CM से भाजपा के पूर्व विधायक ने की तीसरी बार शिकायत, तब हुई कार्रवाई Gorakhpur News
दो बार मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद भी अफसरों ने डूडा में भ्रष्टाचार की करतूत को ही सही बताने में अपनी ताकत झोंक दी। तीसरी बार की शिकायत पर कार्रवाई हुई।
गोरखपुर, जेएनएन। जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) में भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले भाजपा के पूर्व विधायक लल्लन प्रसाद त्रिपाठी की शिकायत को ही एकबारगी फर्जी बता दिया गया था। दो बार मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद भी अफसरों ने डूडा की उस करतूत को ही सही बताने में अपनी ताकत झोंक दी जो सीधे-सीधे गलत थी। प्रमाण देने के बाद भी जांच अधिकारियों ने डूडा के अफसर पर तब शिकंजा कसा जब मुख्यमंत्री से तीसरी बार शिकायत की गई। मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद आनन-फानन डूडा के परियोजना अधिकारी तेज कुमार को पद से हटाकर मुख्यालय संबद्ध किया गया।
दो साल पहले हुई थी शिकायत
अप्रैल 2018 में पूर्व विधायक ने एक ही काम का दो बार भुगतान कराने की शिकायत मुख्यमंत्री से की। जांच शुरू हुई तो अफसरों ने पूर्व विधायक को अपने पक्ष में करने की कोशिश की। शिकायत से पीछे नहीं हटे तो आठ अगस्त 2018 को पूर्व विधायक के लेटरपैड पर नगर आयुक्त को संबोधित पत्र लिखा गया। इसमें बताया गया कि डूडा के परियोजना अधिकारी के खिलाफ शिकायत नहीं की गई है, लेटरपैड का दुरुपयोग किया गया है। जानकहारी होने पर पूर्व विधायक भौंचक हो गये। उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर फिर शिकायत दर्ज कराई।
इन कार्यों का हुआ दो बार भुगतान
वार्ड कार्य 2015 2016
19 सड़क, नाली 25.23 23.77
07 सड़क, नाली 12.82 10.23
29 सड़क, नाली 12.96 10.32
29 सड़क, नाली 5.95 5.27
29 सड़क, नाली 1.60 1.12
(नोट- भुगतान राशि लाख रुपये में हैं)
65 करोड़ के टेंडर पर भी सवाल
शासन ने शहर के एक से लेकर 35 नंबर वार्ड तक में इंटरलॉङ्क्षकग सड़क व नाली निर्माण को तकरीबन 65 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। सभी काम डूडा को मिले हैं। बताया जाता है कि डूडा के अफसरों की अति सक्रियता के कारण ही शासन से यह काम मिला था। टेंडर प्रक्रिया को लेकर नगर निगम के उपसभापति अजय राय ने भी सवाल उठाया था। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि नियमानुसार काम शुरू हो गया है। पूर्व विधायक लल्लन त्रिपाठी का कहना है कि परियोजना अधिकारी तेज कुमार छह साल से भी ज्यादा समय से गोरखपुर में तैनात रहे। एक ही सड़क का दो बार भुगतान कराकर 50 लाख रुपये से ज्यादा का गबन हुआ है। 65 करोड़ रुपये के टेंडर के साथ ही परियोजना अधिकारी के अबतक के सभी कार्यों की जांच होनी चाहिए।