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विश्‍वविद्यालय में इस बार भी नहीं होगा छात्रसंघ गठन, प्रशसन ने कोर्ट में मामला लंबित होने की दी दलील

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में इस वर्ष भी छात्रसंघ चुनाव की संभावना पर विराम लग गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे लेकर स्थिति साफ कर दी है। विश्वविद्यालय अपने इस निर्णय के पीछे कोर्ट में मामला लंबित होने की दलील दे रहा है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 05:04 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 06:23 PM (IST)
विश्‍वविद्यालय में इस बार भी नहीं होगा छात्रसंघ गठन, प्रशसन ने कोर्ट में मामला लंबित होने की दी दलील
विश्‍वविद्यालय में इस बार भी नहीं होगा छात्रसंघ गठन। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में इस वर्ष भी छात्रसंघ चुनाव की संभावना पर विराम लग गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे लेकर स्थिति साफ कर दी है। विश्वविद्यालय अपने इस निर्णय के पीछे कोर्ट में मामला लंबित होने की दलील दे रहा है। इसके अलावा शासन से भी चुनाव कराने की अनुमति न मिल पाने की बात भी कह रहा है।

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विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने बनाई कमेटी

इसे लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने कमेटी बनाई थी। कमेटी ने कोर्ट में चुनाव का प्रकरण लंबित होने की वजह से विधिक राय लेने की सलाह दी थी। विधिक राय भी चुनाव कराने के पक्ष में नहीं मिली थी। ऐसे में कानूनी रूप से इस वर्ष चुनाव नहीं कराया जा सकता।

2016 में हुआ था छात्रसंघ का चुनाव

विश्वविद्यालय में अंतिम बार छात्रसंघ चुनाव 2016 में हुआ था। उसके बाद 2017 में भी चुनाव की तैयारी थी, तभी छात्रों के दो पक्ष में विवाद हो गया और विश्वविद्यालय ने पूरी तैयारी के बाद भी चुनाव स्थगित कर दिया। उसके बाद प्रकरण कोर्ट में चला गया और विश्वविद्यालय को चुनाव न कराने का बहाना मिल गया। मामला कोर्ट में अब भी लंबित है, सो इस वर्ष भी चुनाव न कराने का विश्वविद्यालय के पास पूरा बहाना था।

चुनाव के लिए छात्र कर रहे धरना-प्रदर्शन

बावजूद इसके लिए छात्रों ने जब इसे लेकर धरना-प्रदर्शन शुरू किया तो कुलपति ने संभावना तलाशने के लिए कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी भी मंथन के बाद उसी निर्णय पर पहुंची, जिसके चलते बीते चार वर्ष से चुनाव नहीं हो सका था। उधर विश्वविद्यालय की ओर से शासन को चिट्ठी लिखकर दिशा-निर्देश मांगा गया लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया। इस कवायद में अब जब सत्र समापन की ओर बढ़ चला है, इसलिए विश्वविद्यालय ने चुनाव न कराने का फैसला ले लिया है। विश्वविद्यालय के मुताबिक अब चुनाव की राह में लिंगदोह कमेटी की सिफारिश भी रोड़ा, जिसके मुताबिक सितंबर तक हर हाल में चुनाव सम्पन्न हो जाने चाहिए।

विश्वविद्यालय के सहारे महाविद्यालयों ने नहीं कराए चुनाव

विश्वविद्यालय ने चुनाव नहीं कराया, इसकी आड़ लेकर महाविद्यालय भी अपने यहां चुनाव टालते रहे। डीएवी कालेज के विद्यार्थियों ने तो धरना-प्रदर्शन सब किया। प्राचार्य ने जब विश्वविद्यालय से मार्गदर्शन की बात कही तो छात्र विश्वविद्यालय में भी प्रदर्शन के लिए पहुंच गए। विश्वविद्यालय की ओर से जबतक यह स्थिति साफ हुई कि चुनाव कराने के लिए महाविद्यालय स्वतंत्र हैं, तबतक दिसंबर आ गया। ऐसे में अब महाविद्यालयों में भी चुनाव की संभावना पर विराम लग गया है।

शासन से नहीं मिला चुनाव कराने का दिशा-निर्देश

अधिष्‍ठाता छात्र कल्‍याण प्रो. अजय सिंह ने बताया कि छात्रसंघ चुनाव कराने में कोर्ट में मामला लंबित होने की बाधा तो है ही, शासन से मांगने के बावजूद अबतक दिशा-निर्देश नहीं मिल सका है। कमेटी बनाकर चुनाव की संभावना तलाशी गई लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिल सकी। ऐसे में इस वर्ष चुनाव नहीं होगा, यह लगभग तय है।


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