सिंबल के लिए मचेगा घमासान, सत्ता पक्ष के दो परिवार ले चुके हैं महिला आरक्षण का लाभ Gorakhpur News
शासन की ओर से जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण निर्धारित कर दिया गया है। कुशीनगर में यह पद पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित किया गया है। इसके पहले यह पद दो बार पिछड़ा वर्ग पुरुष के खाते में रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन : शासन की ओर से जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण निर्धारित कर दिया गया है। कुशीनगर में यह पद पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित किया गया है। इसके पहले यह पद दो बार पिछड़ा वर्ग पुरुष के खाते में रहा है। जब अध्यक्ष की कुर्सी महिला के लिए आरक्षित हुई थी तो दो परिवारों ने इसका लाभ लिया था। मौजूदा समय में दोनों ही सत्ताधारी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। दावेदारों की कतार में अंदरखाने में एक नए नाम की भी चर्चा की जा रही है। ऐसे में सिंबल के लिए घमासान होना तय है।
2001 में गंगोत्री देवी काबिज हुई थीं जिला पंचायत की कुर्सी पर
वर्ष 2001 में फाजिलनगर के बैरिस्टर जायसवाल की पत्नी गंगोत्री देवी जिला पंचायत की कुर्सी पर काबिज हुई थीं। इस बार चुनाव में कप्तानगंज इलाके से एक नए चेहरे की संभावित दावेदारी की चर्चा हो रही है। अगर नया चेहरा भी सिंबल के लिए कतार में खड़ा हो गया तो रार अवश्य मचेगा।
हमेशा आरक्षित रही अध्यक्ष की कुर्सी
देवरिया से अलग होकर 13 मई 1994 को अस्तित्व में आए कुशीनगर जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हमेशा ही आरक्षित रही है। वर्ष 1995 में पिछड़ा वर्ग पुरुष के लिए आरक्षण हुआ तो जाकिर अली अध्यक्ष बने। 2001 में सामान्य महिला के लिए आरक्षित होने पर पहले गंगोत्री देवी और अविश्वास प्रस्ताव के बाद निर्मला त्रिपाठी कुर्सी पर काबिज रहीं। 2006 में फिर पिछड़ा वर्ग पुरुष के लिए आरक्षण लागू किया गया तो प्रदीप जायसवाल ने अध्यक्ष की कुर्सी संभाली।
2011 में अध्यक्ष पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित
2011 में अध्यक्ष पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया और प्रदीप जायसवाल की पत्नी सावित्री देवी को कुर्सी मिल गई। 2016 में अनुसूचित वर्ग पुरुष के लिए आरक्षित किया गया तो पहले हरीश राणा और अविश्वास के बाद विनय प्रकाश गोंड अध्यक्ष बने।