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, परंतु हम जल की मात्रा को हरगिज बढ़ा नहीं सकते। जब की बहुत सा जल बाढ़ के रूप में व्यर्थ हो जाता हैं। जल संकट का आलम यह है कि गर्मियों के दिनों में पशु पक्षी नदी, तालाबों व विभिन्न जलाशयों के सूख जाने से तड़प उठते हैं। सभी को इस समस्या को खत्म करने के लिए आगे आना चाहिए। महराजगंज जिले के घुघली विकास खंड के पकड़ी विशुनपुर निवासी शिक्षामित्र सुधीर कुमार पांडेय ने दो दशक पूर्व अपने डेढ़ एकड़ भूमि में तालाब खोदवाकर जलसंचयन का महत्वपूर्ण कार्य किया।
घरेलू उपयोग के लिए स्वच्छ जल का अभाव
पशु-पक्षी इस भीषण गर्मी में इनके तालाब में आकर प्यास बुझाते हैं। सुधीर कुमार पांडेय कहते हैं कि देश के अनेक क्षेत्रों विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में पीने तथा घरेलू उपयोग के लिए स्वच्छ जल का अभाव है। लगातार गिरते भूगर्भ जल स्तर के कारण हमेशा नमी को सजोने वाली जलोढ़ मिट्टी वाले आर्द्र भूमि को भी कुछ वर्षों से अब सकते और चटकते देखा जा रहा है। गिरते जलस्तर का यदि समय रहते समाधान नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में मनुष्यों सहित सभी प्राणियों को तरसना व तड़पना पड़ सकता है। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि वर्षा के जल को संचयन करके जल संरक्षण हेतु विभिन्न उपायों को स्वयं करने और दूसरों को जागरूक करने की जरूरत हैं।
स्थिर रहता भूगर्भ जल
पकड़ी विशुनपुर निवासी रमेश पांडेय, पंकज पांडेय, मनीष द्विवेदी, मो हुसैन,राम केवल, अजय पांडेय, रिंकू गुप्ता, रामशकल आदि का कहना है कि तालाब खोदवाने से अब जलस्तर ठीक रहता है। नहीं तो पहले बोरिंग से पानी निकालने में भी समस्या होती थी। अब हम लोगों के मवेशी नहाने के लिए भी इस तालाब में जाते हैं।
आर्थिक स्थिति होती मजबूत
तालाब में मछली पालन भी किया जाता है, जिससे आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है। इस तालाब की मछलियां घुघली, पुरैना, भिटौली के बाजारों में क्षेत्रीय मछुआरे ले जाकर बेचते हैं।