धान की यह प्रजातियां करेंगी मालामाल, अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ने लगाई मुहर
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के परीक्षण में धान की बालियों की संख्या धान की पैदावार पौधे की लंबाई बाली में दानों की संख्या दाने की साइज सेहत आदि देखकर डीआरआर 50 बीना धान 11 और साम्बा महसूरी सब 1 को सर्वाधिक अंक दिये गए।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय केंद्र, वाराणसी (इरी-सार्क) की देखरेख में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) बेलीपार में 60 प्लाटों 30 प्रजातियों की धान बोया गया था। उसकी फसल अब पूरी तरह तैयार हो चुकी है। इरी-सार्क के कृषि वैज्ञानिकों व अधिकारियों की मौजूदगी में 50 किसानों को इन प्लाटों पर ले जाकर धान का परीक्षण कराया गया।
डीआरआर 50, बीना धान 11 और साम्बा महसूरी सब 1 पर बरसे सर्वाधिक अंक
इसमें किसानों बालियों की संख्या, धान की पैदावार, पौधे की लंबाई, बाली में दानों की संख्या, दाने की साइज, सेहत आदि देखकर डीआरआर 50, बीना धान 11 और साम्बा महसूरी सब 1 को सर्वाधिक अंक दिये और सर्वाधिक किसानों इन प्रजातियों को पसंद किया। बताया कि यहां की जलवायु में इस धान की बेहतर पैदावार ली जा सकती है।
प्लाटों में देखी गई 30 प्रजातियों के धान की फसल, 50 किसानों से कराया गया परीक्षण
इरी सार्क के द्वारा केवीके में धान परीक्षण क्षेत्र का दौरा और किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कुल 50 किसानों ने प्रतिभाग किया। किसानों को बताया गया कि 60 प्लाटों में बोई गईं धान की सभी प्रजातियां उन्नतिशील प्रजाति की हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने इसका परीक्षण किया है, जिसमें इनका रिस्पांस बेहतर रहा है। यहां की जलवायु इनका कया नतीजा निकलेगा, इसे लेकर इसकी खेती की गई थी। बाद में किसानों से धान का परीक्षण कराया गया और धान की उन्नतिशील बीजों के विषय में बताया गया।
इरी-सार्क की सहभागिता में केवीके बेलीपार में आयोजित हुआ किसान सम्मेलन व धान परीक्षण
किसानों धान की खेती, बीज प्रबंधन की उत्तम तकनीकि की जानकारी दी गई कि वह खेती करते समय किन बातों पर ध्यान देकर अच्छी व अधिक उपज ले सकते हैं। इस दौरान इरी-सार्क से वरिष्ठ विशेषज्ञ डा. क्विंटल दास, अधिकारी सर्वेश शुक्ल, डेटा गणक चंद्रप्रकाश यादव, संयुक्त कृषि निदेशक एच के उपाध्याय, केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.एसके तोमर, डा. अजय सिंह आदि मौजूद रहे थे।